पांच साल पहले 2014 में अदलहाट थाने के अंतर्गत एक आदिवासी युवती के साथ बलात्कार का मामला सामने आया था। हिंदी के कथाकार रामजी यादव की पहल पर बनारस की संस्था पीवीसीएचआर ने इस मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में उठाया था, जिसके बाद मुकदमा दर्ज कर के आरोपी कमलेश को 31.05.2014 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
शासन से मिली सूचना के मुताबिक उक्त मामले में पीडि़ता को मानवाधिकार आयोग की ओर से 60,000 रुपये की सहायता राशि प्रेषित की गई है। इस मामले में प्रशासन पर दबाव बनाने में और इंसाफ दिलाने में पत्रकार आवेश तिवारी की बड़ी भूमिका रही।
मिर्जापुर के अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजे गए एक पत्र में इस आशय की सूचना दी गई है।
गौरतलब है कि 2014 की गर्मियों में अदलहाट थानांतर्गत एक रेप का मामला बंबई निवासी कथाकार रामजी यादव द्वारा प्रकाश में लाया गया, जिसके बाद इलाके के कुछ पत्रकारों ने मिलकर इस बारे में फेसबुक पर जमकर लिखा और स्थानीय अधिकारियों पर दबाव बनाया। उस वक्त पुलिस खुद पीडि़ता को ही पकड़ कर थाने में ले आई थी और दबंग आरोपियों के राजनीतिक दबाव में एफआइआर लिखने से बच रही थी।
दिल्ली से लेकर बंबई तक पत्रकारों का दबाव पड़ने के बाद बाद इस मामले में किसी तरह एफआइआर हुई। उसके बाद डॉ. लेनिन रघुवंशी की संस्था पीवीसीएचआर ने एनएचआरसी में मामले को उठाया। आखिरकार महीने भर के भीतर आरोपी की गिरफ्तारी हुई और साल भर बाद अनुसूचित जाति/जनजाति के उत्पीड़न की धारा भी जोड़ दी गई।
अब जाकर मामले का निस्तारण हुआ है और पीडि़ता को मुआवजा राशि की बात पुष्ट हुई है।