प्रधानमंत्री द्वारा भूमि पूजन संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर हमला- माले

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अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन समारोह को सरकारी आयोजन में तब्दील कर देने और उत्तर प्रदेश व केंद्र सरकार की इसमें पूर्ण भागीदारी के खिलाफ आज भाकपा-माले के देशभर में प्रतिवाद किया। माले कार्यकर्ताओं पूरे देश में इसे काला दिवस की संज्ञा देते हुए एवं शारीरिक दूरी के नियमों का ख्याल रखते हुए अपना विरोध दर्ज कराया. भाकपा माले ने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का भूमिपूजन में शामिल होना भारत के संविधान और उसके धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर हमला है।

भाकपा माले ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन समारोह का सरकारी आयोजन में तब्दील हो जाना और उत्तर प्रदेश के प्रशासन और केंद्र सरकार की इसमें पूर्ण भागीदारी, भारतीय संविधान की मूल भावना को सोच समझ कर नष्ट करने का कृत्य है. सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले ने मंदिर निर्माण की राह खोली, उसी फैसले में 06 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाने की आपराधिक कृत्य के रूप में स्पष्ट तौर पर आलोचना की गयी है. केंद्र सरकार का प्रधानमंत्री के स्तर पर भूमि पूजन में शरीक होना, उस अपराध को वैधता प्रदान करने की कार्यवाही है. यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त का मखौल उड़ाना तो है ही, भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर भी हमला है.

भाकपा माले ने कहा कि यह आयोजन केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी कोविड 19 से बचाव के प्रोटोकॉल का भी उल्लंघन है, जिसमें धार्मिक आयोजनों, बड़ी जुटान एवं 65 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों की भागीदारी पर रोक है. अयोध्या में पुजारी और तैनात पुलिस वालों का कोरोना पॉज़िटिव पाया जाना, बढ़ती महामारी के बीच में लोगों को आमंत्रित करने से मानव जीवन के लिए पैदा किए जा रहे खतरे को रेखांकित करता है. राम मंदिर को कोरोना वाइरस का इलाज बताने वाले भाजपा नेताओं के बयान संघ-भाजपा की धर्मांधता और कोरोना महामारी के बीच सरकार की अनुपयुक्त प्राथमिकताओं को ही दर्शाते हैं. जब कोरोना के केस दिन दूनी-रात चौगुनी गति से बढ़ रहे हैं, तब सरकार अपनी पूर्ण विफलता को लोगों की धर्मिक भावनाओं से खिलवाड़ के जरिये ढ़कना चाहती है.

भाकपा माले ने कहा कि सरकार संविधान का उल्लंघन न करे और धार्मिक आयोजनों से सरकार दूर रहे. माले ने कहा कि हम जनता से अपील करते हैं धर्म का राजनीतिकरण करने और जन स्वास्थ्य के बजाय धार्मिक आयोजन को प्राथमिकता देने के मोदी सरकार की कार्यवाही को खारिज करें और धर्मनिरपेक्षता व न्याय के संवैधानिक उसूलों को बुलंद करें.

भाकपा-माले के राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस के तहत बिहार में माले कार्यकर्ताओं ने जगह जगह विरोध प्रदर्शन किया किया. राजधानी पटना के माले राज्य कार्यालय में माले राज्य सचिव कुणाल, विधायक दल के नेता महबूब आलम, बीबी पांडेय, सरोज चौबे, उमेश सिंह, प्रदीप झा, प्रकाश कुमार आदि नेताओं ने हाथ में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया. वहीं, किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह, वरिष्ठ नेता केडी यादव, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, खेग्रामस कार्यालय में धीरेन्द्र झा, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव आदि नेताओं ने भी प्रतिवाद किया.

आशियाना नगर, पटना में भी विरोध प्रदर्शन हुआ; जिसमें जितेन्द्र कुमार, धर्मेन्द्र कुमार, राजेश राम, मोहम्मद अजीज, गुड्डू राम, शंकर पासवान, जितेंद्र मांझी सहित अन्य लोगों ने भाग लिया. दीघा, पटना में भाकपा माले नेता राम कल्याण सिंह एवं डा. बशिष्ठ प्रसाद शामिल हुए. कंकड़बाग, पटना सिटी आदि जगहों पर भी विरोध-प्रदर्शन किए गए.

आरा में माले विधायक सुदामा प्रसाद, राजू यादव, मनोज मंजिल, अजित कुशवाहा; सिवान में विधायक सत्यदेव राम, पूर्व विधायक अमरनाथ यादव ने संविधान की मूल मान्यताओं पर हो रहे हमले के खिलाफ देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को बचाने की अपील की. जहानाबाद, अरवल, सिवान, गया, भोजपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, गोपालगंज, पूर्णिया आदि तमाम जिलों में सैंकड़ों जगह आज प्रतिवाद दर्ज हुए.

इस मौके पर बिहार राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि राम के नाम पर बहुसंख्यक की आक्रमकता और धर्म व राजनीति का घालमेल देश के संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर हमला है.  उन्होंने कहा कि भारत का संविधान इस बात में दृढ़ है कि धर्म और राजनीति का मिश्रण नहीं होना चाहिए. लेकिन भारत के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एक मंदिर के भूमिपूजन समारोह से राजनीतिक लाभ बटोरने की कोशिश कर रहे हैं.

भाकपा माले विधायक महबूब आलम ने कहा कि उच्चतम न्यायालय, जिसने जमीन मंदिर ट्रस्ट को दी, उसने यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद का ढहाया जाना एक अपराध था. भारत के प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनकी सरकारें, शिलान्यास में शामिल हो कर उस आपराधिक कृत्य का राजनीतिक लाभ क्यूँ उठाना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी नियंत्रण में पूर्ण विफलता को  ये सरकार धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ कर ढंकने की कोशिश कर रही है.

माले नेता धीरेन्द्र झा ने कहा कि धर्म का राजनीतिकरण करने और जन स्वास्थ्य के बजाय धार्मिक आयोजन को प्राथमिकता देने के मोदी सरकार की कार्यवाही को खारिज करना होगा और धर्मनिरपेक्षता व न्याय के संवैधानिक उसूलों को बुलंद करना हम जारी रखेंगे.

यूपी की राजधानी लखनऊ में लालकुआं के पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रतिवाद कार्यक्रम का नेतृत्व राज्य सचिव सुधाकर यादव ने किया। उन्होंने कहा कि भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए धर्म और राजनीति को अलग-अलग रखने की संविधान की मूल भावना को तहस-नहस कर रही है। संविधान की शपथ लेकर संवैधानिक पद पर बैठे प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास कर देश की धर्मनिरपेक्षता को गहरी चोट पहुचाई है। यही काम यूपी की सरकार व मुख्यमंत्री योगी ने किया है।

माले राज्य सचिव ने कहा कि शिलान्यास के साथ ही केंद-यूपी की सरकार व पीएम मोदी ने उस अपराध को वैधता प्रदान करने की कार्रवाई की है, जो अपराध 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहा कर संघ-भाजपा के नेताओं ने किया था और जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी आपराधिक कार्रवाई बताते हुए उसकी स्पष्ट रूप से निंदा की थी। साथ ही, कोरोना महामारी के इस दौर में धार्मिक आयोजन की कार्रवाई और उसमें 69 वर्षीय पीएम की भागीदारी ने कोविड 19 संबंधी केंद व राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ा दी जिसका देश और प्रदेश वासियों के लिए गलत संदेश गया है।

इसके साथ ही राज्य सचिव ने आज के प्रतिवाद कार्यक्रम को रोकने के उद्देश्य से सीतापुर में माले के जिला सचिव अर्जुन लाल को सुबह-सुबह उनके घर से गिरफ्तार कर लेने और चंदौली में जिला इकाई के नेता श्रवण कुमार कुशवाहा को उनके घर पर ही नजरबंद कर देने की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे योगी सरकार की अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने वाली और दमनकारी कार्रवाई बताते हुए दोनों नेताओं को बिना शर्त तत्काल रिहा करने की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने सरकार से धार्मिक आयोजनों से दूर रहने, धर्म और राजनीति का मिश्रण न करने, संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना की रक्षा करने और 6 दिसंबर ’92 के बाबरी मस्जिद ध्वंस के दोषियों को जल्द सजा दिलाने की मांग की।

कार्यक्रम में माले जिला प्रभारी रमेश सेंगर, राज्य समिति सदस्य राधेश्याम मौर्य, सूरज, बाबूराम कुशवाहा आदि मौजूद रहे। लखनऊ में गोमती नगर, आशियाना, राजाजीपुरम, तकरोही, चिनहट, अलीगंज व दारोगा खेड़ा में घरों से पार्टी सदस्यों व धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले लोगों ने नारे लिखी तख्तियां प्रदर्शित कर विरोध कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

लखनऊ के अलावा, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही, रायबरेली, जालौन, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, मथुरा आदि जिलों में छोटे-छोटे समूहों में जमा होकर धरना देने के अलावा पार्टी दफ्तरों व घरों से भी प्रतिवाद किया गया।

आज के प्रतिवाद के जरिये भाकपा-माले ने मांग की है कि

1- उच्चतम न्यायालय जिसने अयोध्या की जमीन मंदिर ट्रस्ट को दी, उसने यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद का ढहाया जाना एक अपराध था. भारत के प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनकी सरकारें, शिलान्यास में शामिल हो कर उस आपराधिक कृत्य का राजनीतिक लाभ क्यूँ उठाना चाहते हैं? भारत के नागरिक के तौर पर हम बाबरी मस्जिद गिराने के अपराधियों को राजनीतिक लाभ नहीं सजा दिये जाने की मांग करते हैं.

2- अनलॉक-3 के दिशा – निर्देशों के अनुसार सभी धार्मिक आयोजनों पर रोक है और 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को घर पर और भीड़भाड़ से अलग रहने की सलाह दी गयी है. जब 69 वर्षीय प्रधानमंत्री इन दिशा निर्देशन का उल्लंघन करते हैं और धार्मिक समारोह में शामिल होते हैं, क्या वे सभी भारतीयों को कोरोना से बचाव के दिशा – निर्देशों को अनदेखा करने और उनका उल्लंघन करने के लिए उकसा नहीं रहे हैं ?

3- भारत का संविधान इस बात में दृढ़ है कि धर्म और राजनीति का मिश्रण नहीं होना चाहिए. तब भारत के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री क्यूँ एक मंदिर के भूमिपूजन समारोह से राजनीतिक लाभ बटोरने की कोशिश कर रहे हैं ?

4- पूरा देश कोविड-19 और लॉकडाउन संकट से जूझ रहा है, साथ ही बाढ़ भी झेल रहा है, जो हर साल अपने साथ अन्य महामारियां भी लाती है. ऐसे समय में जनता को इन जानलेवा संकटों से बचाने के बजाय भारत के प्रधानमंत्री, मंदिर के शिलान्यास समारोह को राजनीतिक मंच में तब्दील करने में क्यूँ व्यस्त हैं?

5- सरकार को धार्मिक आयोजनों से दूर रहना होगा. राम मंदिर को कोरोना वायरस का इलाज बताकर अंधविश्वास फैलाना बन्द किया जाए. कोरोना नियंत्रण में विफलता को लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ के जरिये ढकना बन्द किया जाए और धर्म का राजनीतिकरण करना बंद हो. साथ ही, जन स्वास्थ्य को प्रमुखता दी जाए.


 


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