सुप्रीम कोर्ट ने आज कोरेगांव भीमा हिंसा के मामले में बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी को लेकर एसआइटी बनाने की मांग ठुकरा दी है। फैसला 20 सितंबर को सुरक्षित रखा गया था जिसे आज मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़ ने सुनाया।
जस्टिस खानविलकर ने अपने और सीजेआइ मिश्रा की ओर से बहुमत का फैसला सुनाया है जबकि जस्टिस चंद्रचूड़ ने बहुमत के फैसले से अपनी असहमति जाहिर की है।
बहुमत के फैसले में अदालत ने कहा कि उक्त बुद्धिजीवियों को अगले चार सप्ताह तक नज़रबंद रखा जाएगा। जस्टिस खानविलकर का कहना था कि आरोपियों को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि कौन सी जांच एजेंसी मामले की जांच करेगी इसलिए एसआइटी की मांग को ठुकराने का उन्होंने फैसला दिया। चंद्रचूड़ ने असहमति जताते हुए कहा कि न्याय के ऊपर तकनीकी पहलुओं को तरजीह नहीं दिया जाना चाहिए।