5 सितंबर 5 बजे: बेरोज़गारी पर ताली-थाली बजाकर सरकार पर ‘युवा हल्ला बोल !’

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
ख़बर Published On :


 

बेरोज़गारी के मुद्दे पर सक्रिय ‘युवा हल्ला बोल’ ने मोदी सरकार पर युवाओं के भविष्य को अंधकारमय और अनिश्चित बनाने का गंभीर आरोप लगाया है।

संगठन के संस्थापक अनुपम ने कहा कि देश के सबसे बड़े संकट के प्रति सरकार गंभीर नहीं है और समस्या से निपटने की बजाए सोयी हुई है। मोदी सरकार को इसी नींद से जगाने के लिए देशभर के बेरोज़गार युवा शनिवार 5 सितंबर को शाम 5 बजे 5 मिनट के लिए ताली, थाली या घंटी बजाएंगे।

अनुपम ने बताया कि इस कार्यक्रम के दो मुख्य उद्देश्य हैं। एक तो है कि शिक्षक दिवस के अवसर पर छात्रों का साथ देने के लिए उनके शिक्षकों का आभार प्रकट करना। दूसरा मक़सद है कि नींद से जगे मोदी सरकार, ताकि युवाओं को मिले नौकरी रोज़गार। देशभर के कई संगठन और राजनीतिक दलों ने भी इस कार्यक्रम को समर्थन का ऐलान किया है।

कोरोना महामारी को देखते हुए ‘युवा हल्ला बोल’ ने छात्रों से अपील किया है कि वो अपने अपने घरों से ही कार्यक्रम में हिस्सा लेकर एकजुटता का संदेश दें।

पिछले कुछ दिनों से सरकारी नौकरियों में देरी को लेकर युवाओं का डिजिटल प्रोटेस्ट चल रहा है। असल में देश भर के बेरोज़गार युवा भारी आक्रोश में हैं, आंदोलित हैं। कारण ये है कि बेरोज़गारी में भारत ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। जो सरकार करोड़ों रोज़गार सृजन करने के वादे पर आयी थी, उसने सब कुछ तहस नहस कर दिया। युवाओं के बेहतर भविष्य के प्रति सरकार की उदासीनता और तुगलकी नीतियों का ये असर हुआ कि देश की अर्थव्यवस्था आज कराह रही है। पिछली तिमाही में 23.9% की गिरावट होना ऐतिहासिक है। ये सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि लोगों की रोज़ी रोटी जान माल उद्योग धंधे के बेड़ागर्क होने का प्रतिबिंब है। सबसे दुख की बात है कि प्रधानमंत्री से लेकर किसी मंत्री तक ने इसपर कोई बयान तक देना उचित नहीं समझा।

ऐसे वक्त में ज़रूरी था कि सरकार कम से कम सरकारी नौकरियों के माध्यम से युवाओं की हताशा को दूर करती और भविष्य को लेकर विश्वास पैदा करने की कोशिश करे। लेकिन इसके उलट सरकार ने पदों को खत्म करना शुरू कर दिया।

सरकारी नौकरियों की भर्ती का सालों साल लटके रहना और प्रक्रिया में अकसर होने वाली देरी के कारण छात्रों के साथ घोर अन्याय हो रहा है। छात्रों के इस आक्रोश का एक मुख्य कारण ये भी है। इस समस्या का समाधान यही है कि सरकार भर्ती परीक्षाओं के लिए मॉडल कोड तय करे। अगर इस देश में बड़े पैमाने पर चुनाव सुचारू और समयबद्ध ढंग से हो सकते हैं तो नौकरियों की भर्ती क्यों नहीं?

इसी के तहत ‘युवा हल्ला बोल’ ने ‘मॉडल एग्जाम कोड’ का प्रस्ताव दिया है जिससे हर भर्ती प्रक्रिया अधिकतम 9 महीने में पूरी हो सके। इस एग्जाम कोड के तहत किसी भर्ती के लिए विज्ञापन जारी होने से लेकर नियुक्ति तक कि प्रक्रिया 9 महीने में पूरी हो जानी चाहिए। ‘युवा हल्ला बोल’ ने रेलवे बोर्ड को भी ‘मॉडल एग्जाम कोड’ का प्रस्ताव देकर 9 महीनों में भर्ती पूरी करने की मांग की थी।

अनुपम ने मांग किया कि एसएससी अपने लंबित पड़े सभी भर्तियों को जल्द से जल्द पूरा करे। इसके अलावा डेढ़ साल से लटके पड़े रेलवे की NTPC और Group D की परीक्षाओं का ऐलान हो। युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए छात्रों की एकता देश के लिए सकारात्मक है। कोई बड़ा बदलाव युवाओं की सामूहिक ऊर्जा से ही आएगा।