पैराडाइज़ पेपर्स: बीजेपी के सांसद आरके सिन्‍हा और केंद्रीय मंत्री जयन्‍त सिन्‍हा का नाम शामिल!



दि इंडियन एक्‍सप्रेस ने रविवार रात 12.30 बजे से पैराडाइज़ पेपर्स पर 40 किस्‍तों पर अपनी स्‍टोरी की श्रृंखला शुरू की है लेकिन इंटरनेशनल कंसोर्शियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्‍ट्स की वेबसाइट से पता चलता है कि ऑफशोर कंपनियों में पैसा लगाने वाले दो बड़े नेताओं का नाम कुल 714 लोगों की सूची में शामिल है। ये दोनों नेता सत्‍ताधारी पार्टी बीजेपी से हैं- सांसद आरके सिन्‍हा और नागरिक उड्डयन मंत्री जयन्‍त सिन्‍हा।

आइसीआइजे के पैराडाइज़ पेपर्स से जुड़े वेब पन्‍ने ”एक्‍सपलोर पॉलिटिशियंस” में दो भारतीय नाम आरके सिन्‍हा और जयन्‍त सिन्‍हा के हैं।

रवींद्र किशोर सिन्‍हा का पैराडाइज़ पेपर्स में विवरण देखने के लिए यहां जाएं।

आरके सिन्‍हा देश की दूसरी सबसे बड़ी सिक्‍योरिटी एजेंसी एसआइएस एशिया पैसिफिक चलाते हैं जो एसआइएस, माल्‍टा की अनुषंगी है। उनकी पत्‍नी रीता किशोर सिन्‍हा भी इसकी निदेशक हैं। सिन्‍हा ने इसमें ब्रिटिश वर्जिन द्वीप की एक होल्डिंग कंपनी की मार्फत माल्‍टा की कंपनी में शेयर खरीदे हैं। जुलाई 2017 के अंत में मूल कंपनी के आइपीओ लाते वक्‍त सेबी को जमा दस्‍तावेजों में बताया गया था कि सिन्‍हा एसआइएस की मूल कंपनी के शेयरधारक और चेयरमैन हैं। फाइलिंग के अनुसार कंपनी और उसकी अनुषंगियों के ऊपर 18 लंबित आपराधिक मामले हैं और 27 कर संबंधी मामले हैं। इस फाइलिंग में माल्‍टा की कंपनी का जिक्र नहीं है। आइपीओ के बाद सिन्‍हा के बेटे ऋतुराज को समूह का प्रबंध निदेशक बना दिया गया।

आइसीआइजे की साइट पर सवालों के जवाब में सिन्‍हा की प्रतिक्रिया भी दर्ज है। उनका कहना है कि एसआइएस एशिया पैसिफिक होल्डिंग में उनका कोई प्रत्‍यक्ष ”इंटरेस्‍ट” नहीं है और एसआइएस की मार्फत उन्‍होंने एक शेयर इसमें लिया हुआ है। सिन्‍हा का कहना है कि आपराधिक कार्रवाइयों में वे एक पक्षकार के बतौर निदेशक होने की हैसियत से मौजूद हैं। उन्‍होंने निजी रूप से किसी कानून का उल्‍लंघन नहीं किया।

आरके सिन्‍हा संघ के करीबी माने जाते हैं और संघ की आधिकारिक समाचार एजेंसी हिंदुस्‍थान समाचार चलाते हैं। सिन्‍हा से जुड़े पैराडाइज़ पेपर्स के दस्‍तावेज़ देखने के लिए यहां जाएं।

जयन्‍त सिन्‍हा पूर्व वित्‍त मंत्री यशवन्‍त सिन्‍हा के पुत्र हैं और 2016 से नागरिक उड्डयन मंत्री हैं। दो साल तक वे देश के वित्‍त मंत्री भी रह चुके हैं। राजनीति में आने से पहले सिन्‍हा प्रबंधन परामर्शदाता और निवेश फंड प्रबंधक हुआ करते थे। वे ओमिडयार नेटवर्क के भारत में प्रबंध निदेशक थे। यह धमार्थ निवेश फर्म ईबे के संस्‍थापक पियरे ओमिडयार की बनाई हुई है। ओमिडयार आइसीआइजे को भी अनुदान देते हैं।

पैराडाइज़ पेपर्स में सिन्‍हा के बारे में लिखा है कि 2010 में ओमिडयार में काम करते हुए उन्‍हें कैलिफोर्निया की एक सौर ऊर्जा कंपनी डी लाइट डिजाइन के निदेशक बोर्ड में लिया गया। दिसंबर 2012 के कंपनी दस्‍तावेज़ों में सिन्‍हा एक बोर्ड के संकल्‍पपत्र के हस्‍ताक्षरकर्ता के रूप में सामने आते हैं जिसमें डी लाइट की केमैन द्वीप स्थित अनुषंगी कंपनी को एक डच फर्म से तीन डॉलर मिलियन के कर्ज की मंजूरी दी गई थी।

भारत के पीएमओ को 2016 में दिए एक संकल्‍पपत्र में लिखा है कि ”वे ओमिडयार नेटवर्क द्वारा 2009 से 2013 के बीच किए कुछ निवेशों में अपना काम जारी रख सकते हैं।” संकल्‍पपत्र के अनुसार फिलहाल उनकी इसमें कोई संलग्‍नता नहीं है।

सिन्‍हा ने अपनी प्रतिक्रिया में आइसीआइजे को बताया है कि वे 2014 तक डी लाइट डिजाइन के बोर्ड पर थे और अपने काम के बतौर कुछ दस्‍तावेजों पर उन्‍होंने दस्‍तखत किए थे। बोर्ड में अपने आखिरी साल में वे स्‍वतंत्र निदेशक थे और इसके बदले कंसल्टिंग फीस व कंपनी के कुछ शेयर उन्‍हें मिले हुए थे जो उन्‍होंने सार्वजनिक किए हैं।

दि इंडियन एक्‍सप्रेस को उन्‍होंने बताया है कि ”ओमिडयार नेटवर्क की इकाइयों द्वारा किए गए निवेश” से उन्‍हें बीते तीन साल में कोई मौद्रिक लाभ नहीं मिला है जब से वे राजनीति में आए हैं।

जयन्‍त सिन्‍हा से जुड़े पैराडाइज़ पेपर्स यहां देखे जा सकते हैं।