ममता बोली, पीएम दिलवा दें प. बंगाल का बकाया-कर देंगे पेट्रोल सस्ता!

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कोविड प्रबंधन के लिए हुई मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पेट्रोल डीजल की कीमतों को लेकर राज्यों पर हमले के बाद राजनीतिक घमासान तेज हो गया है. अब इस बैठक में प्रोटोकॉल के कारण, कोई प्रतिक्रिया न देने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने  बुधवार को इस बात को लेकर, पीएम पर पलटवार करते हुए कहा, उनकी सरकार ने पिछले 3 सालों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए 1,500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.

इस पलटवार के पहले हुआ ये था कि प्रधानमंत्री ने कोरोना के प्रबंधन को लेकर मुख्यमंत्रियों के साथ एक बैठक की थी, जहां  उन्होंने महाराष्ट्र, केरल और पश्चिम बंगाल पर पेट्रोल डीजल से वैट कम करने को लेकर तंज किया था. पीएम के संबोधन में पेट्रोल की कीमतों का पूरा भार, राज्यों पर डाल दिया गया था, जिसे लेकर राज्यों की ओर से आक्रोश जताया गया है।

ममता बनर्जी ने इस पर जवाबी हमला करते हुए कहा, “पीएम मोदी का बयान एक तरफा और गुमराह करने वाला है. उनके फैक्ट गलत हैं. हम तीन साल से पेट्रोल और डीजल पर सब्सिडी दे रहे हैं. इसके लिए हमने पिछले 3 साल में 1500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.”

सीएम ममता ने आगे कहा कि पीएम मोदी राज्यों से पेट्रोल और डीजल पर टैक्स घटाने के लिए कह रहे हैं. जबकि प. बंगाल का केंद्र पर 97,000 करोड़ रुपए बकाया है. अगर सरकार इसका आधा भी चुका दे, तो हम टैक्स घटा देंगे. उन्होंने ने कहा, “सरकार के बकाया चुकाते ही हम पेट्रोल और डीजल पर 3000 करोड़ रुपए की सब्सिडी दे देंगे. मुझे सब्सिडी देने में कोई दिक्कत नहीं लेकिन बिना बकाया मिले, मैं अपनी सरकार कैसे चलाऊंगी.”

इसके बाद एआईटीसी ने ट्वीट किया, “हम वादा करते हैं कि अगर केंद्र सरकार हमारा पुराना सारा बकाया क्लियर कर दे, तो हम अगले 5 साल तक पेट्रोल और डीजल से सारे टैक्स हटा लेंगे. हमारा केंद्र पर 97,807.91 करोड़ रुपए बाकी है. नरेंद्र मोदी हम देखते चाहते हैं कि आप क्या करेंगे”.

ममता बनर्जी के मुताबिक, बैठक के दौरान पीएम मोदी को जवाब देने का प्रोटोकॉल नहीं था. इसलिए वे उनके बयान का जवाब नहीं दे पाईं. साथ ही उऩ्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल से 2014 से लेकर अब तक 17,31,242 करोड़ रुपए की आय की है. लेकिन अब वो टैक्स घटाने की ज़िम्मेदारी राज्यों पर डाल रहे हैं. वे ये सच, लोगों को क्यों नहीं बताते.

दरअसल ममता और ऑल इंडिया तृणमूल जो कह रहे हैं, वो कोई नई बात नहीं है। इसके पहले भी, कोविड की पहली लहर के बाद से ही महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल समेत राजस्थान भी लगातार केंद्र से जीएसटी बकाये की मांग करते रहे हैं। जीएसटी आने के बाद से, राज्यों के पास अपने गिने-चुने टैक्स बचे हैं, जिनमें आबकारी और ईधन पर लगने वाला वैट है। इसके अलावा बाकी सारे टैक्स अब जीएसटी के अंतर्गत हैं, जिनमें राज्यों का हिस्सा, उनको केंद्र से ही मिलता है। ये सवाल, जायज़ है पर इसका केंद्र क्या जवाब देगा, ये किसी को नहीं पता है। 

पीएम मोदी का ये तंजिया बयान, उस बैठक में आया, जिसका आयोजन कोविड के नए हालात से निपटने के लिए किया गया था। लेकिन प्रधानमंत्री किसी भी बैठक को, चुनावी तैयारी और विरोधियों पर हमले के मौके के तौर पर ही देखते हैं। संभवतः सवालों से बचने का सबसे आसान तरीका ये ही है कि पहले ही विरोध पर सवाल खड़े कर दिए जाएं। लेकिन ममता और उद्धव ठाकरे भी शायद उतने ही आक्रामक मोड में रहते हैं, जितना कि भारतीय जनता पार्टी। पीएम ने ममता को राजनीतिक आक्रामकता का नया मौका दे दिया है। गर्मी बढ़ रही है और सियासी गर्मी बढ़ने वाली है।