उत्तर प्रदेश से एक चौकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। जहां प्रति एक हजार बच्चों में से 60 की मृत्यु पांच वर्ष की आयु से पहले हो जाती है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFSH 5) और वर्ल्ड बैंक की ओर से जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक यूपी की हालत अफगानिस्तान की तरह ही बदतर हो गई है।
अन्य राज्यों का हाल..
NFHS-5 की ओर से जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक भारत में उत्तर प्रदेश के अलावा प्रति एक हजार बच्चों पर बिहार में 56.4 और छत्तीसगढ़ में 50.4 बच्चों की 5 साल से पहले मौत हो जाती है। इसके अलावा यह आंकड़ा पुडुचेरी में 3.9/1,000, गोवा में 10.6/1,000 और केरल में 5.6/1,000 है।
पाकिस्तान में सबसे ज़्यादा..
वहीं पूरे भारत में अगर ये तस्वीर देखी जाए तो प्रति 1,000 बच्चों में से 42 की मृत्यु पांच वर्ष की आयु से पहले हो जाती है। बात करें अफगानिस्तान को तो वहां यह संख्या 60.3 है, जबकि पाकिस्तान में प्रति 1000 बच्चों में से 67.2 की मौत 5 साल की उम्र से पहले हो जाती है। यानी इस आंकड़े के मुताबिक पाकिस्तान दक्षिण एशिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां इस कैटेगरी में बाल मृत्यु दर भारत की तुलना में अधिक है।
एक तिहाई बच्चे विकसित नहीं..
2019 और 2021 के बीच किए गए हेल्थ सर्वे के मुताबिक, भारत में पांच साल से कम उम्र के एक तिहाई से अधिक बच्चे अविकसित हैं। जिन्हें WHO के मानक से देखा गया था। इस आंकड़े के मुताबिक 2019-2021 में कुल बच्चों में सबसे ज्यादा 46.5 प्रतिशत बच्चे मेघालय में अविकसित पाए गए।
कुपोषित बच्चों का आंकड़ा..
सर्वे के मुताबिक महाराष्ट्र (25.6%) और गुजरात (25.1%) में देश में सबसे अधिक कुपोषित और गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे हैं। स्टडी में पाया गया है कि भारत के कुछ आर्थिक रूप से एडवांस जिलों में कुपोषित और कम वजन वाले बच्चों का अनुपात अधिक है।
गंभीर बच्चों की स्थिति और खराब..
एक ओर जहां 2015-16 और 2019-20 के बीच कमजोर बच्चों का अनुपात कम हुआ, वहीं इसी दौरान गंभीर रूप से कमजोर बच्चों का अनुपात थोड़ा बढ़ा है। यह वह स्थिति होती है, जिसमें एक बच्चे का वजन उसकी लंबाई के औसत वजन से तीन स्टैंडर्ड डेविएशन कम होता है।