एक-दूसरे की वक़ील संतानों का हित साध रहे हैं हाईकोर्ट के जज- रवि किरन जैन

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
ख़बर Published On :


उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता और मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि किरण जैन ने हाईकोर्ट बार के नाम एक खुला पत्र जारी किया है। इसके जरिये उन्होंने न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल द्वारा जारी किये गए उस पत्र का जवाब दिया है जिसमे न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कोरोना महामारी से निपटने में सहायता करने हेतु सभी न्यायमूर्तियों को अपने वेतन और पेंशन का दस व पाँच फीसदी दान देने को कहा है। साथी ही, एडवोकेट एक्ट के तहत चयनित सभी वरिष्ठ अधिवक्ताओं को प्रति माह पचास हज़ार रुपये अंशदान करने को कहा है। श्री अग्रवाल ने यह पत्र माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय के साथ हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, एडवोकेट एसोसिएशन व अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को भेजा है।

रवि किरण जैन ने अपने पत्र में कहा है कि 23 अप्रैल को रिटायर होने वाले जस्टिस अग्रवाल को सबसे पहले शासन को पत्र लिख कर अपने साथ लगी जेड प्लस सुरक्षा को वापस कर लेने का अनुरोध करना चाहिए जिसका सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले में दिये गए निर्णय के बाद कोई औचित्य नही है। जेड प्लस स्तर की सुरक्षा हट जाने से कर दाताओं के जेब से जमा बहुत बड़ी धन राशि की बचत होगी।

श्री जैन ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं के अंशदान को लेकर एक बहुत ज्वलंत सवाल उठाया है जिससे पूरा हाई कोर्ट प्रभावित और पीड़ित है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के गिरावट के इस दौर में माननीय न्यायमूर्तियों के सन्तानो और निकट सम्बन्धियो का एक ऐसा सक्रिय समूह स्थापित हो गया है जिन्हें वरिष्ठ अधिवक्ताओं की जगह मनमाफिक आदेश पाने की इच्छा में वादकारी अपना अधिवक्ता नियुक्त कर रहा है।

श्री जैन के मुताबिक प्रख्यात संविधान विशेषज्ञ श्री सिरवाई ने बहुत पहले संविधान सम्बंधित अपनी पुस्तक में इस खतरे की तरफ आगाह किया था और लिखा था कि एक जज का पुत्र अपने पिता के कोर्ट में बहस नही कर सकता पर कई जज एक दूसरे के सन्तानों और सगे सम्बन्धियों को लाभ पहुँचा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में प्रसिद्ध जज नियुक्ति केस में भी यह सवाल उठा था कि उच्च न्यायालयों में जजो ने एक तरह का कॉपरेटिव सोसाइटी बना लिया है जिससे एक दूसरे के सन्तानो की हितरक्षा की जाती है। इस प्रवित्ति से न्यायपालिका के स्तर में बहुत गिरावट आई है।  आज स्थिति और भी दयनीय और शोचनीय हो गई है । आज वरिष्ठ अधिवक्ताओं की जगह न्यायमूर्तियो के सन्तानो और सगे सम्बन्धियों को वरीयता मिल रही है ।

श्री जैन ने कहा कि यह वरिष्ठ अधिवक्ताओं कि अपनी जिम्मेदारी है कि वे अपने विवेक से इस आपदा में धन से सहयोग करे। जस्टिस अग्रवाल को यह पत्र वरिष्ठ अधिवक्ताओं को नही लिखना चाहिए। श्री रवि किरण जैन ने इस पत्र की प्रतिया माननीय चीफ जस्टिस और जस्टिस सुधीर अग्रवाल को भी अग्रसारित किया है।


 


Related