इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन के आह्वान पर मंगलवार को निजीकरण विरोधी दिवस के तहत देश भर में रेलवे कर्मचारियों ने सभी जोन, डिवीजन और उत्पादन इकाइयों, रेलवे स्टेशन और वर्कशॉप पर शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक तरीके से शारीरिक दूरी का पालन करते हुए जुलूस निकाल कर, डोल नगाड़े बजाकर विरोध प्रदर्शन किया।
रेलवे के कर्मचारियों नेताओं ने कहा कि 18 अक्टूबर 2019 को 100 दिन के एक्शन प्लान के तहत रेलवे की उत्पादन इकाई का निगमीकरण, रेलवे की कॉलोनी, स्टेशन, अस्पताल आदि जमीनों को निजी हाथों में देने की शुरुआत सरकार ने कर दी है। कोरोना संकट के समय जब पूरा देश महामारी से जूझ रहा हैं, उस वक़्त देश की जनता व रेलवे कर्मचारियों को धोखा देकर सरकार रेलवे को बेचना शुरू कर दिया। वैसे तो यह सरकार जब रेल बजट को आम बजट से अलग की थी, तभी यह साफ हो गया था कि सरकार जनता की सवारी रेलवे को पूंजीपतियों के हाथ देना चाहती है।
ऐक्टू नेताओं ने कहा कि केंद्रीय श्रम संगठनों के लोगों ने हर संघर्ष में चाहे वो 22 मई हो या 3 जुलाई या फिर 9 अगस्त 2020 हो सब में पूरी ताकत के साथ भागीदारी किया। जिसके कारण कई केंद्रीय नेताओं पर एफआईआर भी दर्ज की गयी है, लेकिन श्रम संगठन के लोग शुरू से ही समझौता परस्त आंदोलन के बजाए बतौर वैकल्पिक क्रांतिकारी फेडरेशन कि भूमिका निभाते हुए संघर्ष को जारी रखे हुए हैं। इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन की तरफ़ से लगातार स्वतंत्र पहलकदमी लेकर आंदोलन होते रहे है अभी 19 जून से 26 जून विरोध सप्ताह अभियान चला, मंगलवार को IREF (इरेफ़) द्वारा देशव्यापी एंटी प्राइवेटाइजेशन डे मनाया गया।
नेताओं ने कहा कि रेलवे में तथाकथित मान्यता प्राप्त फेडरेशन जब सत्ता के साथ समझौता करके रेल कर्मचारी सहित देश की जनता के साथ ग़द्दारी कर रहे हैं, श्रम संगठन के लोग नौकरी के छिन जाने की परवाह किये बगैर, रेलवे कर्मचारियों, किसानों नौजवान छात्रों के साथ एकता बनाकर रेलवे कर्मचारियों के हित में देश में लगातार संघर्ष कर रहें है।
एनसीआरडब्लूयू केंद्रीय महामंत्री व इरेफ़ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज पाण्डेय व एनआरईयू महामंत्री, इरेफ़ के राष्ट्रीय महासचिव सर्वजीत सिंह ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा देश भर में कार्यक्रम हुआ, केंद्र सरकार जबसे दुबारा सत्ता में आई है, रेलवे का निजीकरण करना शुरू कर दिया। आधे से ज्यादा तो इन्होंने निजीकरण कर भी दिया। जिसका विरोध डीएलडब्ल्यू वाराणसी से ही संयुक्त संघर्ष समिति बनाकर किया गया, जहां से हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी सांसद हैं।
नेताओं ने कहा कि IREF (इरेफ़) के बैनर तले सभी उत्पादन इकाई की संघर्ष समिति के साथ रेलवे के सभी मान्यता प्राप्त, ग़ैर मान्यता प्राप्त यूनियनों सहित लगभग सभी कैटोरिगकल संगठनों के साथ रेलवे आंदोलन के पचास साल के इतिहास में पहली बार मावलंकर हॉल, नई दिल्ली में 8 दिसम्बर 2019 को संयुक्त कन्वेंशन करके राष्ट्रीय स्तर पर रेलवे उत्पादन इकाईयो की संयुक्त संघर्ष समिति बनायी गई और संघर्ष को तेज किया गया, जिसके दबाव के चलते सरकार को 100डे एक्शन प्लान लागू करने से पीछे हटना पड़ा।
इरेफ़ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ कमल उसरी ने कहा एंटी प्राइवेटाइजेशन डे पूरे देश भर में मनाया गया है। मंगलवार को आर सी एफ कपूरथला में इरेफ़ के राष्ट्रीय महासचिव सर्वजीत सिंह के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुआ। फ्रन्ट अगेंस्ट एनपीएसआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरीक सिंह के नेतृत्व में डीएमडब्लू पटियाला में, जुमेरदीन और रतनचंद के नेतृत्व में रायबरेली उत्पादन इकाई में, हरिकेष के नेतृत्व में डीएलडब्ल्यू वाराणसी में, राजेंद्र पाल के नेतृत्व में चितरंजन में और किशानु भट्टाचार्या के नेतृत्व में नार्थ सेंट्रल रेलवे में विरोध प्रदर्शऩ हुए।
इरेफ़ राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज पाण्डेय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ कमल उसरी, नॉर्थ सेंट्रल वर्कर्स यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष एसपीएस यादव, केंद्रीय सहायक महामंत्री सैय्यद इरफात अली, रुकमा नंद पाण्डेय के नेतृत्व में कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया। नार्दर्न रेलवे में नई दिल्ली में मनीश हरीनन्दन, अम्बाला में नर सिंह कुमार, लखनऊ में अखिलेश यादव, जितेंद पाल, मुगलसराय में संतोष पासवान के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ।
पटना में जितेंद्र कुमार, सोनपुर मंडल बेगूसराय रायगड़ा में महेंद्र परिदा, भुवनेश्वर में पी के महापात्रा, पूरी में लालटू, पूर्व रेलवे कोलकाता में पार्थो बनर्जी, रवि सेन, दक्षिण पूर्व रेलवे कोलकाता में एन एन बनर्जी और शुभाशीष बागची, पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी में राकेश पाल, लखनऊ में अनिल कुमार, जयपुर में उम्मेद सिंह, प्यारे लाल, कटनी में पुष्पेंद्र त्रिपाठी, रायपुर में तरकेशर नाथ, धनबाद में एस पी एस साहू के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शऩ हुए।
पुनीत सेन की रिपोर्ट