पूर्व आइपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 30 साल पहले पुलिस हिरासत में हुई मौत के एक मामले में गुरुवार को जामनगर सत्र न्यायालय ने दोषी करार देते हुए आजीवन कैद की सज़ा सुनाई है. निचली अदालत ने भट्ट को 1990 के एक ‘हिरासत में मौत’ मामले में दोषी पाया है. नवंबर 1990 में प्रभुदास माधवजी वैश्नानी नाम के एक शख्स की हिरासत के दौरान कथित तौर पर प्रताड़ना की वजह से मौत हो गई थी. उस समय संजीव भट्ट जामनगर में सहायक पुलिस अधीक्षक थे.
Jamnagar Sessions Court sentences former IPS officer Sanjeev Bhatt to life imprisonment under IPC 302 in 1990 custodial death case. #Gujarat pic.twitter.com/KMkrdDQGlr
— ANI (@ANI) June 20, 2019
इस मामले में बुधवार (12 जून) को संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर कर अपने खिलाफ गवाहों की नए सिरे से जांच की मांग की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने ख़ारिज कर दिया था. भट्ट ने अपनी याचिका में कहा था कि मामले में 300 गवाहों के बयान लिए जाने थे लेकिन कई महत्वपूर्ण गवाहों को छोड़कर सिर्फ 32 गवाहों का ही परीक्षण किया गया. भट्ट ने आरोप लगाया कि मामले की जांच करने वाले तीन पुलिस अधिकारियों और अन्य गवाह जिन्होंने कहा कि हिरासत में कोई प्रताड़ना नहीं हुई थी, उन लोगों के बयान नहीं लिए गए.
Former IPS officer Sanjiv Bhatt sentenced to life by a Jamnagar Court. @sanjivbhatt #SanjivBhatt #Jamnagar pic.twitter.com/qxkinRHSdh
— Bar and Bench (@barandbench) June 20, 2019
संजीव भट्ट फिलहाल 1996 के केस में सज़ा काट रहे हैं.
1990 में जामनगर में भारत बंद के दौरान हिंसा हुई थी तब संजीव भट्ट ने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर दंगा करने के आरोप में 133 लोगों को गिरफ्तार किया था जिनमें प्रभुदास माधवजी वैश्नानी भी शामिल थे. न्यायिक हिरासत के दौरान प्रभुदास माधवजी वैश्नानी की मौत हो गई थी. तब भट्ट और उनके सहयोगियों पर पुलिस हिरासत में मारपीट का आरोप लगा था. इस मामले में संजीव भट्ट व अन्य पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन गुजरात सरकार ने मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी. 2011 में राज्य सरकार ने भट्ट के खिलाफ ट्रायल की अनुमति दे दी.
संजीव भट्ट गुजरात काडर के आइपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने 2002 में गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे. 2015 में गुजरात की तत्कालीन मोदी सरकार ने भट्ट को बर्खास्त कर दिया था. संजीव राजेंद्र भट्ट सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर करने के बाद सुर्ख़ियों में आ गए थे. इस हलफ़नामे में उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाए थे और कहा था कि गुजरात में 2002 में हुए दंगों की जाँच के लिए गठित विशेष जाँच दल (एसआईटी) में उन्हें भरोसा नहीं है.
आज अदालत का यह फैसला आने के बाद सोशल मीडिया पर खूब प्रतिक्रिया हो रही है.
Another thorn removed? Former IPS Sanjiv Bhatt is sentenced to life imprisonment for a custodial death in 1990.
— Truth Seeker (@AudaciousQuest_) June 20, 2019
#SanjivBhatt, who had filed an affidavit against @narendramodi, gets life imprisonment in a 30 year old case.
Pragya Thakur, who praises PM #Modi, gets sent to Parliament despite being an alleged terrorist.
Is Justice blind or just plain biased?https://t.co/OSmTxnGs0s
— Dr. Shama Mohamed (@drshamamohd) June 20, 2019
If you know about @narendramodi 's role in 2002 riots and support him – you can flourish & prosper, like Amit Shah or Vanzara.
If you know about @narendramodi 's role in 2002 riots and oppose him – your fate will be like that of Sanjiv Bhatt or Judge Loya.
— Suryanarayan Ganesh (@gsurya) June 20, 2019
आइआइटी बंबई से पोस्ट ग्रेजुएट संजीव भट्ट 1988 में भारतीय पुलिस सेवा में आए और उन्हें गुजरात काडर मिला था .