बीते बुधवार को बिहार के तमाम विश्वविद्यालयों में हुई पद नियुक्ति सहित आर्थिक भ्रष्टाचार के मामलों के खिलाफ राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया गया था। जिसमें तमाम विश्वविद्यालयों के छात्रों ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया। साथ ही, विश्वविद्यालयों के कार्यरत तमाम विभागों को बंद एक दिन के लिए बंद करवाया। यह राज्यव्यापी बंद का आह्वाहन छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) द्वारा दिया गया था। जिसमें बड़े स्तर पर सभी विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राएं, शिक्षक एवं एक्टिविस्टों ने भाग लिया। यह बंद बिहार के तमाम विश्वविद्यालयों से भ्रष्टाचार सम्बन्धी आ रही ख़बरों के मद्देनज़र किया गया था।
दरअसल मगध विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सहित बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में संस्थाबद्ध तरीके से भारी भ्रष्टाचार के मामले खुलकर सामने आये हैं। कुलपतियों, उपकुलपतियों व कुलसचिवों की नियुक्ति में भारी धांधली और उनके द्वारा आर्थिक लूट की खबरें भी आई है। मगध विश्वविद्यालय, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सहित राज्य के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में वगैर टेंडर या एक ही कम्पनी, जो विश्वविद्यालय कर्मचारी के रिश्तेदारों से सम्बंधित है, से लाखों की कॉपी, किताब अन्य सामग्री की खरीदारी की गयी।
मगध विश्वविद्यालय में घोटाले की जाँच कर रही विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) टीम के अनुसार उत्तर पुस्तिका, किताब, कॉपी और गार्ड की नियुक्ति आदि में 30 करोड़ से धिक् की गड़बड़ी की गयी है। एसवीयू ने मगध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो। पुष्पेन्द्र प्रसाद वर्मा, प्रॉक्टर जयनंदन प्रसाद सिंह, लाइब्रेरी इनचार्ज विनोद सिंह और कुलपति के निजी सचिव सुबोध कुमार को गिरफ्तार भी कर लिया है। साथ ही, यह खबर भी सामने आई है कि कॉपी की छपाई और खरीद का ठेका नियम को ताक पर रखते हुए लखनऊ आधारित एक कम्पनी को दिया, जो इनके सगे-सम्बन्धी थे।
इसके अलावा एक स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में 57 लाख रूपये का रूपये का उलटफेर किया गया है। दरअसल बिहार के राज्यकीय विश्वविद्यालयों में 25 लाख या उससे अधिक की खरीद पर टेंडर देना होता है। इसलिए इससे बचने के लिए टीएमबीयू के अधिकारियों ने 24।99 लाख रूपये की कॉपी तीन बार आर्डर की। विश्वविद्यालय सिंडीकेट ने इसको लेकर विरोध किया; तो अब मगध विवि के मामले को जाँच कर रही एसवीयू टीम ने इस कॉपी खरीद मामले को लेकर भी टीएमबीयू अधिकारी रिपोर्ट मांगी है।
इस मामले पर भाकपा, माले के बिहार विधानसभा सदस्य महबूब आलम ने विधानसभा सत्र में बहस करने की भी अपील कर चुके हैं। उन्होंने विधानसभा सचिव को एक ख़त के माध्यम से कहा, मगध विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सहित बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में संस्थाबद्ध हो चुके भारी भ्रष्टाचार के मामले खुलकर सामने आये हैं। कुलपतियों, उपकुलपतियों व कुलसचिवों की नियुक्ति में भारी धांधली और उनके द्वारा आर्थिक लुट की कार्रवाईयों ने आज पुरे बिहार को शर्मसार कर दिया है। इस मामले में बिहार के महामहिम राज्यपाल महोदय के साथ-साथ बिहार सरकार निशाने पर है। पैसा लेकर एक खास विचारधारा के लोगों को कुलपति बनाकर पूरी शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करना संगीन अपराध है। हालत यह है कि मगध विश्वविद्यालय के कुलपति के यहाँ से 30 करोड़ रुपया पकड़ा गया, लेकिन उनपर कार्रवाई करने की बजाए राजभवन द्वारा उन्हें एक महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया। ललित नारायण मिथिला विवि में कॉपी, पेपर वेट, चॉक खरीद में 5 करोड़ 55 लाख रूपए की निकासी बिना टेंडर की गयी। यह राशि कहाँ खर्च हुई, उसका कोई हिसाब नहीं है। इन घटनाओं ने राजभवन को पूरी तरह से कटघरे में खड़ा कर दिया है। यदि इस भ्रष्टाचार व पदों की खरीद-फ़रोख्त जैसे संगीन मामलों की गहराई से जाँच हो, तो राजभवन, केंद्र व बिहार सरकार की संलिप्तता खुलकर सामने आएगी, जिसने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को आज रसातल में पहुंचा दिया है।”
उन्होंने आगे कहा कि जबतक जाँच पूरी नहीं होती, बिहार के राज्यपाल महोदय को अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक हक नहीं हैं और उन्हें तत्काल पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए। कुलपति, प्रतिकुलपति व कुलसचिवों की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया की जाँच होनी चाहिए और इस अपराध के लिए दोषियों को दंड अवश्य मिलना चाहिए
इस घोटाले को लेकर विगत दिनों बिहार के विश्विद्यालयों में हुए भ्रष्टाचार में संलिप्त राज्यपाल की बर्खास्तगी की मांग को लेकर छात्र संगठन आइसा का राज्यव्यापी विश्विद्यालय बंद कराया गया। नीतीश कुमार उच्च शिक्षण संस्थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच करवाएं व दोषियों पर अविलंब करवाई करें। मीडिया को संबोधित करते आइसा राज्य अध्यक्ष विकाश यादव ने कहा कि बिहार के विश्विद्यालयों व्यापत भ्रष्टाचार व घोटाले ने राज्यपाल संलिप्त है। राज्यपाल अपने पद का दुरुपयोग कर विश्विद्यालयों में घोटाले को संरक्षण दे रहे है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पूरे घोटाले की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच करवाएं। साथ ही एससी- एसटी छात्रवृत्ति में घोटाला कर छात्रवृत्ति की राशि अन्य मद में इस्तेमाल किया जा रहा है।
आइसा राज्य सह-सचिव कुमार दिव्यम ने कहा कि 5 करोड़ से अधिक की किताबें एक ही कंपनी से बिहार के कई विश्वविद्यालयों ने खरीदा है और वो सभी किताबें किसी काम के नहीं है। पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय के लिए खरीदी गयी किताबें आर्यभट्ट विश्वविद्यालय में रेंट पर रखी गयी है।