काला झंडा दिखाना, लोकतांत्रिक विरोध का एक तरीक़ा है। काला झंडा दिखाने का मतलब सरकार की नीतियों से असमति जताना है। दिल्ली से लेकर लखनऊ तक आज जो लोग सत्ता में हैं, उन्होंने भी विपक्ष में रहते इसका ख़ूब इस्तेमाल किया है।
लेकिन शायद मोदी के साये तले सिकुड़ी बीजेपी उन तमाम परंपराओं और मर्यादाओं को भूल चुकी है जिसकी दुहाई देते हुए उसने लोकसभा की दो सीटों से अकेले दम बहुमत का सफ़र पूरा किया है। वरना अमित शाह को आज इलाहाबाद की सड़क पर काला झंडा दिखाना इतना बड़ा अपराध नहीं था कि नेहा और रमा यादव नाम की दो छात्राओं के साथ बर्बरता की जाती। अमित शाह का क़ाफ़िला जा रहा था, उन्होंने काला कपड़ा लहराया, पुलिस चाहती तो आसानी से उन्हें रास्ते से हटा सकती थी, लेकिन नहीं उनका बाल पकड़कर घसीटा गया और पूरी ताकत से लाठी का प्रहार किया गया।
यह घटना बताती है कि छात्र-छात्राओं में बीजेपी और उसकी नीतियों को लेकर किस कदर आक्रोश भड़का हुआ है। यूपी के तमाम विश्वविद्यालय छात्र आंदोलनों की चपेट में हैं। फ़ीस बढ़ोतरी, सीट कटौती, आरक्षण के नियमों का उल्लंघन जैसे तमाम मुद्दे हैं जिस पर भारत का संविधान और उसके संकल्प छात्रों के पक्ष में हैं और मोदी-योगी सरकार, अंग्रेज़ों की सरकार की भूमिका में।
इस युद्ध में विजय किसकी होगी, यह इतिहास में दर्ज है। ये वीडियो देखिए और फ़ैसला कीजिए कि अमित शाह की शान में गुस्ताख़ी की क्या ऐसी सज़ा होनी चाहिए।
वीडियो, फ़ेसबुक से साभार।