क्या पीएम मोदी के फोन से मंत्री भी कतराने लगे हैं?

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जितेन्‍द्र कुमार

कभी-कभी कुछ खबरों को देखकर आंखें अटक जाती हैं। खबरों से नजरें हटाने का मन नहीं करता है। आज (28.09.18) के इकोनोमिक टाइम्स के पेज-5 (ब्रांड एंड कंपनीज ) पर एक वैसी ही खबर छपी है। खबर का शीर्षक है- ‘पीएम फेसेज कॉल ड्राप्स, आस्क्स डीओटी टू फाइंड सोल्यूशन टू सोल्व इशू’ (प्रधानमंत्री के फोन बीच में ही कट रहे हैं, दूरसंचार विभाग को समस्या समाधान के आदेश दिए)। 

इस खबर को कैसे पढ़ें? अगर इसे उसी रूप में पढ़ें जिस रूप में कहा गया है तो इसका मतलब यह हुआ कि जबतक बहुत खास आदमी के साथ दिक्कत न आए तब तक हुक्मरान को किसी बात की चिंता नहीं होती है। पिछले आठ-दस वर्षों से ऐसा लगातार हो रहा है और जनता हलकान है कि कोई भी बात तीन-चार बार फोन किए बगैर पूरी नहीं होती है। ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) इसके लिए देश के हर टेलीकॉम कंपनी को अल्टीमेटम दे रही है लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। जनता इससे इतनी परेशान है कि कोर्ट का दरवाजा तक खटखटा चुकी है। कोर्ट ने कंपनियों को सेवा सुधारने का आदेश भी दिया है। ट्राई बार-बार टेलीफोन आपरेटरों को धमकी दे चुकी है लेकिन आज तक उसके गुणवत्ता के स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ है, बल्कि ट्राई को ही लुलुवा दे रहा है। मंत्री से लेकर कोर्ट तक हर बार नई-नई बात कहकर निकल जा रहा है और जनता बेहाल है। जनता सरकारी से लेकर निजी ऑपरेटरों को पैसे दिए जा रही है, कोई सुनवाई नहीं, कोई कार्यवाही नहीं। अठारह-बीस घंटे तक काम करने का दावा करने वाले प्रधानसेवक मोदी को इस बात की जानकारी नहीं थी? क्या उन्हें सेवा सुधारने का आदेश बहुत पहले नहीं देना चाहिए था! 

लेकिन पहली बार यह आदेश तब दिया गया है जब खुद का फोन बीच में कटना शुरू हो गया है। 

पर्दे के पीछे हालांकि बात कुछ और है। कहा जा रहा है कि राफेल डील के बाद जिस रूप में प्रधानसेवक नरेन्द्र मोदी की संलिप्तता की बात सामने आनी शुरू हुई है, उससे उनके कैबिनेट के कई मंत्री उनसे बात करने से कतराने लगे हैं। पहले बिहारी वीर बालक रविशंकर प्रसाद मोदी जी के हर गुनाह के बचाव में उतार दिए जाते थे और वह योद्धा की तरह उनके बचाव में उतर भी आते थे लेकिन रफाल की सच्चाई जानने के बाद वह भी मानने लगे हैं कि सौदेबाजी में बड़ी गड़बड़ी हुई है। शुरू में वह मोदी जी के बचाव में उतरे भी लेकिन बाद में जनता का रिएक्शन देखकर उन्हें खुद को संबित पात्रा बनने या बनाए जाने का एहसास हो गया। इसलिए माना जाता है कि असली कहानी भी यही है।

कहा जाता है कि प्रधानसेवक जी ने अमित शाह के साथ मिलकर रविशंकर प्रसाद को ही राफेल सौदे में सरकार और मोदी जी का बचाव करने की जिम्मेदारी दी थी और इसी सिलसिले में उन्होंने रविशंकर प्रसाद को फोन किया था। कहा जाता है कि रविशंकर प्रसाद सरकार की हुई किरकिरी से परेशान थे और मोदी जी से बात करने में असहज महसूस कर रहे थे क्योंकि उनके पास विरोधियों द्वारा दिए गए आरोपों का जवाब देने के लिए कोई तर्क नहीं था इसलिए वह पीएम से बात नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने जान बूझ कर फोन काट दिया। मोदी जी ने तीन-चार बार कोशिश की और रविशंकर प्रसाद हर बार ‘हलो-हलो’ करके कॉल ड्राप का बहाना बनाकर फोन काट दिया।

कहा जा रहा है कि मोदी जी ने रेसकोर्स रोड से ऑफिस के रास्ते में अपने और कई कैबिनेट सहयोगियों के साथ भी फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, फोन तो लग गया लेकिन बात पूरी नहीं हो पाई। इसलिए मोदी जी ने सबसे पहले रविशंकर प्रसाद को साउथ ब्लॉक में तजबीज किया। वहां रविशंकर प्रसाद ने बड़े ही चालाकी से बताया कि कॉल ड्रॉप के चलते बात नहीं हो पाई, क्योंकि वह भी लगातार बात करने की कोशिश कर रहे थे!  

सुना है कि जबसे रविशंकर प्रसाद ने मोदीजी से मिलकर सफाई दी है कि यह कॉल ड्रॉप का मामला है प्रधानसेवक मोदी ने कॉल ड्रॉप के जांच के आदेश दे दिए हैं। 


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