बिहार के किसानों ने रचा इतिहास, मोदी सरकार को कदम पीछे खींचने होंगे- राजाराम सिंह

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पटना 29 दिसंबर 2020। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर आज आयोजित किसानों के राजभवन मार्च में लाठीचार्ज की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बिहार-झारखंड के प्रभारी व अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि नीतीश जी किसान आंदोलनों के दमन से बाज आएं। बिहार के दूर-दराज के इलाकों से दसियों हजार की तादाद में किसान अपनी जायज मांगों को लेकर पटना आए थे, और बिहार के राज्यपाल को अपना ज्ञापन सौंपना चाहते थे। लेकिन प्रशासन ने संवेदनशील रवैया अपनाने की बजाए दमन का रास्ता अपनाया। राजाराम सिंह ने कहा कि दमन के जरिए यह जो किसानों का आंदोलन अब बिहार में भी उठ खड़ा हुआ है, उसे दबाना किसी भी सरकार के बूते की बात नहीं है। किसानों का यह आंदोलन सरकार को पीछे धकेलने के लिए मजबूर कर देगा।

इसके पूर्व आज गांधी मैदान से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर से अपनी मांगों से संबंधित तख्तियां लेकर हजारों किसानों ने राजभवन मार्च का आरंभ किया। मार्च का नेतृत्व राजाराम सिंह के अलावा अशोक प्रसाद, ललन चैधरी, अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सचिव रामाधार सिंह, राज्य अध्यक्ष विशेश्वर प्रसाद यादव आदि नेताओं ने किया। मार्च के दौरान तीनों काले कृषि कानून रद्द करो, बिजली बिल 2020 वापस लो, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान सहित सभी फसलों की खरीद की गारंटी करो, बिहार में मंडी व्यवस्था बहाल करो आदि नारे लगा रहे थे।

राजभवन मार्च कर रहे किसानों को प्रशासन ने गांधी मैदान से निकलते ही जेपी चैक पर रोक देना चाहा। लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी मांगों का ज्ञापन राज्यपाल को देना चाहते थे। जेपी चैक पर प्रशासन ने धक्का-मुक्की किया, लेकिन वह किसान सैलाब को रोक न पाई। मार्च डाकबंगला की ओर बढ़ा और फिर वहां एक बार प्रशासन ने दमनात्मक रवैया अपनाया। पुलिस लाठीचार्ज में कई किसान नेताओं के घायल होने की सूचना है।

डाकबंगला चैराहा को जाम करके किसान नेताओं ने सभा आरंभ की। सभा को सबसे पहले पूर्व विधायक राजाराम सिंह ने संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज भगत सिंह का पंजाब और स्वामी सहजानंद के किसान आंदोलन की धरती बिहार के किसानों की एकता कायम होने लगी है, इससे भाजपाई बेहद डरे हुए हैं। बिहार की धरती सहजानंद सरस्वती जैसे किसान नेताओं की धरती रही है, जिनके नेतृत्व में जमींदारी राज की चूलें हिला दी गई थीं। आजादी के बाद भी बिहार मजबूत किसान आंदोलनों की गवाह रही है। 70-80 के दशक में भोजपुर और तत्कालीन मध्य बिहार के किसान आंदोलन ने किसान आंदोलन के इतिहास में एक नई मिसाल कायम की है। अब एक बार नए सिरे से बिहार के छोटे-मंझोले-बटाईदार समेत सभी किसान आंदोलित हैं। बिहार से पूरे देश को उम्मीदें हैं। आज 29 दिसंबर के राजभवन मार्च ने साबित कर दिया है कि अब पूरा देश भाजपा के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है।

सभा को तरारी विधायक सुदामा प्रसाद ने भी संबोधित किया। सुदामा प्रसाद आज ही दिल्ली किसान आंदोलन में अपनी भागीदारी निभाकर पटना लौटे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों को बिहार के किसानों से बहुत उम्मीद है। आज के इस राजभवन मार्च से निश्चित रूप से पंजाब व पूरे देश के किसान आंदोलन को एक नई उर्जा हासिल होगी।

सभा को अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धवले ने संबोधित करते हुए कहा कि किसान विरोधी काले कानूनों की पूर्ण वापसी तथा बिजली बिल की वापसी से कुछ भी कम नहीं किसान चाहते। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य वह भी स्वामीनाथन आयोग से कुछ भी कम मंजूर नहीं। यानि किसान कृषि में लागत का डेढ़ गुना दाम से कम नहीं चाहते। सभा को अखिल भारतीय किसान सभा के नन्द किशोर शुक्ला और अतुल अंजान ने संबोधित करते हुए किसानों को लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहने को कहा।

आज के प्रदर्शन में बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव विनोद कुमार, बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के महासचिव प्रभुराज नारायण राव, बिहार राज्य किसान सभा के उपाध्यक्ष अवधेश कुमार, राजेन्द्र प्रसाद सिंह, संयुक्त सचिव अरुण कुमार, श्याम भारती, सोनेलाल प्रसाद, मनोज कुमार चंद्रवंशी, रामपरी, गणेश शंकर सिंह, अरुण कुमार मिश्र, मनोज सुनील और अहमद अली समेत कई नेता शामिल थे।

सभा को संबोधित करते हुए अन्य नेताओं ने कहा कि बिहार सरकार ने सबसे पहले 2006 में ही बाजार समितियों को खत्म कर दिया। एमएसपी खत्म होने की वजह से आज किसी भी क्षेत्र में बिहार के किसानों का सही समय पर धान की खरीद नहीं होती है, न्यूनतम समर्थन मूल्य की तो बात ही जाने दी जाए। जो काम नीतीश जी ने 2006 में बिहार में किया मोदी सरकार अब पूरे देश में वही करना चाहती है। बिहार के किसानों की दुर्दशा के लिए भाजपा-जदयू जवाबदेह है। नीतीश कुमार से हम पूछना चाहते हैं कि वे बताएं कि बिहार के किसानों को कहां-कहां न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है। इन लोगों का काम किसानों को बस ठगना है।

बाद में किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेताओं ने अपना एक ज्ञापन बिहार के राज्यपाल को भी सौंपा। अखिल भारतीय किसान महासभा की ओर से प्रतिनिधिमंडल में घोषी के विधायक रामबलि सिंह यादव भी शामिल हुए।