सुप्रीम कोर्ट में आज सुबह साढ़े दस बजे अयोध्या भूमि विवाद पर सुनवाई शुरू हुई। राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद पर फैसला लेने के लिए बनाई गई मध्यस्थता समिति को समाधान के लिए दी गई अवधि को बढ़ाकर अब 15 अगस्त कर दिया गया है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे, डीवाइ चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नज़ीर की संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई की। समयबद्ध तरीके से समाधान सुझाने के लिए बनाई गई मध्यस्थता समिति ने 15 अगस्त तक का समय मांगा था, जिसे पीठ ने मंजूर कर लिया।
Ayodhya matter: Three-members Mediation panel seeks extension of time to find an amicable solution. Supreme Court grants time till August 15. CJI also says, "we're not going to tell you what progress has been made, that’s confidential" pic.twitter.com/XRLTS0lorc
— ANI (@ANI) May 10, 2019
कोर्ट ने कहा कि समिति ने अदालत के निर्देश पर अपनी रिपोर्ट उसे सौंप दी है और प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 15 अगस्त तक का वक्त मांगा है। आदेश देते वक्त जस्टिस गोगोई ने कहा, ‘’हम इसे मंजूरी देते हैं।‘’
उन्होंने यह भी कहा कि अ तक इस मामले में क्या प्रगति हुई है अदालत उसे सार्वजनिक नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, ‘’इस मोड़ पर हम समिति द्वारा हासिल प्रगति को सार्वजनिक नहीं कर सकते, उसे गोपनीय रहने दिया जाए।‘’
आदेश देने के बाद मामला मुल्तवी कर दिया गया।
बीते 8 मार्च को अदालत ने मामले को मीडियेशन में डाल दिया था। मध्यस्थता पैनल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एफएमआइ कलीफुल्ला कर रहे हैं और धर्म प्रचारक श्री श्री रविशंकर व वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू इसके सदस्य हैं।