अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के वर्किंग ग्रुप ने कहा कि इस नए साल के मौके पर आज लाखों किसानों ने संकल्प लिया है कि वे किसानों के आन्दोलन का समर्थन करेंगे और देश में बढ़ती भूख का विरोध करेंगे।
देशभर में ली गयी शपथ में किसानों ने संकल्प लिया कि ‘केन्द्र द्वारा लादे गये 3 किसान विरोधी कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर देश के किसानों के द्वारा चलाए जा रहे अनिश्चित कालीन आन्दोलन को देश की आजादी के लिए शहीद हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, किसान आन्दोलन के शहीदों तथा अनिश्चित कालीन आन्दोलन के दौरान शहीद हुए किसानों की प्रेरणा से कानून रद्द किये जाने तक लगातार चलाएंगे; कि हम किसानों व गांव को कॉरपोरेट के हाथों में जाने से बचाने, देश की खाद्य सुरक्षा एवं आत्मनिर्भरता को बचाने, बिजली बिल वापस कराने तथा सभी कृषि उत्पादों की सी2+50 फीसदी पर खरीद सुनिश्चित करने की कानूनी गारंटी देने वाले कानून लागू कराने के लिए हर बलिदान करने को तैयार रहेंगे’।
शपथ में ये भी कहा कि हम मानते हैं कि किसान बचेगा तभी देश बचेगा। कई स्थानों पर किसानों व समर्थकों ने संविधान की प्रस्तावना की भी शपथ ली।
एआईकेएससीसी ने कारपोरेट पक्षधर बुद्धिजीवियों द्वारा बीच के रास्ते व समझौतों के बात की निन्दा करते हुए कहा है कि किसान इस बात पर स्पष्ट है कि तीनों कानून रद्द होने हैं, क्योंकि इनसे खेती के बाजार, खेती की प्रक्रिया, किसानों की जमीन व खाद्यान्न सुरक्षा कारपोरेट के हाथ में चली जाएगी। यह स्पष्ट है कि सरकार ने जो दो छोटे सवाल स्वीकार करने की घोषणा की है वह तीन कानून रद्द न करने की अपनी जिद पर अड़े रहने के लिए है।
एआईकेएससीसी ने नीति आयोग तथा उसके विशेषज्ञों पर आरोप लगाया कि वे समझते हैं कि भारत के पास अतिरिक्त खाना जमा है और वे वकालत कर रहे हैं कि सरकार को अनाज नहीं खरीदना चाहिए। उन्हें जानना चाहिए कि भारत दुनिया में भूखे लोगों की संख्या में, जो बढ़ भी रही है सबसे ऊपर है। भूख की सूची में 34.9 का माप संकेत करता है कि भूख का संकट गम्भीर है। इस पैमाने पर भारत का माप सन् 2000 में 38.8 था, जो 2020 में गिरकर 27.2 रह गया। 2019 में भी यह माप 30.3 था। यह सरकार की उपेक्षा के कारण हुआ है और हाल का मंत्रिमंडल का निर्णय कि सब तरह के अनाज कम्पनियों को शराब बनाने के लिए दिये जाएं, गरीबों के प्रति इस अपेक्षा का एक और सबूत है। यह जरूरत से ज्यादा के उत्पादन के दावों के बावजूद हो रहा है।
सरकार का यह दायित्व है कि वह लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करे और ये 3 कानून, सरकारी खरीद तथा राशन व्यवस्था को कमजोर कर देंगे, ये मौलिक अनाज उत्पादन को व्यवसायिक फसलों में बदल देंगे, जो कारपोरेट के लिए मुनाफाजनक होती हैं और ये कारपोरेट को खाना खरीदने, जमाखोरी करने और कालाबाजारी करने की स्वतंत्रता देंगे।
इसके साथ ही एआईकेएससीसी ने समझौते आधे रास्ते की भाषा की निन्दा की है और कहा है किसानों की एक ही मांग है – तीन कानून, बिजली बिल 2020 वापस लो। दो छोटी मांगें मानना कानून रद्द न करने पर अड़े रहने का बहाना नहीं बन सकता।
एआईकेएससीसी ने शराब बनाने के लिए अनाज को बढ़ावा देने के मंत्रिमंडल के निर्णय की भी निन्दा की है।
एआईकेएससीसी, मीडिया सेल द्वारा जारी