प्रियंका गाँधी शहीद किसानों की अंतिम अरदास में हुईं शामिल, न्याय के लिए जंग का ऐलान


प्रियंका के संवेदनशील रुख ने किसानों का दिल जीत लिया। मंच से कई बार प्रियंका गाँधी की प्रशंसा की गयी। यही नहीं प्रियंका गाँधी के दौरों के बीच 1984 के सिख दंगे से जुड़े कुछ प्रायोजित बैनर लगाये जा रहे हैं जिस पर आपत्ति जतायी गयी। इसे बीजेपी समर्थकों द्वारा केंद्रीय गृहराज्यमंत्री को बचाने की कोशिश के रूप में बताते हुए कहा कि अगर होर्डिंग न हटे तो कार्रवाई की जाएगी।


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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने आज लखीमुपर पहुँचकर शहीद किसानों के अंतिम अरदास में भाग लिया। उन्होंने लखीमपुर नरसंहार में मारे गये पत्रकार रमन कश्यप को भी श्रद्धांजलि दी। अंतिम अरदास में शामिल होने के लिए प्रियंका गाँधी के साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू , मीडिया विभाग के चेयरमैन नसीमुद्दीन सिद्दिकी समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता और बड़ी तादाद में कार्यकर्ता मौजूद थे।


कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने बताया कि घायल किसानों में प्रमुख रूप से बैरिया निवासी जनपद लखीमपुर बलजिंदर सिंह पुत्र जीत सिंह और अन्य किसान श्रीमती प्रियंका गांधी से मिले। उन्होंने बताया कि श्रीमती प्रियंका गांधी जी ने पत्रकारों के सवाल करने पर कहा कि “आज मैं अंतिम अरदास की सभा में आई हूँ, इसलिए कुछ बोलूंगी नहीं। हां यह जरूर है की अंतिम सांस तक किसानों की न्याय की लड़ाई लड़ूंगी।”

प्रियंका के संवेदनशील रुख ने किसानों का दिल जीत लिया। मंच से कई बार प्रियंका गाँधी की प्रशंसा की गयी। यही नहीं प्रियंका गाँधी के दौरों के बीच 1984 के सिख दंगे से जुड़े कुछ प्रायोजित बैनर लगाये जा रहे हैं जिस पर आपत्ति जतायी गयी। इसे बीजेपी समर्थकों द्वारा केंद्रीय गृहराज्यमंत्री को बचाने की कोशिश के रूप में बताते हुए कहा कि अगर होर्डिंग न हटे तो कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस महासचिव कल रात में ही दिल्ली गयी थीं लेकिन अरदास में शामिल होने के लिए सुबह वापस लखनऊ आ गयीं। अमौसी एयरपोर्ट पर भारी तादाद में पुलिस बल तैनात था। ऐसा लगा कि प्रियंका गाँधी को लखीमपुर जाने से रोका जाएगा। लेकिन कांग्रेस कार्यकर्तां की नारेबाजी और भारी विरोध के बाद प्रशासन पीछे हटा और प्रियंका का काफिला लखीमपुर के लिए निकल पड़ा। वैसे, कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रास्ते भर पुलिस और प्रशासन रोककर प्रियंका गाँधी के काफिले को छिन्न-भिन्न करता रहा।

 

उधर, संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय गृहराज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी की गिरफ्तारी और बरखास्तगी न होने की सूरत में देशव्यापी आंदोलन तेज़ करने का आह्वान किया है। आज पूरे देश में श्रद्धांजलि सभाएँ आयोजित की जा रही हैं और शाम को शहीदों की याद में मोमबत्तियाँ जलायी जाएंगी और 15 अक्टूबर को दशहरे के दिन बीजेपी नेताओं के पुतले फूंके जायेंगे।

एसकेएम ने अजय मिश्रा टेनी के केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बने रहने और उनकी गिरफ्तारी न होने पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि लखीमपुर खीरी किसान नरसंहार में उनकी भूमिका स्पष्ट है और पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा अब तक की कार्रवाई नहीं किया जाना शर्मनाक है। एसकेएम ने कहा है कि भाजपा और मोदी सरकार अभी भी अजय मिश्रा टेनी का बचाव कर रही है इससे  उसके इस रुख की पुष्टि होती है कि किसान आंदोलन को कमजोर करने और नष्ट करने के लिए सांप्रदायिक राजनीति और हिंसा को लाया जा रहा है।