माहे आज़ादी के आख़िरी दिन भूषण के सर सजेगा सज़ा का ताज !

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मशहूर वकील और मानवाधिकारवादी प्रशांत भूषण को जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यी पीठ सोमवार को सज़ा सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामले में दोषी ठहराया है और सुप्रीम कोर्ट के कहने के बावजूद भूषण ने माफ़ी माँगने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सैकड़ों पूर्व जजों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एटार्नी जनरल के.के.वेणुगोपाल की इस दलील को नहीं माना कि भूषण को सज़ा न दी जाये।

माहे आज़ादी यानी अगस्त की 31 तारीख़ सोमवार को अदालत के सामने सर उठा के बोलने के लिए भूषण को सज़ा सुनायी जाएगी। भूषण ने हर तरह की सज़ा स्वीकार करने का ऐलान किया है। अदालत को दिये अपने जवाब में उन्होंने महात्मा गाँधी को कोट करते हुए कहा था कि वे न तो दया याचना करेंगे और न ही उदारता की उम्मीद करते हैं। सुप्रीम कोर्ट जो सज़ा देगा, उसे सहर्ष स्वीकार करेंगे। 24 अगस्त को मामले की आख़िरी सुनवाई हुई थी। भूषण का कहना है कि देश में लोकतंत्र को लेकर उन्होंने जो चिंता जतायी है, वह उनकी अंत:करण से उपजी है, इसलिए माफ़ी माँगना संभव नहीं है।

प्रशांत भूषण को इस समय लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में देखा जा रहा है जबकि सुप्रीम कोर्ट के रवैये पर तमाम सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट लगातार मौजूद सरकार के पक्ष में फैसला देता है और ये संयोग नहीं है।

इससे पहले चार सुप्रीम कोर्ट जज भी कह चुके हैं कि यदि इस समय चुप रहे तो आने वाली पीढ़ियाँ माफ़ नहीं करेंगी। लेकिन उन पर अवमानना का कोई मामला नहीं चला था। सुनवाई के दौरान खुद के.के.वेणुगोपाल ने ऐसी ही तमाम टिप्पणियों का उल्लेख किया था, पर सुप्रीम कोर्ट का पीठ सहमत नहीं हुआ।

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