अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने इस संभावना को पूरी तरह से खारिज कर दिया है कि कल की वार्ता में तीन कृषि कानूनों व बिजली बिल 2020 के रद्द किये जाने पर पहले चर्चा के बिना किसी भी मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है। एआईकेएससीसी ने कहा कि किसान आंदोलन को क्षति पहँचाने वाले लोग ऐसी कहानियां फैला रहे हैं कि अन्य सवालों पर चर्चा की जाएगी। जो वार्ता के फोकस को बिखेर रहे हैं वे किसान विरोधी व कॉरपोरेट पक्षधर हैं।
एआईकेएससीसी ने कृषि मंत्री को याद दिलाया है कि इन कानूनों को वापस लिये जाने का सवाल 7 माह से उनकी मेज पर लंबित है और जब वे कहते हैं कि वे मुद्दे, तर्क और तथ्यों पर बात करेंगे तो उन्हें इसे भी याद रखना चाहिए।
एआईकेएससीसी ने कहा कि सरकार का दावा कि ये कानून किसानों के लाभ के लिए है, बेतुका है। लाखों किसान जो कम्पनियों की सच्चाई को उनसे बेहतर समझते हैं, पिछले 1 माह से ज्यादा से उनके दरवाजे पर बैठे हैं। ये कानून जो विदेशी व घरेलू कॉरपोरेट को कानूनी रूप से अधिकार देते हैं, सरकारी मंडियों को कमजोर करेंगे और किसानों को ठेकों में बांध देंगे। ये सामान की आपूर्ति, सुपरवाइजर, एग्रीगेटर, पारखी, आदि के रूप में बिचैलियों की एक लंबी श्रृंखला को स्थापित करेंगे। ये लागत के दाम बढ़ाएंगे, फसल के दाम घटाएंगे, किसानों पर कर्ज बढ़ाएंगे और जमीन छिनने व आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ जाएंगी।
एआईकेएससीसी ने कहा है कि ठेका कानून के अन्तर्गत किसानों को कर्ज लेना ही पड़ेगा और ठेका कानून में जमीन गिरवी रखकर ऐसे कर्जे लेने तथा जमीन से उसकी वसूली का प्रावधान है।
एआईकेएससीसी ने कहा कि सरकार जानबूझकर देश को गलत जानकारी दे रही है कि वह एमएसपी व सरकारी खरीद का आश्वासन दे सकती है। उसके अपने नीति आयोग के उपाध्यक्ष रोजाना लेख लिख रहे हैं कि सरकार के पास भंडारण की समस्या है और उसका फसल खरीदने का कोई इरादा नहीं है।
एआईकेएससीसी ने बिहार पुलिस द्वारा पटना में राजभवन मार्च कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज की निन्दा की है। एआईकेएससीसी ने कहा किसानों पर लाठीचार्च कर भाजपा-एनडीए सरकार ने दमनकारी चहरा दिखाया है। दिल्ली के संघर्ष के समर्थन में पटना में आज 10 हजार किसानों ने मोर्चा बांधा और जब पुलिस की लाठियों के सामने वे डटे रहे तो पुलिस को पीछे हटना पड़ा।
कड़ाके की ठंड के बावजूद दिल्ली में विरोध सभाओं में लोगों की संख्या व जोश बढ़ता जा रहा है और धरनों का आवरण बढ़ रहा है।
एआईकेएससीसी ने आंदोलन में भाग ले रहे किसानों व उनके संगठनों द्वारा दमन के बावजूद शांतिपूर्ण विरोध जारी रखने के लिए अनुशासन बनाए रखने की सराहना की है। भाजपा द्वारा किसानों के खिलाफ किए जा रहे प्रचार के कारण उनके मन में कारपोरेट के हाथों जमीन व बाजार खोने का डर बढ़ रहा है।
एआईकेएससीसी मीडिया सेल द्वारा जारी