प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्नाटक चुनाव जीतने के लिए रात-दिन झोंक रहे हैं, इधर डॉलर की तुलना में रुपया 15 महीनों में सबसे बड़ी गिरावट झेल रहा है। आज एक डॉलर की कीमत 67 रुपए हो चुकी है। कभी विपक्ष के पीएम प्रत्याशी बतौर मोदी तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर तंज करते थे कि रुपये की कीमत उनकी उम्र से होड़ ले रही है। आज वह तंज मोदी जी पर चिपक रहा है।
वाकई सबसे बुरी हालत अर्थव्यवस्था की है जिस पर मोदी जी भूलकर भी चर्चा नहीं करना चाहते। कर्नाटक चुनाव में वे जनरल थिमैया से लेकर निजलिंगप्पा तक की याद कर रहे हैं, लेकिन भारतीय रुपये की हालत देखने की फ़ुर्सत उन्हें नहीं है। महंगाई और बेकारी तो भूल ही जाइए।
अगर मोदी राज में अर्थव्यवस्था को लेकर किए गए दावों की याद कीजिए तो हालात किसी चुटकुले से कम नहीं है। 2014 के चुनाव के चंद महीने पहले श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि मोदी राज में एक डॉलर 40 रुपये का हो जाएगा।
वहीं बाबा रामदेव सभी टैक्स खत्म करने का दावा कर रहे थे। उन्होंने बीजेपी का समर्थन करते हुए कहा था कि कम से कम गरीबों पर सरकार टैक्स खत्म कर देगी।
यही नहीं, भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन के उन तूफानी दिनों में अर्थशास्त्र के बड़े विद्वान और बीजेपी सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी 2017 तक डॉलर और रुपये की कीमत बराबर होने की भविष्यवाणी कर रहे थे।
बहरहाल, हालात ने आम आदमी की हालत पतली कर दी है। आँकड़े बताते हैं कि आने वाले दिनों 80 के इर्द-गिर्द कीमत पर पेट्रोल खरीदने वाली जनता को और भुगतना पड़ेगा। बैंकों पर जीएसटी के नोटिस से हाहाकार मचा हुआ है।
मशहूर टी.वी.पत्रकार रवीश कुमार ने अपने फ़ेसबुक पर यह तस्वीर खींची है। रवीश लिखते हैं–
सरकारी बैंकों के सामने एक नई चुनौती आ खड़ी हुई है। जीएसटी के महानिदेशालय ने बैंकों को नोटिस जारी कर पूछा है कि पिछले पांच साल के दौरान सर्विस टैक्स न देने के कारण क्यों न उन पर दंड और ब्याज़ लगाए जाएं? मिंट अख़बार के सलाहकार संपादक तमल बंधोपाध्याय ने लिखा है कि एक अनुमान के मुताबिक यह राशि 45,000 करोड़ के आस पास बैठती है। अगर इस पर दंड और जुर्माना लगा तो यह 1.35 खरब हो जाएगी। बैंक इतना पैसा कहां से लाएंगे।
तमल ने लिखा है कि बैंक न्यूनतम बैलेंस रखने के एवज में कई सुविधाएं फ्री देते हैं। जैसे नेट बैंकिंग से हस्तांतरण, चेक बुक जारी करना, तिमाही स्टेटमेंट, एटीएम से निकालने पर छूट। यह सब बैंक मुफ्त में सेवाएं देते हैं जो अब टैक्स के दायरे में लाए जा रहे हैं। हाल ही में बैंकों ने अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को मात्र 2 फीसदी सैलरी बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। बैंक संकट में हैं। मुद्रा लोन का एन पी ए जब बाहर आएगा तब पता चलेगा। इस लोन को लेकर जो फ्राड हुए हैं, उसकी अगर कभी जांच हो गई तो दूसरी ही तस्वीर सामने आएगी।
अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत 75.71 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है। इस कारण सोमवार को भारतीय रुपया और कमज़ोर हो गया। पिछले 15 महीने में कभी ऐसा नहीं हुआ जब एक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 67 रुपये हो गई। तेल का दाम बढ़ने के कारण डॉलर की मांग काफी बढ़ गई है। इस साल भारतीय मुद्रा का प्रदर्शन ख़राब माना जा रहा है। साल के अभी तक के हिस्स में भारतीय मुद्रा के मूल्य में 5.10 प्रतिशत की गिरावट आई है। कर्नाटक चुनाव न होता तो हर दिन तेल के दाम आसमान छू रहे होते।
देश की सबसे बड़ी प्राइवेट बैंक ICICI के कुल मुनाफे में 50 फीसदी की गिरावट आ गई है। इसका नॉन परफार्मिंग असेट 27 फीसदी बढ़ गया है। लेकिन आज शेयर बाज़ार में इस बैंक के शेयरों के दाम में 6 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई।