भूख इंडेक्स में भारत की रैंक 94, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी बुरा हाल


अजब बात तो ये है कि इस सूचकाँक में भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान ही नहीं, बांग्लादेश और नेपाल से भी पीछे है। सिर्फ 13 देश इस मामले में भारत से ख़राब स्थिति में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वांडा (97), नाइजीरिया (98), अफगानिस्तान (99), लीबिया (102), मोजाम्बिक (103) और चाड (107) जैसे कुछ देशों की स्थिति ही भारत से बुरी है। रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल 73वें, पाकिस्तान 88वें, बांग्लादेश 75वें और इंडोनेशिया 70 पायंदान पर है।


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विश्व भूख सूचकाँक 2020 ( Global Hunger Index 2020) की रिपोर्ट जारी हो गयी है और स्थिति भारत को शर्मिंदा करने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक 107 देशों की सूची में भारत 94वें पायदान पर है। रिपोर्ट में भारत का स्कोर है 27.2 यानी भूख के मामले में स्थिति बेहद गंभीर है। वैसे, पिछली बार की रैंकिंग 102 थी। यानी तकनीकी लिहाज से स्थिति सुधरी है पर कुल देशों की संख्या भी घटी है। पिछली बार कुल देशों की संख्या 117 थी।

अजब बात तो ये है कि इस सूचकाँक में भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान ही नहीं, बांग्लादेश और नेपाल से भी पीछे है। सिर्फ 13 देश इस मामले में भारत से ख़राब स्थिति में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वांडा (97), नाइजीरिया (98), अफगानिस्तान (99), लीबिया (102), मोजाम्बिक (103) और चाड (107) जैसे कुछ देशों की स्थिति ही भारत से बुरी है। रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल 73वें, पाकिस्तान 88वें, बांग्लादेश 75वें और इंडोनेशिया 70 पायंदान पर है।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत की क़रीब 14 फ़ीसदी जनसंख्या कुपोषण का शिकार है और उम्र की तुलना में ज़्यादा कुपोषित और कम लंबाई वाले बच्चों की तादाद 37.4 फ़ीसदी है। इसे स्टंटिंग रेट कहते हैं।

कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थहंगर लाइफ हर साल संयुक्त रूप से ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट जारी करते हैं। इसमें जिन देशों का स्कोर नीचे रहता है उनको ऊँची रैंकिंग मिलती है। अगर स्कोर ज़्यादा हुआ, यानी भूख-कुपोषण ज्यादा हुआ तो रैंकिंग ऊँची होती है जैसे कि भारत की हुई।

कोई व्यक्ति कितनी कैलोरी ग्रहण करता है, उसी आधार पर उस देश का भूख सूचकाँक तय होता है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत की करीब 14% जनसंख्या कुपोषण का शिकार है. वहीं भारत के बच्चों में स्टंटिंग रेट 37.4 परसेंट है. स्टन्ड बच्चे वो कहलाते हैं जिनकी लंबाई उनकी उम्र की तुलना में कम होती है और जिनमें भयानक कुपोषण दिखता है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट हर साल आती है और इसमें जिन देशों का स्कोर नीचे रहता है उनको ऊंची रैंकिंग मिलती हैं, और इसके विपरीत जिनका स्कोर ज्यादा होता है, जैसे कि भारत का उनको खराब रैंकिंग मिलती है. हंगर इंडेक्स को मापने के पीछे लक्ष्य ये है कि दुनिया 2030 तक जीरो हंगर हो जाए. ये संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों में से एक है. हंगर को इस आधार पर मापा जाता है कि कोई व्यक्ति कितने कैलोरी ग्रहण करता है.

लेकिन ग्लोबल हंगर इंडेक्स इस परिभाषा तक खुद को सीमित नहीं करती है. ये किसी भी देश को चार पैमानों पर परखती है और ये पैमाने कई स्तरों पर परीक्षण करते हैं. तो इसलिए इसका एक पुख्ता डेटा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

मोदी सरकार 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का  लक्ष्य हासिल करने का दावा करती रही है, लेकिन देश की बरबाद आर्थिक स्थिति ने उसे असंभव बना दिया है। इधर ग्लोबल हंगर इंडेक्स बताता है कि भारत की ग़रीब जनता दो जून पेट भर खाने को तरस रही है। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने इसके लिए सीधे प्रधानमंत्री को ज़िम्मेदार ठहराया है।