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दिल्ली की सीमाओं की ही तरह, बोरिया-बिस्तर और राशन लेकर, पंजाब में मंगलवार को राजधानी चंडीगढ़ के बॉर्डर पर आकर खड़े हो गए किसानों को लेकर, भले ही पहले सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने सख़्त तेवर दिखाने की कोशिश की हो लेकिन आख़िरकार उसके तेवर भी ढीले पड़ गए। सीएम भगवंत मान को 3 घंटे तक आंदोलनकारी किसानों के साथ बैठक करनी पड़ी। सरकार अब बैकफुट पर जाती दिख रही है और किसानों की अधिकतर मांगें मान लेने की ख़बर है। अब सीएम ने किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील की है, वहीं किसान संगठनों का कहना है कि सरकार जब औपचारिक आदेश जारी करेगी, तब ही वे वापस जाएंगे।
क्यों कर रहे हैं किसान आंदोलन?
पंजाब के किसान, कई मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। 23 किसान संगठनों द्वारा किए जा रहे इस आंदोलन में किसानों की अहम मांगें हैं;
- भीषण गर्मी के कारण, अपनी उपज घटने और गेंहू के दानों के सिकुड़ जाने के कारण, किसान प्रति क्विंटल गेहूं पर 500 रुपये का बोनस चाहते हैं
- पंजाब सरकार ने 18 जून से धान की बुआई की अनुमति दी थी, जबकि किसान 10 जून से धान की बुआई की अनुमति चाहते हैं। इससे उन पर बिजली का बोझ कम होगा।
- किसानों ने मक्का और मूंग के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए अधिसूचना जारी करने की मांग की है।
- किसानों की एक मांग ये है कि राज्य सरकार, बिजली लोड को बढ़ाने के शुल्क को 4,800 रुपये से कम करके, 1,200 रुपये करे।
- बकाया गन्ना भुगतान जारी करना भी किसानों की एक मांग है।
- इसके अलावा किसानों ने स्मार्ट बिजली मीटर लगाने का भी विरोध किया है।
क्या किया किसानों ने?
मंगलवार को 23 संगठनों से जुड़े किसानों के जत्थे, मोहाली जा पहुंचे थे – जहां उनको चंडीगढ़ की सीमा पर रोक लिया गया था। प्रदर्शनकारी किसानों ने मोहाली के वाईपीएस चौक की सड़क पर ही अपने वाहन खड़े कर दिए। ठीक दिल्ली की ही तरह, किसानों ने चंडीगढ़-मोहाली राजमार्ग पर पूरी तैयार के साथ धरना दे दिया। जहां उनके पास राशन, बिस्तर, पंखे, कूलर, बर्तन, रसोई गैस सिलिंडर सारा सामान था, जिससे सड़क को ही फिर से घर बनाया जा सके।
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पहले पंजाब सरकार की ओर से इस मामले में थोड़ी सी जड़ता दिखी। सीएम भगवंत मान के एक-दो बयानों ने किसानों का गुस्सा और बढ़ा दिया। उन्होंने किसानों की मांगों को बेज़ा बता दिया और फिर आंदोलन को लेकर भी नाराज़गी जता दी। इसके बाद किसान संगठनों की ओर से भी आंदोलन और उग्र होता दिखाई दिया। अंततः सरकार को बुधवार को बातचीत की टेबल पर आना पड़ा।
क्या हुआ समझौता?
बातचीत में आम आदमी पार्टी की सरकार ने किसानों की धान रोपाई की मांग स्वीकार कर ली है। अब किसानों की मांग के मुताबिक, 7 जून से ही इसके पहले चरण की शुरुआत हो जाएगी। इसके अलावा 4 चरण की जगह, तीन चरणों में धान रोपाई की मांग को भी स्वीकार कर लिया गया है। पहले चरण में उन इलाकों में धान रोपा जाएगा, जहां पानी की कमी है और फिर 14 और 17 जून को दूसरे एवं तीसरे चरण की रोपाई की शुरुआत की जाएगी।
सीएम भगवंत मान ने मूंग की फसल को भी एमएसपी पर खरीदने पर सहमति दे दी है। इसके लिए मंडियां भी चुन ली गई हैं और सरकार इसका नोटिफिकेशन भी जारी करने को तैयार हो गई है।
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इसके अलावा पंजाब सरकार ने, बासमती की खरीद को लेकर किसानों की मांग पर भी वैचारिक सहमति दे दी है लेकिन इसके लिए उसे केंद्र सरकार से बात करनी पड़ेगी। क्योंकि इसके बिना ये फ़ैसला नहीं हो सकता है, भगवंत मान ने इसके और मक्का की खरीद के लिए समाधान जल्द ही कर लेने का आश्वासन दिया है।
हालांकि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड को लेकर, अभी कोई ठोस फैसला नहीं हो पाया है। इसको लेकर भी पंजाब के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने ये कहा है कि केंद्र सरकार से बात कर के इसका हल ढूंढा जाएगा।
अब क्या है स्थिति? आंदोलन फिलहाल ख़त्म है..
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फिलहाल किसान संगठनों ने अभी चल रहे धरने को तो ख़त्म करने का फ़ैसला किया है। हालांकि अभी भी किसान बड़ी संख्या में चंडीगढ़ की सीमा पर डटे हैं। पंजाब सरकार ने कहा है कि बातचीत सफल रही है और किसानों को अब घर लौटना चाहिए। लेकिन कुछ किसान संगठनों का कहना है कि वे सीमा से तभी हटेंगे, जब सरकार कुछ प्रमुख मांगों को मानने का औपचारिक आदेश जारी कर देगी। फिलहाल किसानों की 13 में से 12 मांगे, राज्य सरकार ने मान ली हैं और आंदोलन फिलहाल ख़त्म कर दिया गया है। अब गेंद राज्य सरकार के पाले में है कि वे उन मांगों पर क्या करेगी, जहां पर केंद्र सरकार की सहमति आवश्यक है।