यूपी की जेलों में उम्रकैद की सज़ा काट रहे 97 कैदियों को SC ने दी ज़मानत

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। कोर्ट ने यूपी की दो जेलों में बंद 97 कैदियों को अंतरिम ज़मानत दे दी है। दरअसल, यह सभी कैदी 20 सालों से उत्तर प्रदेश की आगरा और वाराणसी जेलों में उम्रकैद की सज़ा काट रहे थेे। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके महेश्वरी की पीठ ने यह आदेश देते हुए जेलों के कैदियों को रिहा करने की मांग वाली दो जनहित याचिकाओं पर नोटिस भी जारी किया।

सज़ा पूरी करने के बावजूद जेल से रिहाई नहीं..

बता दें कैदियों ने वकील ऋषि मल्होत्रा के माध्यम से याचिका दाखिल की, जिसमे याचिकाकर्ताओं ने कहा, उन्होंने अपनी उम्रकैद की सजा राज्य सरकार की नीति के तहत काट ली है, जो कि 16 वर्ष होती है और छूट के साथ चार साल की सजा का प्रावधान है। लेकिन सज़ा पूरी करने के बाद भी उन्हें जेल से रिहा नहीं किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि IPC के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार उम्रकैद की सज़ा 16 वर्ष होती है लेकिन उन्हें 20 साल के बाद भी किसी सूरत में जेलों से रिहा नहीं किया गया है।

अवमानना के कुछ दोषियों को सरकार ने रिहा किया था..

वकील द्वारा दायर सजा पूरी कर चुके कैदियों की याचिका में 4 मई 2021 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया, जिसमें शीर्ष अदालत ने इसी तरह के कैदियों को राहत दी थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा की राज्य सरकार ने कुछ कैदियों को रिहा करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश को नजरअंदाज कर दिया। जब अवमानना याचिका दायर करके शीर्ष अदालत का रुख किया गया, तो सरकार ने तुरंत कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए 16 जुलाई को कम से कम 32 दोषियों को रिहा कर दिया। ताकि वह अवमानना की कार्यवाही से बच सके।

पुरानी नीति ही दोषियों पर लागू की जाए..

दरअसल, 28 जुलाई को जारी नई नीति केवल 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को सज़ा से राहत लेने की अनुमति देती है। याचिका में इस नई नीति को लेकर अपील की गई थी कि पुरानी नीति ही याचिकाकर्ताओं पर लागू की जाए। क्योंकि यह स्थापित कानून है कि जो नीति अपराधी के दोषसिद्धि के समय अस्तित्व में थी, वही दोषी की समयपूर्व रिहाई के समय लागू होगी।

गौरतलब है कि इससे पहले कोर्ट ने आदेश दिया था कि 60 साल की उम्र पार कर चुके कैदियों को जेलों से रिहा किया जाए। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे एक नियम के रूप में स्वीकार किया और 60 वर्ष से कम उम्र के कैदियों को रिहा करने से इनकार कर दिया, भले ही उन्होंने आजीवन कारावास पूरा कर लिया हो।


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