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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 नज़दीक है ऐसे में यूपी सरकार अपना वोट बैंक मज़बूत करने के लिए किसानों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। चुनाव से कुछ महीने पहले, योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य की चीनी मिलों को बंद करने और किसी अन्य उद्देश्य के लिए भूमि हस्तांतरित करने के अधिकार को फिर से स्थापित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील वापस ले ली।
मायावती में दायर की थी अपील..
आपको बता दें कि बसपा प्रमुख मायावती के नेतृत्व वाली बसपा सरकार (2007-2012) के शासन के दौरान अप्रैल 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दायर की गई थी। उच्च न्यायालय ने माना था कि राज्य यह मानकर कानून पारित नहीं कर सकता कि उसके पास चीनी मिलों को बंद करने या चीनी मिलों के भूमि उपयोग को बदलने की शक्ति है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा..
सोमवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य अपनी अपील पर आगे नहीं बढ़ना चाहता क्योंकि वह उत्तर प्रदेश चीनी उपक्रम (अधिग्रहण) अधिनियम, 1971 में किए गए संशोधन के सभी विवादास्पद प्रावधानों को हटाना चाहता है।
राज्य सरकार को अपील वापस लेने की अनुमति दे दी..
जिसके बाद मामले पर कोर्ट में मौजूद मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने राज्य सरकार को अपील वापस लेने की अनुमति दे दी, क्योंकि कोर्ट को यह सूचित किया गया था कि सरकार ने 2009 के अधिनियम के सभी प्रावधानों को अलग करने का फैसला किया है, जो उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड के स्वामित्व वाली चीनी मिलों की विनिवेश बिक्री या बंद करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। वहीं, चीनी मिलों की बिक्री में सफल बोलीदाताओं में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने राज्य सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि बोली लगाने वालों ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामले को आगे बढ़ाने के लिए सरकार पर भरोसा किया है।
बोलीदाताओं ने खुद को याचिकाकर्ता के रूप में शामिल करने का प्रयास नहीं किया..
अधिवक्ता विवेक तन्खा की दलील पर अदालत की पीठ ने कहा कि बोली लगाने वालों ने मामले में खुद को याचिकाकर्ता के रूप में शामिल करने का प्रयास नहीं किया, न ही बोलीदाताओं ने स्वतंत्र रूप से उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की है, इसलिए अगर राज्य अपनी मुख्य याचिका को वापस लेने का फैसला करता है तो अन्य लोग आपत्ति नहीं कर सकते। पीठ ने राज्य सरकार की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि सफल बोली लगाने वाले कानून में उपलब्ध अन्य उपायों का लाभ उठा सकते हैं। उत्तर प्रदेश में 119 चीनी मिलें हैं। इनमें से कम से कम आधी सरकारी मिलें हैं।
दरअसल, सरकार का यह फैसला सीएम योगी द्वारा गन्ने के खरीद मूल्य में 25 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की घोषणा के 24 घंटे के भीतर लिया गया है। रविवार को लखनऊ में किसानों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने बसपा शासन के दौरान 21 चीनी मिलों को कम कीमत पर बेचने के लिए बसपा प्रमुख मायावती पर भी हमला किया था।