गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री विष्णु पांड्या ने भी गोडसे को देशभक्त कहा

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गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष और संघ विचारक पद्मश्री विजेता विष्णु पांड्या ने गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देश भक्त का ख़िताब दिया है. हाल ही में ख़त्म हुए लोकसभा चुनाव के दौरान प्रज्ञा ठाकुर ने भी इसी प्रकार का बयान दिया था. पांड्या के बयान को उसी के समर्थन में देखा जाना चाहिए. 

गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष और शीर्ष संघ विचारक विष्णु पंड्या ने GSTV (11 मिनट से शुरू) पर चुनाव परिणाम पर एक बहस में भाग लेते हुए कहा कि “गोडसे एक देशभक्त थे और गांधी भी देशभक्त थे “.

वह बहस में एक अन्य प्रतिभागी और गुजराती विश्लेषक राजेश ठाकेर के एक सवाल का जवाब दे रहे थे.
राजेश ठाकेर ने जब खेद प्रकट करते हुए कहा कि प्रज्ञा ठाकुर की पसंद जीत गई,भले ही वे गोडसे को देशभक्त मानती हैं.
इस पर जवाब देते हुए पांड्या ने गंभीर मुद्रा में जोर देकर कहा कि किसी को समझना चाहिए कि ठाकुर क्यों जीती. उन्होंने कहा -“मुझे लगता है कि उसे जीतना चाहिए था, और वह जीत गई. ठीक है, वह जमानत पर है, सोनिया गाँधी भी जमानत पर हैं.

पांड्या ने वही कहा जो प्रधानमंत्री मोदी ने भी एक टीवी इन्टरव्यू में प्रज्ञा ठाकुर को टिकट दिए जाने के सवाल पर उनके बचाव में कहा था.

पांड्या ने कहा कि लेकिन मूल रूप से चीजें इस तरह से पहुंचीं जहां एक महिला जिसे कैंसर था उसके साथ बुरी तरह से दुर्व्यवहार किया गया. क्या यह मानवाधिकार का मुद्दा नहीं है?
प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी को सही ठहराते हुए पांड्या ने कहा कि उन्हें चुनाव लड़ाने का निर्णय सही था क्योंकि “चारों ओर भगवा आतंक, हिंदू आतंक की बात फैलाई जा रही थी, हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकते, वे स्वभावतः सहिष्णु होते हैं.”

पांड्या ने प्रज्ञा ठाकुर को एक साधारण महिला और संत कहते हुए कहा कि जो भजन गाती हैं उसे जो गालियां दी गई उसे कोई पसंद नहीं करेगा.
गोडसे को देशभक्त वाली प्रज्ञा की टिप्पणी पर पांड्या ने कहा कि वह उनकी टिप्पणी से सहमत हैं.उन्होंने कहा कि वह भी मानते हैं कि गोडसे देश भक्त थे और गाँधी भी.
इस बहस में पांड्या ने बिना किसी स्रोत का हवाला देते हुए कहा कि “अगर गोडसे ने गांधी को मार दिया, तो गांधी के नाम पर महाराष्ट्र में भी 8,000 लोग  मारे गए” पांड्या ने हैरानी जताते हुए कहा कि इस मुद्दे पर कोई बात क्यों नहीं करता?

विष्णु पांड्या को साल 2017 में मोदी सरकार ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया था.

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने गोडसे को देशभक्त कहा था. जिसके बाद उनकी खूब आलोचना हुई और उनकी पार्टी बीजेपी ने इस बयान से खुद को अलग करते हुए उनसे माफ़ी मांगने को कहा था.पहले तो प्रज्ञा सिंह ने माफ़ी मांगने से इंकार किया, किन्तु बाद में माफ़ी मांग ली.

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भले ही प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान भारत की यात्रा पर आये तमाम अन्य देशों के राष्ट्र अध्यक्षों को मोदीजी साबरमती के गाँधी आश्रम घुमाने ले गये हों और अपने हर दूसरे भाषण में गाँधीजी का जिक्र करते हों, किन्तु सच यह है कि संघ के लिए गाँधी कभी भी प्रासंगिक नहीं रहे.


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