चुनाव का मौसम आते ही ज्यादातर मीडिया में लोाकसभा सांसदों के गोद लिए गांवों का हाल जानने की एक परिपाटी चली हुई है। लोग जानना चाह रहे हैं कि जिन सांसदों ने गांवों को विकास के लिए गोद लिया था उनमें कितना और कैसा विकास हुआ है। ऐसे में सूचना के अधिकार के तहत पिछले साल किए गए एक आवेदन का जवाब सामने आया है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में है। इसका जवाब चौंकाने वाला है।
कन्नौज के अनुज वर्मा ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कार्यालय, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण, वाराणसी में आवेदन कर के पूछा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए चार गांवों में सांसद मोदी ने अपनी सांसद निधि से क्या काम करवाए हैं।
अभिकरण के परियोजना निदेशक की ओर से 30 जून 2018 को प्रेषित पत्र में जानकारी दी गई है कि:
क. प्रधानमंत्री द्वारा जनपद वाराणसी के अब तक कुल 4 ग्रामों को सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत गोद लिया गया है जिनके नाम व गोद लिए जाने की तारीख निम्न है:
- जयापुर : 07.11.2014
- नागेपुर : 18.02.2016
- ककरहिया : 23.10.2017
- डोमरी : 06.04. 2018
ख. उक्त चयनित ग्रामों में प्रधानमंत्री जी की सांसद निधि से कोई भी कार्य नहीं कराए गए हैं।
गौरतलब है कि आज से चार साल पहले जयापुर और नागेपुर पर कई रिपोर्टें आई थीं जिनमें बताया गया था कि उन गांवों में प्रधानमंत्री ने क्या-क्या विकास कार्य्र करवाए हैं। अब इस सूचना के अधिकार आवेदन के जवाब के बाद सवाल उठता है कि उन गांवों में जो भी काम हुए हैं उनमें पैसा कहां से लगा है? अगर यह सांसद निधि का पैसा नहीं है तो क्या प्रशासनिक बजट में से पैसा उधर मोड़ा गया?
यदि पैसा कहीं और से नहीं आया, तो दूसरा बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इन गांवों में कोई भी काम नहीं हुआ है?