चुनाव चर्चा: यूपी जीतने की बेचैनी में ‘मास्क’ उतारने की तैयारी में बीजेपी


मोदी सरकार ने योगी जी और मोदी जी की भेंट से दो दिन पहले 9 जून को निर्वाचन आयोग के तीसरे आयुक्त के रिक्त पर 1984 बैच के आईएएस अफसर रहे अनूप चंद पांडेय को नियुक्ति कर सबको चौंका दिया. वह उत्तर प्रदेश के ही हैं और  इस राज्य का मुख्य सचिव रह चुके हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि आयोग के तीनो आयुक्त अभी यूपी के ही हैं. आयोग के इतिहास में ऐस कभी नहीं हुआ जब उसके सभी आयुक्त एक ही राज्य के हो. 


चन्‍द्रप्रकाश झा चन्‍द्रप्रकाश झा
काॅलम Published On :


इंडिया दैट इज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ही नहीं, उनका मातृ संगठन  ‘ राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ (आरएसएस) और  मुख्यमंत्री अजय सिह बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ यूपी विधान सभा का 2022 के प्रारम्भ में निर्धारित चुनाव हर हाल में जीतने के लिए लालायित हैंउनकी ये लालसा अस्वाभाविक नहीं है. अस्वाभाविक बात ये  है कि चुनाव जीतने के लिए उनकी व्यक्तिगत ही नहीं सांगठनिक और सरकारी स्तर पर भी ख़ास तैयारी है. क्यो और कैसे ? इस प्रश्न का उत्तर हम अवामी न्यूज पोर्टल ‘ मीडिया विजिल ‘ के इस अलहदा हफ्तेवार कालम #चुनाव‌-चर्चा के आज के इस अंक से शुरु विशेष सिरीज ‘ काउंटडाउन यूपी पोल्स 2022 ‘ में ढूंढने की कोशिश करेगे. 

यूपी विधानसभा चुनाव 14 मार्च 2022 से पहले कराने हैं. उस दिन मौजूदा 17वी विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो जायेगा. कुल 403 सीटो की विधान सभा में 23 अप्रैल 2021  की स्थिति के अनुसार भाजपा के 304, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिह यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) के 49 ,पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा ) के 18 , अपना दल (सोनेलाल गुट ) के 9 , कांग्रेस के 7, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 4, निर्दलीय 3 , राष्ट्रीय लोक दल और ‘ निर्बल इंडियन शोषित हमारा अपना दल ‘ के एक – एक सदस्य हैं. एक मनोनीत सदस्य हैं. तीन सीट अभी रिक्त है. योगी जी 19 मार्च 2017 को प्रदेश के 22 वे मुख्यमंत्री बने थे. 

 

बेचैनी

इन चुनावो को लेकर मोदी जी और योगी जी ही नहीं पूरी भाजपा और आरएसएस में ही नहीं बल्कि सभी चुनावी सियासी दलो और अवाम के बीच भी खास तरह की बेचैनी है. आरएसएस के मुख्यालय नागपुर और भारत की राजधानी  दिल्ली से लेकर यूपी की राजधानी लखनऊ तक आला नेताओ को शायद फिक्र घेरे है.फिक्र यही कि कहीं वे यूपी चुनाव और फिर उसके बाद 17वीं लोकसभा के 2024 में निर्धारित चुनाव भी हार न जाए. 

लेकिन आरएसएस हलकों से छन कर बाहर निकली ये बात भी हवा में है कि बहुत फिक्र करने की जरुरत नहीं है. मोदी जी ने पुख्ता चुनावी इंतजाम कर लिया है. उनसे 11 जून को भेंट करने प्रधानमंत्री कार्यालय गये योगी जी को भी समझा दिया गया चुनाव जीतने के लिये शुरू की जा चुकी जमीनी तैयारी में कोई कोर- कसर नहीं रहे. 

संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले को लखनऊ से ही कमान सम्भालने कहा गया है. वह आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत के बाद सबसे आला पदाधिकारी हैं. 

योगी जी कुछेक माह के अंतराल के बाद बुलावा पर मोदी जी से भेंट करने लखनऊ से नई दिल्ली पहुंचे तो उन्होने ये साफ संदेश दे दिया जिस रास्ता से वे आये उस पर मोदी जी का नही बल्कि जनवरी 2018 से कायम उनका अपना राज है. योगी जी का राजकीय विमान लखनऊ से दिल्ली के बगल में, यूपी के बडे उपनगर नोएडा केहिंडन एयरपोर्ट’  पर 10 जून को उतरा. इसे नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बतौर वैकल्पिक एयरपोर्ट अर्से से विकसित किया जा रहा है. 

योगी जी हिंडन एयरपोर्ट से मोटर वाहन से सीधे नई दिल्ली में विदेसी दूतावास बहुल चाणक्यापुरी में उत्तर प्रदेश भवन पहुंचे. यह विधिक रूप से केंद्र सरकार नहीं बल्कि उनकी ही सरकार की सम्पदा है. 

उन्होने दिल्ली पहुचने के दिन ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी सरकारी कोठी पर क़रीब डेढ़ घंटे गुफ्तगू की. योगी जी ने अगले दिन मोदी जी से करीब सवा घंटे बातचीत की. इसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यछ जगत प्रकाश नड्डा  भी मौजूद थे. 

बताया जाता है भाजपा के रणनीतिकारों ने चुनावी पंडितो की कम्पनियों के प्रीपोल सर्वे और प्रदेश, देश की खुफिया एजेंसियो से सरकार को मिले आकलन के आधार पर यूपी पोल के लिये बहुस्तरीय नई कार्ययोजना तैयार कर ली है. 

 

मोदी जी अब ‘मास्क’ नहीं 

यूपी चुनाव में भाजपा का चेहरा भगवा चोगाधारी  योगी जी ही रहेंगे. भाजपा चुनाव प्रचार में पिछले सात बरस से मोदी जी के एकमेव चेहरे का इस्तेमाल करती आई है. उसे धीरे-धीरे हटा लिया जायेगा. सम्भव है निर्वाचन आयोग को भाजपा के स्टार प्रचारको की सौंपी जाने वाली अधिकृत सूची में मोदी जी का नाम नहीं किया जायेगा. चुनाव कार्यक्रम की गजट अधिसूचना जारी होने के बाद निर्वाचन आयोग के पास पंजीकृत हर राजनीतिक पार्टी को अपने प्रचारकों की सूची देनी पडती है. 

ये बात, असम, पश्चिम बंगाल, केरल ,तमिलनाडु और पुडुचेरी  समेत पांच  विधान सभा के हालिया चुनाव के नतीजो के मद्देनजर भी तय की गई है. इन चुनावो में असम और पुडुचेरी  के सिवा सब जगह भाजपा और उसके गठबंधन में शामिल दलो की भी मिट्टी पलीद हो गई. 

बंगाल की तीन बार से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मिल कर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की स्थापना करने वाले मुकुल रॉय विधान सभा चुनाव के बाद हाल में टीएमसी लौट आये हैं. इससे साफ हो गया बंगाल में मोदी जी का कोई जादू नहीं रह गया है. ऐसे कयास लग रहे हैं भाजपा के जीते विधायको में से करीब 50 टीएमसी की तरफ खिसकने की जुगत में हैं. इस बार के चुनाव से पहले टीएमसी के 34 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे.  

 

यूपी चुनाव के लिये मोदी जी की फिल्डिंग और अम्पायरिंग 

मोदी सरकार ने योगी जी और मोदी जी की भेंट से दो दिन पहले 9 जून को निर्वाचन आयोग के तीसरे आयुक्त के रिक्त पर 1984 बैच के आईएएस अफसर रहे अनूप चंद पांडेय को नियुक्ति कर सबको चौंका दिया. वह उत्तर प्रदेश के ही हैं और  इस राज्य का मुख्य सचिव रह चुके हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि आयोग के तीनो आयुक्त अभी यूपी के ही हैं. आयोग के इतिहास में ऐस कभी नहीं हुआ जब उसके सभी आयुक्त एक ही राज्य के हो. 

हम चुनाव चर्चा के हाल के एक अंक में 13 अप्रैल 2021 को 24 वे मुख्य निर्वाचन आयुक्त बने सुशील चंन्द्रा के बारे में विस्तार से रिपोर्ट दे चुके हैं.वह भारतीय राजस्व सेवा के 1980 बैच के हैं और उत्तर प्रदेश के ही हैं. 

आयोग के एक सितंबर 2020 से आयुक्त राजीव कुमार भी उत्तर प्रदेश के ही हैं. वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1984 बैच के और बिहार / झारखंड कैडर के अधिकारी रहे हैं. 

यूपी के नये चुनाव के लिये बैचैन मोदी सरकार की ‘ फिल्डिंग और अम्पायरिंग’ की चर्चा. अगले अंक में हम इस चुनाव को जीतने के लिये बैचैन मोदी जी के एक और ‘ शगूफा ‘ की विस्तार से चर्चा करेंगे जो उत्तर प्रदेश का विभाजन कर कुछेक छोटे छोटे नये राज्य गठित करने के अभी तक आधिकारिक तौर पर अपुष्ट प्रस्ताव की है. ऐन चुनाव के मौके पर इस तरह के प्रस्ताब को हड़बड़-गड़बड़ गोदी मीडिया के जरिये अवाम के बीच जोर शोर से उछाला जाना मोदी जी ही नहीं , उनकी सरकार और पार्टी की भी बैचैनी दर्शाता है. कोई शक

 

मीडिया हल्कों में सीपी के नाम से मशहूर चंद्र प्रकाश झा 40 बरस से पत्रकारिता में हैं और 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण के साथ-साथ महत्वपूर्ण तस्वीरें भी जनता के सामने लाने का अनुभव रखते हैं। 


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