खुदरा महंगाई दर बढ़ी ! वजह ‘टेक्निकल’ नहीं जीएसटी है ‘सिनिकल’ !



गिरीश मालवीय

 

खुदरा महंगाई दर बढ़ गयी है अभी यूपी के किसी मंत्री का बयान आता होगा कि ‘सितम्बर के महीने में’ महंगाई दर बढ़ती है फिर अमित शाह बताने लग जाएंगे कि महंगाई दर किसी ‘टेक्निकल’ वजह से बढ़ रही है ।

खुदरा मंहगाई दर अगस्त महीने में बढ़कर 5 महीने के उच्चस्तर 3.36 प्रतिशत पर पहुंच गई है कभी यह 2.36 प्रतिशत हुआ करती थी, आंकड़ो का खेल ऐसा खेला जाता है कि साथ ही हमे यह बता दिया जाता है कि औद्योगिक उत्पादन बढ़ा है अभी जुलाई में वृद्धि दर 1.2 फीसदी रही, जबकि जून में यह 0.16 फीसदी थी लेकिन यह तथ्य छुपा लिया जाता है कि साल 2016 के जून में यह वृद्धि दर 4.5 फीसदी थी।

दो महीने पहले हमारे वित्तमंत्री पता नही किस मुँह से बोल रहे थे कि जीएसटी लगने से महंगाई कम हो जाएगी, शायद अब कोई दूसरे चेहरे से जुबान चलाने लग जायेंगे, बहानो को कोई कमी थोड़ी है देश मे वैसे सच बताऊँ तो इस तरह की 2 प्रतिशत दर बढ़ने और 1 प्रतिशत कम होने से कोई बहुत ज्यादा फर्क नही पड़ता है, फर्क पड़ता है पेट्रोल डीजल के दाम के बढ़ जाने से, आधुनिक युग मे हर चीज एक दूसरे से जुड़ी हुई है ओर ये तो ईंधन है जिसकी जरूरत हर क्षेत्र में है पेट्रोल डीजल दाम जो बढ़े है वो बेवजह नही बढ़े हैं। कोई कारोबारी मीडिया चैनल, कोई अखबार या सरकार के निर्लज्ज मंत्री यह बताने को तैयार नही है कि जब 2 महीनो में क्रुइड ऑयल के दाम में मामूली घटत बढ़त हुई है तो इन दिनों पेट्रोल डीजल के भाव मे यह 12 से 15 प्रतिशत का उछाल क्यो हैं ?

हर समझदार आदमी यह जानता था कि जीएसटी लगने की वजह से महंगाई बढ़ेगी, लेकिन सरकार में समझदार व्यक्ति नही बैठे हैं, निर्लज्ज चमचो को मंत्रिपद से नवाज रखा है।  तो आखिरकार पेट्रोल डीजल के दामो में इतनी बढ़ोतरी कैसे हो गयी, ये सवाल है !  मेरी साधारण समझ कहती हैं कि यदि कच्चा माल महंगा हो गया हो तो रेट बढ़ाने ही होंगे , हमे यह मालूम होना चाहिए कि पेट्रोल, डीज़ल को भले ही सरकार ने जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है लेकिन इसकी प्रोसेसिंग से जुड़े अन्य सामानों पर जीएसटी लागू होने से कंपनियों की कुल लागत बढ़ गयी है। नैफ़्था ऑयल पेट्रोलियम पदार्थों की प्रोसेसिंग का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है. जिस पर उच्च दरों से जीएसटी लागू की गई है।

एक मीडिया रिपोर्ट में ओएनजीसी के पूर्व प्रमुख आरएस बटोला ने पहले ही बता दिया था कि पेट्रोलियम कंपनियों पर 15 हज़ार से 25 हज़ार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा, जिसे वो ग्राहकों से वसूलना चाहेंगी. और यह वृद्धि हर साल होगीय़  पेट्रोलियम कम्पनी को भी बड़ी मात्रा में सेवाएँ लेना होती हैं, जो अब जीएसटी के दायरे में आ गयी हैं। इन सब का बोझ आज ग्राहक यानी, हमे ओर आपको उठाना पड़ रहा है।  वैसे कुछ लोग अभी भी मूर्खो के स्वर्ग में रह रहे हैं जो कहते हैं कि जीएसटी से महंगाई नही बढ़ेगी

 



लेखक इंदौर (मध्यप्रदेश )से हैं , ओर सोशल मीडिया में सम-सामयिक विषयों पर अपनी क़लम चलाते रहते हैं ।