हाथरस जा रहे राहुल-प्रियंका के क़ाफ़िले को पुलिस ने रोका तो शुरू किया पैदल मार्च !

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव व यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में हाथरस गैंगरेप की पीड़िता के परिवार से मिलने हाथरस जा रहे हैं। दोनों ही नेता कार से हाथरस जा रहे थे लेकिन उन्हें ग्रेटर नोएडा के पास पुलिस ने रोक दिया है। प्रशासन का कहना है कि उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद दोनों नेता पैदल ही हाथरस के लिए मार्च कर रहे हैं। उनके साथ हजारों की संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हुजूम है।

बता दें कि ग्रेटर नोएडा से हाथरस की दूरी करीब 142 किलोमीटर हैं। वहीं हाथरस में प्रशासन ने पहले ही धारा 144 लागू कर दी है। प्रशासन का कहना है कि कोरोनावायरस के चलते 1 सितंबर से 31 अक्टूबर के बीच जिले में धारा 144 लागू है। इसके साथ ही प्रशासन ने  हाथरस जिले की सीमाओं को सील कर दिया है।

कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर कहा है कि “उत्तर प्रदेश में अत्याचारी भाजपा सरकार द्वारा रोके जाने के बाद, कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल श्री राहुल गांधी और श्रीमती प्रियंका गांधी के नेतृत्व में हाथरस की तरफ पैदल कूच कर चुका है। #JusticeForIndiasDaughters

हाथरस के लिए रवाना होने से पहले प्रियंका गांधी ने  हाथरस की बेटी के पिता के बयान का वीडियो ट्वीट कर कहा कि “हाथरस की बेटी के पिता का बयान सुनिए। उन्हें जबरदस्ती ले जाया गया। सीएम से वीसी के नाम पर बस दबाव डाला गया। वो जांच की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं। अभी पूरे परिवार को नजरबंद रखा है। बात करने पर मना है। क्या धमकाकर उन्हें चुप कराना चाहती है सरकार? अन्याय पर अन्याय हो रहा है।

बता दें कि 14 सितंबर को हाथरस के एक गांव में ठाकुरों के चार लड़कों की दरिंदगी का शिकार हुई दलित लड़की को हालत बिगड़ने पर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहाँ 29 सिंतबर की सुबह उसका निधन हो गया। इस घटना में पुलिस ने आठ दिनों बाद बलात्कार की धारा जोड़ी थी जब मुद्दा काफी गरमा गया, वरना छेड़खानी बताकर मामले को रफा-दफा करने की तैयारी थी। इस घटना पर भड़के आक्रोश को देखते हुए सरकार काफ़ी सतर्क हो गयी थी। उसने परिजनों को शव नहीं सौंपा। इस मामले में धरना-प्रदर्शन करने वालों को गिरफ्तार किया गया और पुलिस रात में शव लेकर हाथरस पहुँची। ग्रामीणों में बेहद आक्रोश था।

परिजन चाहते थे कि वे लड़की को अपने रीति-रिवाज के साथ विदा करें, लेकिन हाथरस पुलिस इसके लिए तैयार नहीं हुई। पुलिस ने घेरेबंदी करके लोगों को दूर कर दिया और खुद ही चिता जला दी। इस चिता में योगी सरकार की साख भी राख हो गयी।

लड़की के पिता ने आरोप लगाया है कि परिजनों को घर में बंद कर दिया गया और शव देखने भी नहीं दिया गया। उन्हें नहीं पता कि पुलिस ने किसका शव जलाया है।


 

 


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