झारखण्ड के सरकारी अधिकारी किसी का चेहरा देखकर बता देते हैं कि वह गरीब है या नहीं। उनके लिए सत्तर साल में योजना आयोग के बनाए गरीबी के पैमानों या सूचकांकों का कोई मतलब नहीं है। झारखण्ड के सिमडेगा में भूख से हुई संतोशी देवी नाम की बच्ची की कथित मौत की सरकारी जांच रिपोर्ट में एक दिलचस्प कहानी सामने लाई गई है और भूख से हुई मौत को नकारा गया है। सरकार मानती है कि संतोषी की मौत बीमारी से हुई है और इस बीमारी के दौरान आरएमपी से उसका इलाज भी करवाया गया था।
झारखण्ड के सिमडेगा में 28 सितम्बर को भुखमरी से हुई संतोषी देवी की कथित मौत पर उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी के आदेश पर करवाई गई सरकारी जांच की रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट में मौका मुआयना और ग्रामीणों के लिए गए बयानात के आधार पर निष्कर्ष दिया गया है कि संतोषी देवी की मौत का कारण भूख नहीं, मलेरिया की बीमारी है। रिपोर्ट इस बात को स्वीकारती है कि संतोषी की मां कोयली देवी का राशन कार्ड उनकी मां के नाम से है तो आधार से लिंक नहीं था, लिहाजा फरवरी 2017 के बाद कोयली देवी को राशन नहीं मिला था लेकिन नतीजा यह निकाला गया है कि राशन न मिलने का संतोषी की मौत से कोई लेना-देना नहीं है।
तीन पन्ने की इस रिपोर्ट पर जिला आपूर्ति पदाधिकारी (सिमडेगा) नंदजी राम, सिविल सर्जन (सिमडेगा) एजाजुद्दीन अशरफ़ और परियोजना निदेशक (आइटीडीए, सिमडेगा) जगत नारायण प्रसाद के दस्तखत हैं। इन तीनों अधिकारियों ने 13 अक्टूबर को कारीमाटी गांव पहुंचकर जो जांच की है, उससे एक दिलचस्प फिल्मी कहानी निकल कर सामने आई है। कहानी में जन वितरण प्रणाली के दुकानदार भोला साहू और उनकी रिश्तेदार तारामनी साहू (मनरेगा वॉच) के बीच पारिवारिक विवाद बताया गया है, जिसका परिणाम ”भूख से हुई मौत की खबर का प्रकाशन” है। उसके पक्ष में यह तर्क भी दिया गया है मौत 28 सित्बर को होती है लेकिन ख़बर दैनिक भास्कर में नौ दिन बाद छपती है।
इस बात को प्रमुखता से सामने लाया गया है कि पीडीएस दुकानदार को ‘पारिवारिक वैमनस्यता, व्यापारिक एवं राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते’ बदनाम करने में किन-किन लोगों का हाथ है। इनमें एक फ्रीलांसर पत्रकार का नाम भी लिया गया है।
पूरी रिपोर्ट में कहीं यह बात सामने नहीं आती है कि कोयली देवी की बेटी की ”भात-भात” कहते हुए मौत हुई, जैसा कि अखबारों में रिपोर्ट किया गया है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक कोयली देवी ने बताया है कि उनकी बेटी 8-10 दिन से बीमार थी और खाना नहीं खा रही थी।
दिलचस्प यह है कि रिपोर्ट में कहीं भी कोयली देवी की वित्तीय स्थिति के बारे में कोई बात नहीं है। गरीबी रेखा यानी एपीएल/बीपीएल कार्ड, अंत्योदय कार्ड, सरकारी योजनाओं में पंजीकरण, गरीबी के तमाम सरकारी पैमानों पर कोयली देवी की स्थिति का कोई वर्णन नहीं है। रिपोर्ट पूरी लापरवाही से अंतिम पैरा के निष्कर्ष से ठीक पहले कोयली देवी की वित्तीय स्थिति को एक हास्यास्पद वाक्य में समेट देती है कि ”कोयली देवी एवं डोहरी नायक दोनों जेठानी देवरानी हैं, जो देखने से गरीब लगते हैं।”