अयोध्‍या पर सुनवाई टलने से कुम्‍भ में रोष, विहिप की धर्म संसद ले सकती है कड़ा फैसला


विश्‍व हिंदू परिषद के साधु संत राम मंदिर ‍निर्माण के लिए एक संकल्‍प लेने वाले हैं कि आगामी राम नवमी से मंदिर निर्माण का काम शुरू कर दिया जाए


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Naga Sadhus or Hindu holy men arrive to take a dip during the first "Shahi Snan" (grand bath) during "Kumbh Mela" or the Pitcher Festival, in Prayagraj, previously known as Allahabad, India, January 15, 2019. Picture taken January 15, 2019. REUTERS/Danish Siddiqui - RC134F584480


अयोध्‍या मामले पर 29 जनवरी यानी कल जो सुनवाई तय थी वह अब अनिश्चितकाल के लिए टल गई है क्‍योंकि खण्‍डपीठ का एक जज ‘अनुपलब्‍ध’ है। खबरों के मुताबिक पांच जजों की जिस बेंच को सुनवाई करनी थी और जिसका विश्‍व हिंदू परिषद के साधु-संतों को बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था, अब वह सुनवाई 29 जनवरी को नहीं होगी क्‍योंकि जस्टिस एसए बोबडे सुनवाई के लिए ‘उपलब्‍ध’ नहीं हैं।

यह भी स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है कि उक्‍त न्‍यायाधीश कब ‘उपलब्‍ध’ होंगे। इस ख़बर के आते ही इलाहाबाद में चल रहे अर्धकुम्‍भ में साधु-संतों में हड़कम्‍प मच गया है। गौरतलब है कि इसी फैसले के इंतज़ार में विश्‍व हिंदू परिषद ने 1 फरवरी को इलाहाबाद में एक धर्म संसद का आयोजन किया है जिसमें कोर्ट के रुख के हिसाब से राम मंदिर के निर्माण से संबंधित फैसला लिया जाना है।

सूत्रों के मुताबिक 1 फरवरी की धर्म संसद में विश्‍व हिंदू परिषद के साधु संत राम मंदिर ‍निर्माण के लिए एक संकल्‍प लेने वाले हैं कि आगामी राम नवमी से मंदिर निर्माण का काम शुरू कर दिया जाए। इस मसले पर योग गुरु रामदेव का बयान भी गौरतलब है जिन्‍होंने कहा है कि अदालत की ओर से कोई फैसला आने की संभावना क्षीण दिख रही है इसलिए सरकार को ही पहल करनी चाहिए।

ध्‍यान रहे कि इससे पहले भी अयोध्‍या में जमीन विवाद पर 10 जनवरी की सुनवाई इसलिए टल गई थी क्‍योंकि जस्टिस यूयू ललित ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया था। ऐसा इसलिए हुआ क्‍यों‍कि वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता राजीव ध्‍वन ने मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली बेंच को बताया था कि जस्टिस ललित 1994 में उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री कल्‍याण सिंह की ओर से पैरवी कर चुके थे।

इसके बाद अदालत ने रजिस्‍ट्री को आदेश दिया था कि वह अयोध्‍या मामले से जुड़े सभी रिकार्डों को खंगाले और 29 जनवरी को कोर्ट को बताए कि उसे सभी उपलब्‍ध दस्‍तावेजों के अनुवाद में कितना वक्‍त लगेगा जो फारसी, उर्दू, अरबी और गुरुमुखी में हैं।


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