दूध की बिक्री रोकने और कीमत 100 रु करने का आह्वान नहीं किया- संयुक्त किसान मोर्चा

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
ख़बर Published On :


मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली के बॉर्डर से साथ पूरे देश में चल रहा आंदोलन आज 96वें दिन भी जारी रहा। इस बीच ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने बयान जारी करके साफ किया है कि उसने किसानों द्वारा 1-5 मार्च के बीच दूध की बिक्री के बहिष्कार और 6 तारीख से दूध की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर करने सम्बधी कोई आह्वान नहीं किया है। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के नाम से गलत तरीके से सोशल मीडिया पर एक संदेश वायरल हो रहा है और इस संदर्भ में स्पष्टीकरण दिया जा रहा है कि यह मैसेज गलत है।

किसानों से अनुरोध है कि वे इस तरह के गलत संदेश को नजरअंदाज करें, जो उन्हें ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के नाम से मिल रहा है।

देशभर में किसान महापंचायतों का दौर भी जारी है। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के नेता व भारतीय किसान मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सहारनपुर के लाखनौर में किसान महापंचायत को संबोधित किया। इस महापंचायत में भारी भीड़ जुटी। किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि अगर जिंदा रहना है और अपनी जमीन बचाना है तो आंदोलन करना पड़ेंगा। उन्होंने कहा किसान अपने टैक्टर पर तेल भरवा कर रखें, कभी भी दिल्ली कूच करना पड़ सकता है।

राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार की हठधर्मी के सामने देश का किसान हरगिज नहीं झुकेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की रणनीति की काट भले वो नहीं जानते लेकिन किसानों ने अब ठान लिया है कि अपना मकसद हासिल किए बगैर पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार अगर नहीं मानती है, तो आने वाले समय में हल क्रांति होगी।

राकेश टिकैत ने कहा कि तिरंगे के लिए सरकार ने किसानों का अपमान किया है, जबकि तिरंगे का सबसे ज्यादा सम्मान गांव के लोग करते हैं। सराकर ध्यान से सुन लें, 24 मार्च तक हमारे कार्यक्रम तय हैं। हम पूरे देश में जाएंगे। बंगाल भी जाएंगे, असम भी जाएंगे।

उन्होंने कहा कि व्यापारी को किसी क्षेत्र या किसी शहर से लगाव नहीं होता। अगर यहां किसी व्यापारी को नुकसान होगा तो वह दिल्ली या चंडीगढ़ में जाकर अपना व्यापार कर लेगा। अगर उस काम में नुकसान होगा तो वह दूसरा काम कर लेगा। लेकिन किसान खेती करता है अगर उसे 10 साल तक भी नुकसान होगा तो वह ग्यारहवें साल भी खेत में हल लेकर जाएगा। किसान कभी खेती नहीं छोड़ता है।