बिजली विभाग के कर्मचारियों और पेंशनरों के 2600 करोड़ के घोटाले के मामले में जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने पूर्व एमडी एपी मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया है, उन्हें सपा के मालिक अखिलेश यादव का खास माना जाता था। एपी मिश्रा पर प्रदेश के बिजली विभाग के कर्मचारियों के पीएफ का पैसा निजी कंपनी डीएचएफएल कंपनी में लगाने का आरोप है।
इसके अलावा सरकार ने देर रात यूपीपीसीएल की एमडी अपर्णा यू को भी हटा दिया। उनके स्थान पर केंद्र की प्रतिनियुक्ति से लौटे एम देवराज को एमडी बनाया गया है। मामले की जांच के लिए सरकार ने सीबीआई जांच के निर्देश दिए हैं। सीबीआई के केस लेने के पहले तो ईओडब्ल्यू के डीजी को जांच के निर्देश दिए गए हैं।
ईओडब्ल्यू ने सोमवार को ट्रस्ट के कार्यालय को सील कर दिया था। पुलिस की टीमें सोमवार रात से लखनऊ के गोमतीनगर और अलीगंज स्थित यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी एपी मिश्रा के आवास पर नजर बनाई हुई थीं, उनसे अज्ञात स्थान पर ईओडब्ल्यू की टीम पूछताछ कर रही है। आरोप है कि सपा सरकार में उन्हें नियम विरुद्ध तरीके से तीन बार एक्सटेंशन मिला था। इन्होंने पूर्व सीएम अखिलेश यादव पर एक किताब लिखी थी, जिसका विमोचन तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास पर किया था।
बिजली विभाग में घोटोले को लेकर सरकार को चौतरफा हमलों का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारी नेताओं की यूपीपीसीएल प्रबंधन से वार्ता बेनतीजा होने के बाद आज बिजली कर्मचारी शक्ति भवन मुख्यालय सहित प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन करेंगे। साथ ही 18-19 नवम्बर को 48 घण्टे कार्य बहिष्कार करेंगे। वहीं, कांग्रेस ने मामले को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
लगातार हमले से बिफरे ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार ‘लल्लू’ द्वारा उनके ऊपर लगाए गए निजी आरोप मनगढंत, तथ्यों से परे और शर्मनाक हैं। उन्हें अपने इन निंदा योग्य आरोपों पर अविलंब माफी मांगनी चाहिए, नहीं तो वह आपराधिक मानहानि का मुकदमा झेलने के लिए तैयार रहें।
मानहानि के मुक़दमे करने का बड़ा शोक है मोदी की भाजपा के नेताओं को लेकिन वह सिर्फ़ अपने ऊपर दबाव कम करने के लिए होता है, जैसा देखने में आया है। ग़ौरतलब हो कि जब 23 मार्च को एपी मिश्रा ने इस्तीफा दे दिय़ा और 24 मार्च को बोर्ड की बैठक हुई वा बैठक के बाद डीएचएफएल को पैसा ट्रांसफर हुआ तब एपी मिश्रा एमडी नहीं थे।
चहेते आईएएस अफसरों एवं पूर्व एमडी विशाल सिंह को बचाने के लिए एपी मिश्रा की गिरफ्तारी हुई है। मिश्रा ने जब 23 मार्च को इस्तीफा दे दिय़ा और 24 मार्च को बिज़ली बोर्ड की बैठक हुई जिसमें डीएचएलएफ मै पैसा निवेश करने का निर्णय लिया गया उसकी मिनिट्स में एमडी की हैसियत से विशाल सिंह के हस्ताक्षर हैं।
बोर्ड की बैठक में पास हुए प्रस्ताव और मिनिट्स पर सभी लोगों के हस्ताक्षर के बाद ही पैसा ट्रांसफर हुआ। जब बोर्ड बैठक और पैसा ट्रांसफर के समय एपी मिश्रा एमडी नही थे तो उनकी गिरफ्तारी क्यों की गयी, यह सवाल अहम है।
क्या तत्कालीन एमडी विशाल सिंह को बचाने के लिए एपी मिश्रा की गिरफ्तारी हुई है?