मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली के बॉर्डर समेत पूरे दिन में चल आंदोलन आज 90 वें दिन भी जारी रहा। जहां एक ओर दिल्ली के सभी बॉर्डरों पर किसान मोर्चा लगाए डटे हुए हैं। वहीं देश भर में किसान महापंचायतों का दौर जारी है। इन महापंचायतों में किसानों की भारी भीड़ उमड़ रही है।
इस बीच ‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने कहा है कि कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के यह कहकर किसानों के संघर्ष का अपमान किया है कि भीड़ इक्कठी करके कानून वापस नहीं लिए जाते। किसान मोर्चा ने कहा कि “हम कृषि मंत्री तोमर सहित पूरी सरकार को यह बताना चाहते है कि यह लोगों के मन में सरकार के प्रति असंतोष है जो संघर्ष में बदल गया है। आज देश दुनिया में लोग अन्नदाता के सम्मान में अपना समर्थन दे रहे है। प्रदर्शन कर रहे लोग ‘भीड़’ नहीं, ‘अन्नदाता’ हैं, जिसकी मेहनत का उगाया भोजन आप भी खाते है। इसी ‘भीड़’ के वोट से आप सरकार चला रहे हैं, इस तरह जनता का अपमान निंदनीय है।”
‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि सरकार के लिए यह आंदोलन सरदर्द बना हुआ है। समाज में भी जो इस आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं उन्हें निशाना बनाकर परेशान किया जा रहा है। दिशा रवि से लेकर अन्य सामाजिक कार्यकर्ता निशाने पर हैं। हाल ही में रामपुर, उत्तराखंड के नेता फरहत जमाली को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने गाजीपुर धरने पर पहुंचकर किसानों को समर्थन दिया था। हम फरहत जमाली व अन्य सभी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा व विरोध करते हैं।
‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि किसान आंदोलन को मजबूत करने के लिए देशभर के किसान लामबंद हो रहे हैं। अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा की मतकल, नारायणपेठ, तेलंगाना राज्य में 21 फरवरी को तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने व एमएसपी का कानून बनवाने के लिए बड़ी रैली व जनसभा हुई। कल पंजाब के बरनाला में ऐतिहासिक किसान मजदूर महारैली हुई जिसमें महिलाओं की बड़ी भागीदारी रही। आज हरियाणा के खरखौदा में किसानों के समर्थन में सर्व जातीय महापंचायत आयोजित की गई।
तमिलनाडु पुलिस द्वारा 21 फरवरी की रात चेन्नई सेंट्रल में ट्रेन से नई दिल्ली की तरफ जाने वाले चार कार्यकर्ताओं को ट्रेन से वापस उतार दिया गया। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि वे किसानों के प्रदर्शनों को समर्थन न दे सकें। कार्यकर्ताओं को इसके बाद दिल्ली जाने के लिए अन्य वैकल्पिक साधन खोजने पड़े।
‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने उत्तर प्रदेश के खाप नेताओं को किसानों के आंदोलन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए बधाई दी है। मोर्चा ने कहा कि खाप के नेता केंद्रीय मंत्रियों से तब तक मिलने से इनकार कर रहे हैं जब तक कि वे सरकार में अपने पदों से इस्तीफा न दें। कई गांवों से आई रिपोर्ट इंगित करती है कि संजीव बालियन पश्चिमी उत्तर में खाप नेताओं से नहीं मिल सके।
‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका के 87 कृषि संगठनों ने भी भारत में आन्दोलनरत किसानों को अपना समर्थन दिया है। उन्होंने विशेष रूप से बताया कि किस तरह अमेरिकी सरकार की नीतियों (विशेष रूप से डब्ल्यूटीओ ) ने भारतीय किसानों की आजीविका को खतरे में डाल दिया है। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में भी एक रैली आयोजित की गई जिसमें सयुंक्त किसान मोर्चा के नेताओ ने ऑनलाइन संबोधित भी किया।
‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ की ओर से डॉ दर्शन पाल द्वारा जारी