विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया, उठ रहे हैं कई सवाल

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उत्तर प्रदेश के कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या का आरोपी और मोस्ट वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर में मार दिया गया है। पुलिस का कहना है कि कानपुर देहाद के भौती इलाके में गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे पुलिसवालों का पिस्टल छीनकर भाग रहा था। उसे सरेंडर करने का मौका दिया गया, लेकिन उसने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी फायरिंग में उसे गोली लगी और उसकी मौत हो गई है।

मुठभेड़ के बाद विकास दुबे को कानपुर के हैलट अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस के चार जवान भी घायल हुए हैं। घायल जवानों को भी इलाज के लिए हैलेट अस्पताल लाया गया है। विकास दुबे को कल ही उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से गिरफ्तार किया गया था। उसे यूपी एसटीएफ उज्जैन से गाड़ी के जरिये कानपुर ला रही थी।

विकास दुबे एनकाउंटर पर पुलिस ने आधिकारिक बयान जारी किया है। जिसमें कहा गया है- “अवगत कराना है कि थाना चौबेपुर पर दिनांक 03.07.2020 को पंजीकृत मु0अ0स0 192/20 धारा 147/148/149/302/307/394/120बी भादवि0 व 7 सीएलए एक्ट जो 08 पुलिसकर्मियों के शहीद होने से सम्बन्धित है,  में वांछित 5 लाख रु0 का इनामियां अभियुक्त विकास दुबे पुत्र राम कुमार दुबे नि0 बिकरू थाना चौबेपुर कानपुर नगर को उज्जैन, मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जाने के पश्चात पुलिस व एसटीएफ टीम द्वारा आज दिनांक 10.07.2020 को कानपुर नगर लाया जा रहा था। कानपुर नगर भौंती के पास पुलिस का उक्त वाहन दुर्घटना ग्रस्त होकर पलट गया, जिससे उसमें बैठे अभियुक्त व पुलिस जन घायल हो गये। इसी दौरान अभि0 विकास दुबे उपरोक्त ने घायल पुलिस कर्मी की पिस्टल छीन कर भागने की कोशिश की। पुलिस टीम द्वारा पीछा कर उसे घेर कर आत्मसमर्पण करने हेतु कहा गया किन्तु वह नहीं माना और पुलिस टीम पर जान से मारने की नियत से फायर करने लगा पुलिस द्वारा आत्मरक्षार्थ जबाबी फायरिंग की गई, उपरोक्त विकाश दुबे घायल हो गया, जिसे तत्काल ही ईलाज हेतु अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान अभियुक्त विकास दुबे की मृत्यु हो गयी है।

विकास दुबे के एनकाउंटर पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि पुलिस के काफिले के साथ चल रहे मीडिया कर्मियों को एनकाउंटर से कुछ देर पहले टोल नाके पर क्यों रोक दिया गया था? मीडिया की गाड़ियों को रोकने के बाद पुलिस का काफिला आगे बढ़ गया था और थोड़ी ही दूरी पर एक्सीडेंट हुआ और फिर एनकाउंटर हो गया। यही नहीं पुलिस की जो गाड़ी पलटी है रोड पर उसके फिसलने के निशान भी नहीं दिखे। सवाल ये भी उठ रहा है कि 8 पुलिसकर्मियों की बर्बर तरीके से हत्या करने वाले हत्यारे को जब उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था तो उसके हाथ में हथकड़ी क्यों नहीं थी, उसके हाथ क्यों खुले हुए थे?

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि “दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है”।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सरकार से सवाल किया है कि विकास दुबे को संरक्षण देने वालों का क्या होगा। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा है कि “अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वालों का क्या?

बीएसपी प्रमुख मायावती ने इस पूरे मामले की सुप्रीमकोर्ट की निगरानी में उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है। मायावती ने ट्वीट कर कहा कि “कानपुर पुलिस हत्याकाण्ड की तथा साथ ही इसके मुख्य आरोपी दुर्दान्त विकास दुबे को मध्यप्रदेश से कानपुर लाते समय आज पुलिस की गाड़ी के पलटने व उसके भागने पर यूपी पुलिस द्वारा उसे मार गिराए जाने आदि के समस्त मामलों की माननीय सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए”।

मायावती ने आगे कहा कि “यह उच्च-स्तरीय जाँच इसलिए भी जरूरी है ताकि कानपुर नरसंहार में शहीद हुए 8 पुलिसकर्मियों के परिवार को सही इन्साफ मिल सके। साथ ही, पुलिस व आपराधिक राजनीतिक तत्वों के गठजोड़ की भी सही शिनाख्त करके उन्हें भी सख्त सजा दिलाई जा सके। ऐसे कदमों से ही यूपी अपराध-मुक्त हो सकता है”।

कांग्रेस नेता और एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने यह कहकर इस एनकाउंटर पर सवाल उठाया कि जिसका शक था वह हो गया। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया कि “जिसका शक था वह हो गया। विकास दुबे का किन किन राजनैतिक लोगों से, पुलिस व अन्य शासकीय अधिकारियों से उसका संपर्क था, अब उजागर नहीं हो पाएगा। पिछले 3-4 दिनों में विकास दुबे के 2 अन्य साथियों का भी एनकाउंटर हुआ है लेकिन तीनों एनकाउंटर का पैटर्न एक समान क्यों है?”

दरअसल अभी यही बहस चल रही थी कि विकास दुबे की उज्जैन स्थित के महाकाल मंदिर से गिरफ्तारी हुई है या उसने एनकाउंटर से बचने के लिए कुछ लोगों की मदद से सरेंडर किया है। लेकिन जैसे ही लोगों को उसके मुठभेड़ में मार दिये जाने की खबर मिली सोशल मीडिया में विकास दुबे को अस्पताल ले जाने का वीडियो वायरल हो गया। और तमाम विपक्षी दलों के नेता और लोग इस मुठभेड़ पर सवाल खड़े करने लगे। देखते देखते सोशल मीडिया पर #vikasDubeyEncounter और #FakeEncounter ट्रेंड करने लगा। देखें कुछ ट्वीट-


 


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