अमेरिका की बौखलाहट को देखकर नेपाल के विदेश मंत्रालय ने 29 जनवरी को एक दूसरा बयान जारी किया
। अंशु सफाई कर्मचारियों की मज़दूरी बढ़ाने और अन्य सुविधाओं को लेकर लगातार मुखर थे जिससे खार खाए प्रशासन ने मौनी अमावस्या के स्नान के पहले उन पर रासुका लगाने की धमकी भी…
कश्मीरी औरतें अपने ‘शहीदों’ के जनाज़े में आखिर क्यों जाती हैं?
दो दिवसीय दलित साहित्य महोत्सव ने संगठित होने का किया आवाहन; एक नई साहित्य की दुनिया संभव बनाने का लिया संकल्प
उन्होंने दशकों पहले बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की थी और उसके बाद उन्होंने अनेक पुस्तकों और लेखों का हिंदी अनुवाद किया जिसका प्रकाशन साहित्य अकादमी ने किया
इस आंदोलन ने मुद्दा आधारित मतदान करने की बात कह कर सबको चौंका दिया है
पहले ही तय कर लिया था अपना नाम फराह ‘ख़ान' नहीं बताऊंगी। नाम से ज़ाहिर होता मेरा मज़हब काम में रुकावट डाल सकता था।
कयास हैं कि राहुल गांधी अमेठी से पलायन तो नहीं करेंगे लेकिन वह महाराष्ट्र के नांदेड़ अथवा मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से भी लोक सभा चुनाव लड़ सकते हैं
EVM से जुड़ी तीन अहम ख़बरें जिनकी मीडिया में कही कोई चर्चा नही है।
प्राणवान् चिकित्सा नहीं है, चिकित्सक है। विवेकशील दवा नहीं है, देने वाला है। प्राण और विवेक के आँखें नहीं हैं, वे हितकामी अन्तःप्रेरित अनुमान से चलते हैं।
क्या शिक्षा सुधार से जुड़ी मांग करने के एवज में लाठी बरसायी जानी चाहिए? क्या शिक्षा सुधार की मांग एक लोकतंत्र में नाजायज़ है? ऐसा लगता है कि बिहार में नीतीश कुमार की…
जो मामला अब तक ‘अश्लील’ टिप्पणी के साथ छात्राओं की कथित तस्वीर फेसबुक पर पोस्ट करने के आरोप तक सीमित था, वह अब विभागाध्यक्ष जोशी के मुंह खोलने के साथ और व्यापक हो…
हर बार बहुजन आंदोलन के साथ यही होता है कि मेहनत कोई और करता है और नेता कोई और बनता है
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से 11 फरवरी तक राहत दी थी
'सत्ता के भूखे लोगों से मजहब बचाइये।'
जन संस्कृति मंच आखिर किसे बचाना चाहता है, ख़ुद को, सत्ता के दरबारी साहित्यकारों को या दैनिक जागरण अखबार को या नीतीश-मोदी की फ़ासिस्ट और जनसंहारक सरकार को?
ओमप्रकाश चौटाला के परिवार की लड़ाई की आग ने जींद की जनता तक को झुलसाकर रख दिया
मादुरो ने कहा है कि वह विपक्षी दलों और खुआन गोइदो के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं
बाबा को संघ और भाजपा का करीबी बताया जाता है। माना जाता है कि बाबा मनमोहन इस बार भाजपा से टिकट लेकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था।
मुसलमानों के खिलाफ़ घृणा का प्रचार किया जा रहा है। हद तो यह है कि मीडिया इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।
ये हैं मोदीयुग के 'राष्ट्रभक्त'। बाक़ी 'देशद्रोही' सब जेएनयू में बसते हैं जो हत्यारों से हर मोर्चे पर भिड़ते हैं।
प्रो. मनोज ने अपनी शिकायत में विभाग के ही एक प्रोफेसर पर सजिश करने का आरोप मढ़ा है।
पूर्वोत्तर भारत में भाजपा के चुनावी मंसूबों में नागरिकता विधेयक अड़चन डाल सकता है
26 किताबों के लेखक और डा.आंबेडकर की पौत्री के पति आनंद तेलतुम्बडे को फँसा रही है सरकार।
मुझे खुर्शीद की बात याद आ रही थी- जब घर में कोई मर्द बचा ही नहीं तो हमारी बेटियां हथियार नहीं उठाएंगी तो क्या करेंगी?