आज़मगढ़ : जेल में हुई सुनील पासी की मौत के जिम्‍मेदार पुलिसवालों पर केस दर्ज करने की मांग

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मुर्दाघर के बाहर बिलखते सुनील पासी के परिजन


लखनऊ, 4 सितंबर 2019। रिहाई मंच ने आज़मगढ़ में पुलिस मुठभेड़ में कथित रूप से घायल सुनील पासी की 2 सितंबर की रात में होने वाली मौत को संदिग्ध मानते हुए उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की है।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि कथित रूप से 27 अगस्त की रात में पवई और फूलपुर थानों की पुलिस द्वारा मुठभेड़ के बाद सुनील पासी और परशुराम को घायल अवस्था में गिरफ्तार किए जाने का दावा किया गया था। जैसा कि आमतौर से होता है, गोली दोनों के पैर में घुटने के पास लगी थी। उन्होंने कहा कि सुनील के भाई सुभाष सरोज का आरोप है कि उसके भाई को जेल में ज़हर देकर मारा गया। मौत के बाद भी मृतक सुनील के मुंह से झाग निकल रहा था।

पैरों में गोली मारने के बाद पुलिस का कहना था कि वे उसे जिला अस्पताल ले गए लेकिन जब परिजन, ग्राम प्रधान व कुछ अन्य लोगों के साथ जिला अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि उसे वाराणसी रेफर कर दिया गया है। वाराणसी पहुंचे तो बताया गया कि पैर से गोली निकाल कर उसे वापस भेज दिया गया। दोबारा आज़मगढ़ सदर अस्पताल में बताया गया कि उसे जेल भेज दिया गया है लेकिन जेल में किसी को उससे मिलने नहीं दिया गया।

मंच महासचिव ने कहा कि सुनील पासी पर 13 जून को फूलपुर के कपड़ा व्यवसायी प्रदीप बरनवाल की हत्या में शामिल होने का आरोप पुलिस ने लगाया था वहीं परिजनों और ग्रामीणों ने पुलिस की कहानी को मनगढ़ंत बताया। ग्राम प्रधान पतिराज पासी ने भी कहा कि सुनील सूअरों का कारोबार करता था और पुलिस जिस दिन प्रदीप बरनवाल की हत्या में उसे शामिल बता रही है उस दिन वह गांव में ही एक विवाह समारोह में शामिल था।

मंच ने कहा कि आज़मगढ़़ पुलिस एनकाउंटरों को लेकर पहले से आरोपों के दायरे में है। मानवाधिकार आयोग कई मामलों की जांच भी कर रहा है। इससे पहले भी भीमसागर नामक युवक के पैर में पुलिस ने गोली मार दी थी। बाद में उसका पैर काट दिया गया।

इस मामले में तत्कालीन एसएसपी अजय साहनी की भूमिका को लेकर सवाल भी उठे थे। मामला न्यायालय में विचाराधीन है। एनकाउंटर में लगातार दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर जिले में भय का माहौल बनाया जा रहा है जबकि कुछ वांछित अपराधियों को अभयदान मिला हुआ है। यह सब सत्ता के करीबी उच्च पुलिस अधिकारियों की देखरेख में चल रहा है।


रिहाई मंच की ओर से राजीव यादव द्वारा जारी


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