देश में इस वक्त हर तरफ बीमारियां फैली हुई हैं। दो साल से कोरोना ने जिंदगी दुश्वार कर दी और अब तमाम बीमारियों ने, हालांकि अब कोरोना संक्रमण के मामले कम हुए है, लेकिन इस वायरस ने हमे इतना कमज़ों बना दिया की संक्रमण से निजात मिलने के बाद भी लोग कई तरह की शारीरिक बीमारियों से जूझ रहे हैं। इन बीमारियों से लोगों में सेप्टीसीमिया का खतरा बढ़ रहा है। संक्रमित लोग कोरोना से जीतने के बाद सेप्टीसीमिया से हार रहे हैं। सेप्टीसीमिया को वैज्ञानिक भाषा में सुपर इंफेक्शन कहा जाता हैं।
जीवाणु-कवक शरीर को भीतर से संक्रमित कर रहा..
हालात कितने खराब होते जा रहे हैं इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जिला अस्पताल के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हर माह 45 से 50 मरीजों को रेफर किया जा रहा है। जिसके बाद बीआरडी से गंभीर हालत में मरीजों को केजीएमयू व एसजीपीआई लखनऊ भेजा जा रहा है। वहीं, यह जानकारी भी आ रही है कि कोविड आईसीयू में भर्ती मरीज़ों में अब सेकेंडरी संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। जिसका मतलब यह है कि वायरस से जूझ रहे मरीज़ अचानक से जीवाणु-कवक (bacterial-fungus) की चपेट में आ रहे हैं। यह जीवाणु-कवक मरीज़ों के पूरे शरीर को भीतर से संक्रमण की चपेट में ला रहा है। ऐसे में यह बीमारी कम इम्युनिटी वाले मरीज़ों के लिए जानलेवा भी साबित हो रही है।
सुपर इंफेक्शन की वजह से डिप्रेशन..
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि इसे सुपर इंफेक्शन कहा जाता है। यह अत्यंत घातक है। सुपर इंफेक्शन की वजह से मल्टी ऑर्गन फेल्योर होने के साथ-साथ मरीज सदमे में भी जा रहा है। ऐसे में आईसीयू में भर्ती मरीजों का समय-समय पर ब्लड मार्कर और कल्चर टेस्ट कराते रहना चाहिए। इनमें से कई मरीजों की मौत भी हो चुकी है। डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हर माह करीब 100 से 120 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं, आईसीयू में ऐसे मरीजों की संख्या भी पिछले दो महीने से बढ़ी है। अब हालत ये है कि इनमें से कई गंभीर मरीजों को लखनऊ रेफर करना पड़ रहा है।
यह हैं सेप्टिसीमिया के लक्षण..
सेप्टिसीमिया के रोगियों में तेज सांस लेना, धड़कन बढ़ना, त्वचा पर चकत्ते, कमजोरी या मांसपेशियों में दर्द, पेशाब रुकना, अधिक गर्मी या ठंड लगना, कंपकंपी, उलझन महसूस होने जैसे लक्षण होते हैं।