क्या इस साल के पहले दिन भीमा कोरेगाँव में भड़की हिंसा की गवाह रही पूजा साकत की हत्या कर दी गई है? हिंसा के दौरान उसका घर जला दिया गया था। पूजा का शव रविवार को एक कुएँ से बरामद हुआ था।
हालाँकि पुलिस ने इस मामले में नौ लोगों को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है और दो को गिरफ़्तार भी कर लिया है, लेकिन किसी तरह का ‘सुसाइड नोट’ न मिलने से शक गहरा रहा है। डॉ.आंबेडकर के पौत्र और बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश आंबेडकर ने आत्महत्या की थ्योरी खारिज कर दी है। उन्होंने साफ़ कहा है कि यह हत्या का मामला लगता है।
तमाम जनसंगठन भी पूजा की हत्या पर सवाल उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि हिंसा के मामले में नामजद आरएसएस और संघ के करीबियों पर कोई कार्रवाई नही हुई और जबकि पूजा की हत्या कर दी गई। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) का यह पोस्टर सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा है।
19 साल की पूजा की हत्या का शक, उसके घरवालों के बयान से भी पैद हुआ है। उनका आरोप है कि पूजा ने घर में आग लगाने की घटना की चश्मदीद बतौर पुलिस को दिए बयान में कुछ लोगों का नाम लिया था। उस पर अपना बयान वापस लेने का दबाव डाला जा रहा था।
पुलिस के मुताबिक पूजा के परिवार और आरोपितों के बीच संपत्ति को लेकर भी विवाद चल रहा था। पुलिस हर कोण से जाँच कर रही है।
1 जनवरी 2008 को भीमा कोरेगाँव युद्ध की 200वीं बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में दलितों की बड़ी तादाद जश्न मनाने जुटी थी। 1818 में हुए इस युद्ध में पेशवा की सेना को हराने वाली अंग्रेज़ी सेना में दलितों की तादाद काफ़ी थी। यह जीत दलितों के शौर्य के प्रतीक के रूप में याद की जाती है जिसे कुछ लोग पसंद नहीं करते।
इस साल जश्न के दौरान हमला हुआ था जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इस मामले में आरएसएस के करीबी और शिव प्रतिष्ठानके संस्थापक संभाजी भिड़े और हिंदूवादी नेता मिलिंद एकबोटे आरोपित हैं।