चुनाव कार्यक्रम के लगभग दो घंटे पहले कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी वाद्रा ने आज दोपहर क़रीब आधे घंटे तक फ़ेसबुक लाइव किया। इस लाइव के दौरान उन्होंने कुछ अहम सवालों के जवाब दिये। इस लाइव के अहम सवाल-जवाब पेश हैं–
आप सबका स्वागत है। पहली बार फेसबुक लाइव कर रही हूँ। अगर कुछ गड़बड़ी हो तो माफ़ कीजिएगा। देखकर ख़ुशी हुई कि कई शहरों में ‘लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ’ मैराथन में बड़ी संख्या में लड़कियाँ शामिल हुईं। यह नारा काफ़ी लोकप्रिय हो रहा है।
*कहाँ से आया नारा..?
‘लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ’ नारे का पहला पार्ट मेरे दिमाग़ में आया। मैं यह ज़ोर देकर कहना चाहती थी कि मैं लड़की हूँ, फिर साथियों के साथ बहस-मुबाहिसे में पूरा नारा निकला। किसी एक को श्रेय नहीं है।
*सबसे पसंदीदा महिला राजनेता?
वर्तमान महिला नेताओं में जैसिंडा अर्डन। बहुत नेचुरल हैं। महिला के गुण दिखते हैं। स्ट्रांग हैं, बहादुर हैं। एक बार बम फटा था फिर भी प्रेम और करुणा की बात की। जनता से जुड़ी हैं। सोशल मीडिया से जुड़ी हैं। कोई दिखावा नहीं। कोई नौटंकी नहीं। नवजात बच्ची को लेकर संसद चली गयीं। उनकी नीतियां भी पसंद हैं।
अतीत में देखूं तो मैं अपनी दादी इंदिरा गांधी से बहुत प्रभावित हूं। वही मेरा इन्सपेरेशन हैं।
*घर और बाहर का संतुलन?
25 साल तक गृहणी ही रही। अभी फरवरी में 25वीं वर्षगांठ है। अब बच्चे बड़े हैं। बाहर पढ़ते हैं। अब आदत है, घर के साथ बाहर काम करने की। बच्चे अब बड़े हैं और अपनी जिम्मेदारी उठाते हैं। पति भी बहुत सपोर्टिव हैं तो बहुत मुश्किल नहीं होती।
*लड़की हूँ लड़ सकती हूँ अभियान में लड़के क्या भूमिका निभा सकते हैं?
मेरे बेटे ने भी ये गुलाबी बैंड पहना था कल, मैं इंस्टाग्राम पर लगाना चाहती थी। लड़कों को लड़कियों को बराबर समझना चाहिए। दोनों की विशेषताएं अलग है, लेकिन असल चीज़ है बराबरी। यह अच्छा है कि पुरुष बदल रहे हैं। वे महिला को मजबूत होते देखना चाहते हैं।
*क्या ये अभियान यूपी तक ही है?
हमने ये आंदोलन यूपी में शुरू किया था। लेकिन यूपी चुनाव के बाद इसे हम पूरे देश में ले जाएंगे। महिलाओं की बराबरी का मुद्दा महत्वपूर्ण है। अब आप उन्हें दरकिनार नहीं कर सकते। बीते कुछ दिनों में बीजेपी, सपा और आम आदमी पार्टी भी महिलाओं की बात कर रही है। इसका श्रेय मुझे नहीं महिलाओं को है। महिलाओं को गैस के चूल्हे तक सीमित करना गलत होगा। उन्हें हर स्तर पर बराबरी चाहिए। मैं इस अभियान को कमजोर नहीं पड़ने नहीं दूंगी। पूरे देश मे इसे लेकर जाना पसंद करूंगी।
*इंदिरा जी से जुड़ा कोई क़िस्सा?
उनका पूरा जीवन ही प्रेरणास्पद रहा है। उनका सबसे बड़ा गुण उनकी निडरता थी। एक बार उड़ीसा में मंच पर उन पर पत्थर फेंके गये। वे बोलती रहीं। उनकी नाक पर चोट आयी। नाक की हड्डी टूट गयी। खून बहता रहा, पर वे भाषण देती रहीं। वे धैर्य और साहस की प्रतीक थीं। उन्हें मालूम था कि उन्हें कुछ निर्णय लेने पड़ेंगे जिसकी वजह से कुछ लोग उनके प्रति हिंसक हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने सही फैसले लिए। वे आयरन लेडी थी तो करुणा और प्रेम की भी प्रतीक थीं।
*स्त्री सशक्तिकऱण का क्या अर्थ है?
राजनीतिक रूप से सशक्त बनाना है तो गैस सिलेंडर या कुछ पैसे देने से काम नहीं चलेगा। उन्हें बराबरी देनी होगी। शिक्षा और सेहत, रोजगार के लिए महिलाओं के लिए क्या कर सकते हैं, ये देखना होगा। हमारा ‘शक्ति विधान’, महिला घोषणापत्र है। इसमें महिलाओं के सशक्तिकरण की पूरी योजना हमने रखी हैं। आप सभी इस घोषणापत्र पढ़िये, बहुत दिलचस्प है। महिलाओं के लिए हम क्या करना चाहते हैं, सब लिखा है।
दूसरा व्यक्तिगत रूप से सशक्त महसूस करने का मसला है। हम कब समझेंगे कि हममें शक्ति है। हर चीज का सामना करने की शक्ति हमारे पास है। पिछले डेढ़ साल में जहां-जहां महिलाओं पर उत्पीड़न हुआ मैं वहां गयी। जब उन्नाव में बलात्कार हुआ था एक लड़की के साथ जिसे जलाया गया। उस लड़की ने कहा था कि मैं लड़ूंगी। रायबरेली में केस दर्ज हुआ। कचहरी जाने के लिए रोज सुबह वह ट्रेन से रायबरेली जाती थी। उसने पिता से कहा था कि ये मेरी लड़ाई है, खुद लड़ूंगी। जब मैं उसके घर गयी तो उसके संघर्ष को उसकी भाभी लड़ रही थीं। हर जगह महिलाएं लड़ रही थीं। तो मेरे मन में ये भावना आयी की ये जो महिलाएं हैं कितना सह रही हैं, लेकिन लड़ रही हैं। इसी भावना से हमारा नारा प्रेरित है- लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ। महिलाओं को समझना होगा कि हमारे अंदर ये शक्ति है कि हम एकजुट होकर भविष्य बदल सकती हैं।
* पर सभी पार्टियों में पुरुष ही ज्यादा हैं। बदलाव कैसे होगा..?
इसीलिए मैं चुनाव में 50 फीसदी टिकट देना चाहती थी, लेकिन काफी विचार के बाद 40 फीसदी से शुरुआत की हैं। हम आधी आबादी हैं तो 50 होनी चाहिए। पर शुरुआत की है..
*महिलाओं पर अत्याचार का आप पर प्रभाव?
मैंने देखा है कि किसी तरह महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ। अपराधियों पर एक्शन नहीं उल्टा महिलाओं पर आरोप। मुझ पर और मेरी राजनीति पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है।
*राजनीति में बढ़ रही नफरत से कैसे निपटेंगी?
एक ही तरीका है। ये मेरी मौलिक बात नहीं है। हमारी संस्कृति में, वेद, पुराण, बुद्ध, नानक सबने कहा कि नफरत का मुकाबला सिर्फ प्रेम कर सकता है। नकारात्मक चीजों का मुकाबला सिर्फ सकारात्कम चीजें कर सकती हैं। हमारे पास सिर्फ सकारात्मक कैंपेंन है। हमें परवाह है कि विकास कैसे हो, रोजगार कैसे हो, महिलाएं सशक्त कैसे हों…बाधाएं कैसे हटायें ताकि लोगों को हक मिल सकें। आज किसान, महिलाएं, नौजवान सब परेशान है। जो राजनीति में हिंसा लाना चाहते हैं उनका मकसद है कि आप उनसे सवाल न करें।
*क्या राजनीति सेफ है महिलाओं के लिए?
यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस की जो लिस्ट आएगी उसमें आप ऐसी महिलाएं पाएंगे जिन्होंने बहुत संघर्ष किया। समाजवादी पार्टी की एक महिला थीं जिनकी पंचायत चुनाव में साड़ी फाड़ी गयी, उन्हें लड़ाएंगे ताकि ऐसे संघर्षशील लोग आगे आ सकें। जब पूरी कांग्रेस उस महिला के साथ खड़ी होगी तो उस महिला को सुरक्षा महसूस होगी। अगर आप महिला हैं, राजनीति में आना चाहती हैं तो आइये मुझसे मिलिए। हम बात करेंगे।
* क्या महिलाओं को रोजगार में भी आरक्षण देंगी?
‘शक्ति विधान’ में हमने लिखा है कि जैसे टिकट देंगे महिलाओं को उसी तरह रोजगार भी 40 फीसदी आरक्षण देंगे। ऐसा करते हुए मौजूदा आरक्षण के नियमों का पालन किया जाएगा।
*यूपी स्वास्थ्य सेवाओं में सबसे निचले स्थान है, आपकी क्या योजना है..?
वाकई यूपी स्वास्थ्य व्यवस्था में निचले पायदान पर है। खासतौर पर महिलाओं की सेहत के लिए। हमारी सरकार आने पर पूरे राज्य में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सभी रिक्त पद भरे जायेंगे। किसी भी बीमारी में 10 लाख तक मुफ्त इलाज होगा। शहर और ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे को राष्ट्रीय औसत के अनुरूप करेंगे। हर स्वास्थ्य केंद्र में एक कमरा सिर्फ महिलाओं के लिए होगा जहां महिला डाक्टर उन्हें देखेंगी।
मानसिक स्वास्थ्य का बड़ा सेंटर बनाएंगे। लखनऊ में बड़ा केंद्र और राज्य के चार शहरों में अलग ताकि महिलाओं की साइकोलोजिकल समस्याएं दूर हो सकें। हेल्थ का बजट बढ़ाएंगे। कोरोना के दौर में डाक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने जिनता काम किया उसके एवज़ मे उन्हें कुछ नहीं मिला। उसे भी बेहतर करेंगे।
फिर मिलेंगे। बहनें खासतौर पर अपने सवाल भेजती रहें।