‘संयुक्त किसान मोर्चा’ (SKM) ने प्रधानमंत्री के राज्यसभा में दिए गए भाषण को किसानों का अपमान बताते हुए इसकी निंदा की है। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि किसान प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहेंगे कि वे आन्दोलनजीवी ही थे जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासकों से मुक्त करवाया था और इसीलिए हमें आंदोलनजीवी होने पर गर्व भी है। यह भाजपा और उसके पूर्वज ही है जिन्होंने कभी भी अंग्रेजों के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया। वे हमेशा जन आंदोलनों के खिलाफ थे इसलिए वे अभी भी जन आंदोलनों से डरते हैं।
‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि अगर सरकार अब भी किसानों की मांगों को स्वीकार करती है, तो किसान वापस जाकर पूरी मेहनत से खेती करने के लिए अधिक खुश होंगे। यह सरकार का अड़ियल रवैया है जिसके कारण ये आंदोलन लंबा हो रहा है जो कि आंदोलनजीवी पैदा कर रहा है।
एमएसपी पर खाली बयानों से किसानों को किसी भी तरह से फायदा नहीं होगा और अतीत में भी इस तरह के अर्थहीन बयान दिए गए थे। किसानों को वास्तविकता में और समान रूप से टिकाऊ तरीके से तभी लाभ होगा जब सभी फसलों के लिए एमएसपी को ख़रीद समेत कानूनी गारंटी दी जाती है।
‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि हम सभी तरह के FDI का विरोध करते है। पीएम का एफडीआई दृष्टिकोण भी खतरनाक है। हम खुद को किसी भी FDI “विदेशी विनाशकारी विचारधारा” से दूर हैं। हालांकि, SKM रचनात्मक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के साथ खड़ा है जो दुनिया में कहीं भी बुनियादी मानवाधिकारों को बनाए रखता है। हम पूरी दुनिया में सभी न्यायसंगत विचारधारा वाले नागरिकों से समान पारस्परिकता की अपेक्षा करते हैं क्योंकि “कहीं भी हो रहा अन्याय हर जगह के न्याय के लिए खतरा है”।
‘संयुक्त किसान मोर्चा’ किसानों की मांगों को गंभीरता से और ईमानदारी से हल करने में सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है। हम इस तथ्य पर सवाल उठाते हैं कि सरकार किसान संगठनों को ड्राफ्ट बिल वापस लेने का आश्वासन देने के बावजूद विद्युत संशोधन विधेयक संसद में पेश कर रही है।
इसके साथ ही ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में किसान महापंचायतों द्वारा दिए गए विशाल समर्थन से दिल्ली के धरनों पर बैठे किसानों में उत्साह बढ़ा है। आने वाले दिनों में इन महापंचायतो से किसान दिल्ली धरनों में शामिल होंगे।
ट्विटर अकाउंट्स के बाद, किसान आन्दोलन से संबंधित कई वीडियो को YouTube से हटा दिया गया है। हम लोगों की आवाज को दबाने के इन प्रयासों का कड़ा विरोध करते हैं।
‘संयुक्त किसान मोर्चा’ की ओर से डॉ दर्शन पाल द्वारा जारी