पटना 7 जनवरी 2020 : अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले आज से पटना के गर्दनीबाग में किसानों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू हो गया। इसमें सैंकड़ों की संख्या में किसानों की भागीदारी हो रही है। सभी जिला मुख्यालयों और प्रखंड मुख्यालयों पर भी लगातार किसान धरना चल रहा है। प्रशासन सरकार के इशारे पर कई जगह कार्यक्रम की अनुमति नहीं दे रहा है। वह लोकतंत्र के दमन पर उतारू है।
पटना के गर्दनीबाग धरनास्थल पर अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार राज्य सचिव रामाधार सिंह, राज्य सह सचिव उमेश सिंह और जिला सचिव कृपानारायण सिंह के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन धरना आरम्भ हुआ। धरने में अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के महासचिव धीरेंद्र झा, फुलवारी विधायक गोपाल रविदास, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, मुर्तजा अली, पपू शर्मा, बृजमोहन दास, देवेंद्र वर्मा, साधुशरण दास, राजद के अमीर अहमद व बसरा जी, इंसाफ मंच की आफसा जबीं, इनौस के सुधीर कुमार व विनय कुमार, गुरुदेव दास आदि ने हिस्सा लिया।
धरने को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि आज बिहार में धान खरीदने की जगह किसानों की पिटाई की जा रही है। यह बेहद निंदनीय है। एक तो बिहार में धान की खरीद इक्के- दुक्के पंचायतों में हो रही है, दूसरी तरफ धान के वाजिब दाम देने से पैक्स अध्यक्ष मना कर रहा है। सिवान ज़िला के दरौली प्रखंड के दोन पंचायत में किसानों से एक ट्रैक्टर धान की तौल करा ली गयी और तब जाकर कहा कि सरकारी दर नहीं मिलेगा। किसान ने उत्तर में कहा कि तब हम धान नहीं बेचेंगे।
इसपर कुशवाहा जाति के किसान पर टूट पड़े। किसान की बर्बर पिटाई की गई। हम नीतीश कुमार से मांग करते हैं कि बिहार में मंडियों को फिर से बहाल किया जाए और पैक्सों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदने का दवाब बनाएं। हालांकि सरकार पैक्सों को बोरे खरीदने तक का पैसा नहीं दे रही है और संस्थागत भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।
अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार राज्य सचिव रामाधार सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे एमएसपी पर आश्वासन बढ़ रहा है धान के दाम गिर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार वार्ता तथा किसानों की समस्या को हल करने के प्रति गम्भीर नहीं है। जैसे-जैसे सरकार के एमएसपी के आश्वासन की बात तेज हो रही है, धान के दाम गिरते जा रहे हैं, जो अब 900 से 1000 रु. कुंतल बिक रहे हैं।
अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार राज्य सह सचिव उमेश सिंह ने कहा कि श्री गडकरी ने एमएसपी की मांग को गलत बताते हुए कहा कि यह बाजार के रेट से ज्यादा होती है। यह तब कहा कि जब सरकार कह रही है कि एमएसपी जारी रहेगी। मंत्रियों को ये पता होना चाहिए कि दुनिया के एक तिहाई भूखे लोग भारत में रहते हैं, जो उसकी जनसंख्या के हिस्से से दो गुना हैं। नीति आयोग के सदस्य लगातार कह रहे हैं कि सरकार न खाना खरीद सकती है, न उसको भंडारण कर सकती है, जबकि सरकारी पक्ष है कि खरीद जारी रहेगी।
धरना के माध्यम से खाद्य पदार्थों से एथेनॉल बनाने के फैसले की कड़ी निंदा की गई। कहा गया कि इससे खाद्य असुरक्षा बढ़ेगा। बिहार में भंग कृषि उत्पादन बाजार समिति को बहाल नही कर रही है। 1868/1888 के खुद का तय किया गया रेट पर धान नहीं खरीद रही है।
धरने में वक्ताओं ने कहा कि हम किसानों के लिए मर जाएंगे लेकिन किसान बिरोधी कानून नहीं चलने देगें।
अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्यव्यापी आह्वान पर भोजपुर, सिवान, अरवल, दरभंगा, भागलपुर, नालन्दा, गया, जहानाबाद, रोहतास, वैशाली आदि सभी जिलों में किसान धरने आरम्भ हो गये हैं, जिसमें व्यापक पैमाने पर किसानों की भागिदारी हो रही है।
किसान विरोधी तीन काले कानूनों के खिलाफ आज दरभंगा के डीएम कार्यालय पर अडानी-अम्बानी और मोदी सरकार का पुतला दहन किया गया। यहां धरना आज दूसरे दिन भी जारी है।