आज का जेरूसलमः कुछ ज़रूरी तथ्य एवं आंकड़े

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मीडियाविजिल पर जेरुसलम के इतिहास को लेकर वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश के रे की यह शृंखला हिंदी में एक बड़ी कमी को पूरा कर रही है। यह शृंखला ईसाई धर्म के जन्म से कई सौ साल पहले से शुरू होकर वर्तमान तक फैली हुई है। अब तक इसकी सत्रह कड़ियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। यह अठारहवीं  किस्त जेरुसलम के वर्तमान से जुड़े कुछ ज़रूरी तथ्यों की जानकारी दे रही है 
-संपादक


प्रकाश के रे


रमजान के पवित्र महीने के पहले दिन इजरायली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतनयाहू देश के नाम पचास सेकेंड के अपने संबोधन में इजरायल और दुनिया के मुसलमानों को ‘रमादान करीम’ कहते हुए बता रहे थे कि उनके देश में करीब 15 लाख मुसलमान हैं जिनपर उन्हें गर्व है. अपने संबोधन में उन्होंने एक वीडियो भी दिखाया, जिसमें इजरायली संसद भवन में मुसलमानों के प्रार्थना के लिए कक्ष बना हुआ है. प्रधानमंत्री यह भी बता रहे थे कि मुस्लिम नागरिक विभिन्न पेशों और व्यापार द्वारा देश के विकास में योगदान दे रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भले ही इजरायल एक यहूदी राष्ट्र है, परंतु इजरायल के हर नागरिक को अपने धर्म को मानने और अपना विकास करने का लोकतांत्रिक समान अधिकार है. नेतनयाहू के इस संबोधन के कुछ दिन पहले ही गाजा सीमा पर इजरायली सैनिकों ने 60 फिलीस्तीनियों की हत्या की थी तथा देश के भीतर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भली समझ को खारिज कर जेरूसलम में अमेरिकी दूतावास का उद्घाटन किया गया था. साल 1967 में पूर्वी जेरूसलम पर कब्जे की खुशी मनाते उग्र यहूदियों का जुलूस भी निकाला गया था, जो हर साल की तरह इजरायली पुलिस की सुरक्षा में शहर के अरब इलाकों में गुजरता हुआ फिलीस्तीनियों को अपमानित कर रहा था. इस संदर्भ में एक नजर मौजूदा जेरूसलम से जुड़े कुछ खास आंकड़ों और सूचनाओं पर डालना जरूरी है ताकि इजरायली प्रधानमंत्री के दावों की असलियत को समझा जा सके.

वेबसाइट +972 ने इजरायली सरकार के सेंट्रल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (सीबीएस) द्वारा इस साल 09 मई को तथा गैर-सरकारी संस्था इर-अमीन (आइ-आर) द्वारा जनवरी में जारी आंकड़ों से कुछ चुनींदा सूचनाओं को एकत्र किया है. ये सभी आंकड़े जेरूसलम शहर के बारे में हैं. इसके बाद पूरे इजरायल में गैर-यहूदी समुदायों की हालत पर तौब सेंटर की पिछले साल दिसंबर में अरब इजरायली समुदाय के स्वास्थ्य पर जारी एक अध्ययन के कुछ तथ्य उल्लिखित हैं.

आबादी-

– जेरूसलमवासियों में फिलीस्तीनियों की संख्या 37.8 फीसदी है. (सीबीएस)

– नगर की आबादी का 61 फीसदी (5,21,900) पूर्वी जेरूसलम में बसता है. यह इलाका 1967 में इजरायल ने दखल किया था. इस तादाद में 3,20,300 फिलीस्तीनी हैं और 2,11,600 यहूदी हैं जो इजरायल द्वारा कब्जा जमीन पर बसे हैं. इन्हें सेटलर कहा जाता है. हालांकि घोषित नियमों के अनुसार शहर का कोई भी नागरिक किसी भी हिस्से में बस सकता है, लेकिन पश्चिमी जेरूसलम के यहूदी-बहुल इलाके में महज एक फीसदी फिलीस्तीनी रहते हैं. (आइए)

– पूर्वी हिस्से में फिलीस्तीनी बच्चों की 78.2 फीसदी तादाद गरीबी में गुजर-बसर करती है. शहर की फिलीस्तीनी आबादी का गरीबी दर 72.9 फीसदी है. शहर के यहूदियों में यह दर 29.8 फीसदी है. किसी भी अन्य इजरायली शहर की तुलना में ये दोनों दरें ज्यादा हैं. (आइए)

– साल 2016 में शहर के 94 फिलीस्तीनी नागरिकों से नागरिकता छीनकर  निर्वासित किया गया था. इनमें 52 महिलाएं और बच्चे थे. साल 2017 के आंकड़े अभी नहीं बताये गये हैं. साल 1967 से 2015 के बीच 14,500 फिलीस्तीनी नागरिकों को शहर से निकाला जा चुका है. (आइए)

 

क्षेत्र-

– साल 1967 के बाद से जेरूसलम के पूर्वी हिस्से के 38.3 फीसदी इलाके को यहूदी कॉलोनियां बनाने के लिए फिलीस्तीनियों से ले लिया गया है. इसके अलावा 14.7 फीसदी हिस्से को ‘हरित क्षेत्र’ घोषित कर उन पर किसी तरह के निर्माण की मनाही कर दी गयी है. ये सब फिलीस्तीनियों की जमीन है. (आइए)

– जेरूसलम के 48 फीसदी यहूदी अपने समुदाय के हरे-भरे इलाकों से संतुष्ट हैं, जबकि अरबी आबादी में यह दर महज दो फीसदी है. (सीबीएस)

– जेरूसलम के 88 फीसदी यहूदी और 49 फीसदी अरब अपने निवास के इलाके से आमतौर पर संतुष्ट हैं. (सीबीएस)

– पिछले साल इजरायली प्रशासन ने पूर्वी जेरूसलम में 86 घरों और 87 अन्य निर्माणों को तोड़ दिया है. इस इलाके में 193 परिवारों को उनके घरों से बेदखल करने की प्रक्रिया चल रही है. (आइए)

भेदभाव-

– साल 2013 में (आगे के आंकड़े उपलब्ध नहीं) जेरूसलम नगरपालिका के बजट का सिर्फ 10 फीसदी हिस्सा शहर के फिलीस्तीनी नागरिकों के लिए आवंटित किया गया था. नगरपालिका के पांच विभागों ने अपने बजट का मात्र पांच फीसदी फिलीस्तीनियों के लिए निर्धारित किया था. (आइए)

– पूर्वी जेरूसलम के फिलीस्तीनी बच्चों के लिए कम-से-कम 2,557 कक्षाओं की जरूरत है, पर हर साल निर्माण का औसत महज 37 है. इस गति से कमी को पूरा करने में 70 साल लग जायेंगे. (आइए)

– शहर के यहूदी इलाकों में 19 कल्याण कार्यालय कार्यरत हैं, जबकि फिलीस्तीनी बस्तियों में ऐसे केंद्र सिर्फ चार हैं. (आइए)

– पूर्वी जेरूसलम के सिर्फ 59 फीसदी परिवार जलापूर्ति व्यवस्था से जुड़े हुए हैं. (आइए)

– शहर के 91 फीसदी फिलीस्तीनी और 74 फीसदी यहूदी बाशिंदे स्वास्थ्य व्यवस्था में भरोसा रखते हैं. (सीबीएस)

तौब सेंटर के अध्ययन के कुछ निष्कर्ष-

– वर्ष 2015 के आंकड़ों के मुताबिक, इजरायली आबादी में 75 फीसदी यहूदी, 21 फीसदी अरब और अन्य 04 फीसदी हैं. अरब आबादी में 84.7 फीसदी, द्रुज 7.8 फीसदी और 7.5 फीसदी ईसाई हैं. ईसाई आबादी में सिर्फ अरब ईसाई शामिल हैं, बाकियों की गिनती अन्य श्रेणी में की गयी है. कुल ईसाईयों में 80 फीसदी अरब ईसाई हैं.

– अरब इजरायली आबादी की मध्य आयु 22 साल और यहूदी आबादी की 31 साल है. अरबों में 18 और इससे कम आयु के लोग 43 फीसदी हैं. यहूदियों में यह हिस्सा 32 फीसदी है. अरबी परिवारों के सदस्यों की औसत संख्या 4.6 और यहूदी परिवारों के सदस्यों की औसत संख्या 3.1 है.

– अरबों की 56 फीसदी आबादी हाशिये के इलाकों में है. हाइफा और जेरूसलम में इस आबादी का 33 फीसदी हिस्सा रहता है. तेलअवीव और मध्य इजरायल के यहूदीबहुल इलाकों में अरब-इजरायलियों की आबादी का 11 फीसदी ही रहता है.

– अकादमिक डिग्री के लिहाज से अरबों और यहूदियों का हिस्सा 22 और 42 फीसदी है. श्रमशक्ति में 52 फीसदी अरबी और 72 फीसदी यहूदी हैं (सामुदायिक आबादी का प्रतिशत).

– अरबी कामगार की औसत मासिक आमदनी 5600 इजरायली मुद्रा है. यहूदियों में यह 7400 है. अरबी परिवार की औसत आमदनी 9713 है, जबकि यहूदी परिवार के लिए यह आंकड़ा 16,188 है.

– साल 1996 से 2016 के बीच यहूदी शिशु मृत्यु दर 5.0 से 2.2 तथा अरबी शिशु मृत्यु दर 9.8 से 6.1 पर आयी है. कमी के बावजूद दोनों समुदायों में बड़ी खाई बनी हुई है.

 

 

साल 1967 के छह दिनों के युद्ध के बाद इजरायल ने वेस्ट बैंक और पूर्वी जेरूसलम पर कब्जा कर इन इलाकों को अपने देश का हिस्सा बना लिया. उसी समय  जेरूसलम की सीमाएं भी बदल गयीं. नयी सीमा बनने के साथ पूर्वी जेरूसलम पहले के मुकाबले दस गुणा अधिक बड़ा हो गया. इसमें 28 फिलीस्तीनी गांव भी थे, जो पहले कभी भी जेरूसलम का हिस्सा नहीं थे. इसी के साथ दो शरणार्थी शिविरों (1948 के युद्ध के बाद बने) को भी शहर में शामिल कर लिया गया. इन नये इलाकों में भी इजरायली कायदे-कानून लागू कर दिये गये. यह इजरायल में इन इलाकों को शामिल करने की कवायद थी, पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया के डर से इसे आधिकारिक रूप से घोषित नहीं किया गया था. नवंबर, 1967 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पारित कर इजरायल को इन क्षेत्रों से वापस जाने के लिए कहा गया, परंतु इजरायल ने इस पर कभी अमल नहीं किया. जेरूसलम में शामिल किये गये फिलीस्तीनी स्थानीय निकायों के चुनाव में मतदान कर सकते हैं, पर उन्हें राष्ट्रीय चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं है. उन्हें स्थायी नागरिकता भी प्राप्त नहीं है जिसके कारण वे इजरायली पासपोर्ट नहीं बनवा सकते हैं. ज्यादा दिनों तक शहर से बाहर रहने पर उनके निवास के अधिकार को भी छीनने का प्रावधान इजरायली कानून में है.


पहली किस्‍त: टाइटस की घेराबंदी

दूसरी किस्‍त: पवित्र मंदिर में आग 

तीसरी क़िस्त: और इस तरह से जेरूसलम खत्‍म हुआ…

चौथी किस्‍त: जब देवता ने मंदिर बनने का इंतजार किया

पांचवीं किस्त: जेरूसलम ‘कोलोनिया इलिया कैपिटोलिना’ और जूडिया ‘पैलेस्टाइन’ बना

छठवीं किस्त: जब एक फैसले ने बदल दी इतिहास की धारा 

सातवीं किस्त: हेलेना को मिला ईसा का सलीब 

आठवीं किस्त: ईसाई वर्चस्व और यहूदी विद्रोह  

नौवीं किस्त: बनने लगा यहूदी मंदिर, ईश्वर की दुहाई देते ईसाई

दसवीं किस्त: जेरूसलम में इतिहास का लगातार दोहराव त्रासदी या प्रहसन नहीं है

ग्यारहवीं किस्तकर्मकाण्डों के आवरण में ईसाइयत

बारहवीं किस्‍त: क्‍या ऑगस्‍टा यूडोकिया बेवफा थी!

तेरहवीं किस्त: जेरूसलम में रोमनों के आखिरी दिन

चौदहवीं किस्त: जेरूसलम में फारस का फितना 

पंद्रहवीं क़िस्त: जेरूसलम पर अतीत का अंतहीन साया 

सोलहवीं क़िस्त: जेरूसलम फिर रोमनों के हाथ में 

सत्रहवीं क़िस्त: गाज़ा में फिलिस्तीनियों की 37 लाशों पर जेरूसलम के अमेरिकी दूतावास का उद्घाटन!