नई दिल्ली। इत्तेहादुल मुसलमीन नेता अकबरुद्दीन ओवैसी एक समाचार वेबसाइट पलपलन्यूज़ के कारण एक नए विवाद में फंस गए हैं। उन पर आरोप है कि हैदराबाद में एनआईए द्वारा गिरफ्तारियां करने पर पहले तो ओवैसी कंपनी के बोल नहीं फूटे और बाद में रिहाई मंच का बयान कॉपी करके अपने नाम से उन्होंने वेबसाइट पर छपवा लिया।
दरअसल रिहाई मंच ने हैदराबाद प्रकरण पर सख्त बयान जारी किया था और ओवैसी कंपनी इस प्रकरण पर कुछ बोली ही नहीं। बाद में एक न्यूज़ पोर्टल पर अकबरुद्दीन ओवैसी का बयान प्रकाशित हुआ, जो रिहाई मंचके बयान की हू-ब-हू नकल था। इस पर न्यू मीडिया में खूब बहस चली और ओवैसीको बंदर-ए-हिंद तक कहा गया।
अनिल यादव ने लिखा –
“ग्रीन टाइगर” जी कॉपी करना है तो रिहाई मंच की कार्यशैली कॉपी करिये, लड़ने का तरीका कॉपी करिये। …लेकिन आप नहीं कर पाएंगे, क्योंकि आप के राज्य में ही हिरासत में चार नौजवानों की हत्या कर दी जाती, आप बोल तक नहीं पाते हैं। खुफिया एजेंसियों की कार्य शैली पर चुप्पी साध लेते हैं। उम्मीद है आप और आपके समर्थक रिहाई मंच का सिर्फ बयान कॉपी नहीं करेंगे बल्कि तार्किक ढंग लड़ने का तरीका भी, नैतिकता और ईमानदारी भी।
संसद में तूफान देखने वालों जरा यह भी देखो।
रिहाई मंच की आवाज में आवाज मिलाने की अपील किया था, प्रेस रिलीज को कॉपी कर के अपने नाम से खबर छपवाने को नहीं।
खैर जब प्रेस रिलीज नहीं जारी कर सकते खुद से तो उन बेगुनाहों की लड़ाई क्या लड़ोगे।
यह खबर जरूर देखें आप लोग, जिस के शब्द भी नहीं बदले हैं। सिर्फ नाम बदला गया है।
http://palpalnews.in/in-hyderabad-the-arrest-of-muslim-youths-in-the-name-of-the-terrorist-organization-akbruddin-owaisi-termed-modi-governments-latest-drama-287364-html/
शबरोज़ मोहम्मदी ने लिखा-
http://www.hastakshep.com/hindi/news/2016/06/30/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%98-%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B9-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%87%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%A6%E0%A4%B0
ये है रिहाई मंच का बयान, जिसको ओवैसी कॉपी पेस्ट मार गए शब्द स शब्द।। अब अवाम को ये समझना है कि जो मुस्लिमों के हितों की बात करता है, जो किसी संगठन का बयान कॉपी करके अपने नाम से न्यूज़ बना रहा है, वो मुस्लिमों के हितों के लिए क्या लड़ेगा ?
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम ने लिखा –
AIMIM के इस नेता को उनके समर्थक शेर-ए-हिन्द कहते हैं, लेकिन उनकी इस हरकत ने उन्हें बंदर-ए-हिन्द साबित कर दिया। क्योंकि शेर नहीं बंदर नकल किया करते हैं। दूसरी बात, उन्होंने पूरी खबर तो नकलकी,लेकिन एक इम्पोर्टेंट बात को छोड़ दिया, शायद डर की वजह से। उन्होंने ये लिखने की हिम्मत नहीं की कि आरएसएस और आईबी देश में बम विस्फोट भी करा सकते हैं, जिसे रिहाई मंच ने अपनी प्रेस रिलीज़ में साफ-साफ शब्दों में लिखा था। अकबरुद्दीन में दरअसल ओरिजिनल्टी है ही नहीं, वो फोटो कॉपी बनाने की कोशिश करते हैं, उनके स्पीचेस भी तोगड़िया की नकल होती है।
(अनिल यादव की फेसबुक वॉल से)