अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: परचम बनता महिला किसानों का आँचल!


सयुंक्त किसान मोर्चा’ के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को ‘महिला किसान दिवस” के तौर पर मनाया गया। हज़ारों की संख्या में महिला किसानों ने दिल्ली बोर्डर्स पर पहुंचकर मोदी सरकार के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया और नारी शक्ति का प्रदर्शन किया।


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मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन आज 103वें दिन भी जारी रहा। वहीं ‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को ‘महिला किसान दिवस” के तौर पर मनाया गया। हज़ारों की संख्या में महिला किसानों ने दिल्ली बॉर्डर्स पर पहुंचकर मोदी सरकार के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया और नारी शक्ति का प्रदर्शन किया।

कल से ही देश के अनेक हिस्सों से महिलाएं दिल्ली की तरफ आने लगी थीं। हर तरह के वाहनों जैसे ट्रैक्टर, कार, जीप, टेम्पो, बस व रेलगाड़ियों से महिलाएं किसान संगठनों के झंडे लहराती हुए केंद्र सरकार के तीन कॄषि कानूनों का विरोध करने दिल्ली के आसपास धरनों वाली जगहों पर पहुंची थीं।

आज किसान आंदोलन के सभी मंचों का संचालन महिलाओं द्वारा किया गया। मोर्चे के संभाल सम्बधी सभी प्रबंध महिलाओं द्वारा किये गए। इसके साथ ही मंच पर बोलने वाली सभी वक़्ता भी महिलाएं थीं। गावों शहरों से आई छात्रा, नौजवान, बुजुर्ग महिलाओं से ‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ के मंचों से अपनी बात रखी।

टीकरी बॉर्डर पर भारी संख्या में महिला किसानों ने शक्ति का प्रदर्शन किया। मुख्य मंच पर बोलते हुए महिला किसानों ने तीन खेती कानूनो को डेथ वारंट करार दिया। इस दौरान महिला किसानों ने मोदी सरकार को महिला विरोधी करार करते हुए कहा कि सिर्फ खेती सेक्टर मे महिलाओं की मांगों को दरकिनार किया गया है। पकोड़ा चौक पर महिलाओं की बड़ी कॉन्फेंस हुई जिसमें महिला किसानों से संबंधित सभी मुद्दों के बारे में विस्तारित चर्चा की गई। महिला किसानों के साथ साथ दिल्ली से प्रगतिशील महिला संगठनों की कार्यकर्ताओं ने बड़ी भागीदारी निभाई।

सिंघु मोर्चे पर महिलाओ ने मोदी सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि हम दिनों दिन मजबूत हो रहे हैं। सरकार को यह लगता है कि समय के साथ आंदोलन कमजोर होगा पर किसानों का हौसला दिनों दिन मजबूत हो रहा है। जब जब जरूरत होगी तब तब किसान अपनी ताकत दिखाते रहेंगे लेकिन खेती के तीन कानून वापस न होने तक किसान वापस नहीं जाएंगे। इस दौरान हरियाणा की महिलाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गए।

इसी तरह गाजीपुर बॉर्डर पर भी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व दिल्ली की महिलाओं ने बड़ी संख्या में पहुंचकर महिला प्रदर्शनकारियों के मुद्दों पर प्रकाश डाला।

महिलाओं ने निकाला मार्च

महिला दिवस के अवसर पर किसान आंदोलन के समर्थन में और लैंगिक बराबरी, न्याय, आज़ादी के संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए आज ऐपवा और अन्य महिला संगठनों ने दिल्ली के बॉर्डर पर स्थित संघर्षस्थलों पर मार्च निकाला। तमाम महिला- किसान- मज़दूर विरोधी कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर और जन-विरोधी मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए हरियाणा और पंजाब से लाखों की संख्या में हर उम्र की महिलाओं ने आज भागीदारी की।

इस मौके पर महिला नेताओं ने कहा कि पहले दिन से ही किसान आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर चलते हुए देशभर की महिलाओं ने संघर्ष का नया इतिहास रचा है। खेत में काम करनेवाली महिलाओं से लेकर स्कूलों-कॉलेजों में पढ़ने-पढानेवाली महिलाओं ने लगातार आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई है। मंच से लेकर ट्रैक्टर चलाने तक के सभी काम में महिलाओं की बराबरी की हिस्सेदारी है। महिलाओं को घर पर रहने/आंदोलन से वापस जाने, इत्यादि जैसी बातें कहने वाली संस्थाओं और सरकारों को बदलने की ओर आज का दिन महत्वपूर्ण साबित होगा।

‘किसान-मजदूर यात्रा’ को व्यापक समर्थन

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के द्वारा किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर दिनांक 6 मार्च को मेरठ के रामराज से ‘किसान-मजदूर जागृति’ यात्रा को राकेश टिकैत ने हरी झंडी देकर रवाना किया। यात्रा में सैकडों ट्रैक्टर चल रहे हैं। इस यात्रा का नेतृत्व तजिन्दर सिंह विर्क, जसवीर सिंह विर्क और दिगंबर सिंह समेत कई नेता कर रहे हैं। यात्रा का रात्रि विश्राम नजीबाबाद में हुआ है। यात्रा प्रत्येक जनपद से मिट्टी एकत्रित कर 27 मार्च को गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचेगी।

किसानों ने यात्रा का जगह-जगह पुष्प एवं ढोल नगाड़ों से स्वागत किया। पुलिस प्रशासन द्वारा यात्रा ना निकाले जाने के पूरे इंतजाम थे। मेरठ  मुजफ्फरनगर प्रशासन द्वारा जगह-जगह पर भारी फोर्स तैनात की गई थी। लेकिन वह किसान यात्रा को रोक नहीं पाये। यह यात्रा तीन काले कानूनों एवं एमएसपी अधिकार को लेकर किसान-मजदूरों को जागृत करने के लिए निकाली जा रही है।