क्या प्रमोशन में आरक्षण जारी रखना सही है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा डेटा!

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पदोन्नति में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से डेटा मांगा। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह पदोन्नति में आरक्षण जारी रखने के फैसले को सही ठहराने के लिए उसके सामने डेटा पेश करे। कोर्ट ने केंद्रीय नौकरियों में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का आकलन करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी हैं। कोर्ट ने पाया है कि SC/ST के लिए पदोन्नति में आरक्षण अनिश्चित काल तक नहीं चल सकता है। हालांकि यह तब तक चलेगा जब तक उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल जाता।

जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ इंद्रा साहनी मामले में पांच साल की अवधि के बाद अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने वाली अधिसूचना को रद्द करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

SC/ST कर्मचारियों के अनुपात का पता लगाने के लिए 1997 के बाद कोई प्रयास किया..

पदोन्नति में आरक्षण की नीति को जारी रखने के केंद्र के फैसले की वैधता की जांच कर रही जस्टिस एल नागेश्वर राव, संजीव खन्ना और बीआर गवई की पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (Attorney General KK Venugopal) और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह (Additional Solicitor General Balbir Singh) से बार-बार पूछा कि क्या इस बारे में कोई अभ्यास किया गया है? कोर्ट ने पूछा कि क्या केंद्र सरकार की नौकरियों में एससी और एसटी कर्मचारियों के अनुपात का पता लगाने के लिए 1997 के बाद कोई प्रयास किया गया है।? पीठ ने सरकार से पूछा, “वह डेटा कहां है जो कहता है कि पदोन्नति में आरक्षण को सही ठहराने के लिए प्रतिनिधित्व की कमी है? हमें डेटा दिखाएं।”

AG ने कोर्ट को बताया -पर्याप्त प्रतिनिधित्व का मतलब है….

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि 1965 में केंद्र सरकार की नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों का प्रतिशत क्रमशः 3.34% और 0.62 % था, जो बढ़कर 17.5 % और 6.8 % हो गया है। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी का प्रतिनिधित्व ग्रुप सी और ग्रुप डी श्रेणियों की नौकरियों में अधिक और ए और बी श्रेणियों में कम था। AG ने यह भी तर्क दिया कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व का मतलब है कि सरकारी नौकरियों में उनका हिस्सा जनसंख्या में उनके हिस्से के अनुपात में होना चाहिए।

केवल सिद्धांतों के बारे में बात कर रहे हैं, आंकड़ों के बारे में नहीं हमे डेटा दिखाएं: SC

पीठ ने कहा, “आप पदोन्नति में आरक्षण को कैसे उचित ठहराएंगे? आप केवल सिद्धांतों के बारे में बात कर रहे हैं, आंकड़ों के बारे में नहीं। पदोन्नति में आरक्षण जारी रखने के लिए कुछ औचित्य होना चाहिए।” पीठ ने कहा, एक विशेष अवधि के बाद, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधित्व 15 से 7.5% से अधिक होना तय है।” हम यह पता लगाना चाहते हैं कि क्या सरकार ने यह डेटा हासिल करने के लिए कोई कवायद की थी। हमे वह दूसरे डेटा दिखाएं। जो कहता है कि पदोन्नति में आरक्षण को सही ठहराने के लिए प्रतिनिधित्व की कमी है।”