केंद्र की भाजपा सरकार की कई नीतियों के खिलाफ सोमवार से देश भर में 19 विपक्षी दल विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं। यह विरोध 11 दिनों तक यानी सितंबर के अंत चलेगा। विपक्षी नेताओं ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जाएगा। विरोध से पहले विपक्षी दलों के नेताओ ने एक संयुक्त बयान देते हुए लोगो से साथ खड़े होने और देश की बचाने का आह्वान किया है। इस दौरान केंद्र सरकार पर नेताओं द्वारा गई आरोप भी लगाए गए है।
इन मुद्दों किया जाएगा विरोध प्रदर्शन..
वहीं, इस प्रदर्शन को लेकर विपक्षी नेताओं ने कहा कि इसकी रूपरेखा उनकी पार्टी से संबंधित राज्य इकाइयों द्वारा तैयार की जाएगी। इस 11 दिवारीय प्रदर्शन में विपक्षी दलों की यह है मांगे..
- तीन नए कृषि को कानूनों को रद्द करना
- जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव
- राफेल सौदे की उच्च स्तरीय जांच
- जम्मू-कश्मीर में सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई
- पेगासस हैकिंग विवाद की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच
विपक्षी नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा..
विरोध करने से पहले सभी विपक्षी नेताओं ने एक संयुक्त बयान दिया है जिसमें 19 विपक्षी दलों के नेताओं ने भारत के लोगों से पूरी ताकत से अपनी धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणतंत्रात्मक व्यवस्था की रक्षा के लिए इस अवसर पर उठ खड़े होने का आह्वान किया है। विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि भारत को आज बचाएं, ताकि हम इसे बेहतर कल के लिए बदल सकें। साथ ही विपक्षी नेताओं ने संसद के मानसून सत्र को अचानक समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। नेताओं ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि पेगासस मुद्दे, तीन नए कृषि कानूनों, मुद्रास्फीति, मूल्य वृद्धि, बेरोज़गारी और कोरोनो महामारी के कथित प्रबंधन पर सरकार द्वारा बातचीत नहीं की जाती हैं।
आपको बता दें कि अगस्त में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई वर्चुअल बैठक के बाद नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा था कि हम 20 से 30 सितंबर, 2021 तक देश भर में संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन करेंगे। वर्चुअल बैठक में विपक्षी दलों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ने पर ज़ोर दिया था।