राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान [National Institute of Technology(NIT)] पटना में नए सत्र (सत्र 2021-22) से अभियंत्रण (Engineering) को भी हिंदी माध्यम में पढ़ाया जाएगा। एनआईटी हिंदी माध्यम से इंजीनियरिंग की शिक्षा शुरू करने वाला देश का पहला संस्थान होगा। बता दें, कि 14 सितंबर हिंदी दिवस के दिन आईआईटी बीएचयू ने भी हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने की घोषणा की थी। हालांकि अगले सत्र से यहां हिंदी में पढ़ाई शुरू की जाएगी।
बी.टेक. के पहले सेमेस्टर (2021-22) हिंदी में शुरूू…
एनआईटी पटना के निदेशक प्रो. प्रदीप कुमार जैन ने कहा कि संस्थान ने बी.टेक. पाठ्यक्रम के पहले सेमेस्टर (2021-22) से हिंदी में पढ़ाई की व्यवस्था शुरू करने का निर्णय लिया गया है। यानी पहले सेमेस्टर के बी.टेक. के छात्र हिंदी माध्यम से पढ़ाई कर सकेंगे। हालांकि छात्रों के पास अंग्रेजी में भी पढ़ने का विकल्प होगा। हिंदी और अंग्रेजी दिनों ही माध्यम के छात्रों के लिए सेक्शन अलग-अलग होंगे।
अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी पढ़ाई की होगी शुरुआत…
प्रो. प्रदीप कुमार जैन ने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। आने वाले समय में अन्य क्षेत्रीय भाषाओं (regional languages) में भी पढ़ाई शुरू की जाएगी। यह तात्कालिक परिस्थितियों की पढ़ाई पर निर्भर होगा।
इससे छात्रों की मदद होगी या मुश्किल?
हिंदी माध्यम के कुछ ऐसे विद्यार्थी होते है जिनकी अंग्रेज़ी भाषा में पकड़ अच्छी नहीं होती ऐसे में अगर वह अभियंत्रण, मेडिकल जैसे फील्ड में जाते हैं तो अंग्रेज़ी की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिससे देखते हुए ही अब संस्थान हिंदी माध्यम के पढ़ाई की शुरुआत कर रहें हैं। हिंदी के अस्तित्व को बचाने के लिए यह एक अच्छा कदम है लेकिन हिंदी में पढ़ाई के बाद उन्हें कितनी सफलता मिलेगी? यह कहना मुश्किल है और इसका कारण खुद भारत ही है।
आज के समय में देश में अंग्रेज़ी को कितना महत्व दिया जाता है इसे वह लोग अच्छे से समझ सकते है, जो हिंदी पर अच्छी पकड़ होने के बावजूद भी अंग्रेज़ी भाषा में कमज़ोर है और पढ़ाई व नौकरी के लिए इसी वजह से संघर्ष कर रहें हैं। हिंदी हमारी मातृभाषा है लेकिन इसके लिए एक दिन बनाया गया है जिसे हम हिंदी दिवस के रूप में मनाते है। इस दिन हिंदी पर चर्चा उसकी वाहवाही की जाती है। अगर हिंदी में पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए संस्थान शुरू किए जा रहे है तो क्या आगे इनसे पढ़े बच्चों को नौकरियों के लिए संघर्ष नही करना पड़ेगा?
विदेशी भाषा अंग्रेज़ी हमारे भारत में इस तरह बसी है की उसके आगे अपनी मातृभाषा को महत्व ही नही दिया जाता। कोई भी क्षेत्र हो सरकारी, प्राइवर हर जगह बिना अंग्रेज़ी नौकरी नही है। बड़े -बड़े सरकारी संस्था, प्राइवेट कंपनियां में नौकरी के लिए पहली मांग अंग्रेजी होती है। लाख आपकी हिंदी उत्तम या अति उत्तम हो आप अंग्रेज़ी नही बोल पाए तो आपको तुरंत अस्वीकृति किया जाता है। अंग्रेज़ों ने भारत तो छोड़ दिया लेकिन भारत से अंग्रेज़ी को छोड़वाना व हिन्दी को महत्व दिलाना असंभव है। अब इन सब परिस्थितियों को देखते हुए विद्यार्थी हिंदी में शुरू हो रही इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए खुश हों या दुःख जताए।