देश के प्रमुख निजी बैंकों में शुमार लक्ष्मी विलास बैंक के निदेशकों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 790 करोड़ रुपये का गबन करने केआरोप में मुकदमा दर्ज किया है. यह मुकदमा पुलिस ने वित्तीय सेवा कंपनी रेलिगेयर फिनवेस्ट की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए किया है.
Economic Offences Wing registers FIR against Lakshmi Vilas Bank for offences of cheating, criminal breach of trust by banker, criminal conspiracy & misappropriation. FIR is based on complaint filed by Religare Finvest pic.twitter.com/sUdj6T2t5g
— CNBC-TV18 (@CNBCTV18Live) September 26, 2019
दिल्ली पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में रेलिगेयर ने कहा है कि उसने 790 करोड़ रुपये की एक एफडी बैंक में की थी, जिसमें से हेरा-फेरी की गई है. पुलिस ने कहा कि शुरुआती जांच में ऐसा लग रहा है कि पैसों में हेराफेरी पूरी योजना बद्ध तरीके से की गई है. फिलहाल पुलिस ने बैंक के निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी, विश्वासघात, हेराफेरी व साजिश का मुकदमा दर्ज किया है.
इसके बाद आरबीआई ने लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) को शुक्रवार को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क में डाल दिया.
ज्ञातव्य है कि लक्ष्मी विलास बैंक को जल्द ही इंडियाबुल्स खरीदने वाली है अप्रैल 2019 में लक्ष्मी विलास बैंक ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के साथ विलय की घोषणा की थी. लक्ष्मी विलास बैंक के निदेशक मंडल ने प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी है. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस की लक्ष्मी विलास बैंक के साथ प्रस्तावित विलय को मंजूरी दे दी है. विलय की प्रक्रिया पूरी करने के लिए आरबीआई, सेबी समेत अन्य संस्थाओं की मंजूरी जरूरी है. इस प्रक्रिया में 6 से 8 महीने तक का समय लग सकता है.
RBI initiates prompt corrective action for Lakshmi Vilas Bank after directors probed for alleged fraud
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— ANI Digital (@ani_digital) September 28, 2019
इस बीच यह भी खबर आयी कि लक्ष्मी विलास बैंक (LVB) के CEO पार्थसारथी मुखर्जी ने अचानक इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद रिजर्व बैंक ने इस पुरे मामले की जांच शुरू कर दी है सबसे बड़ी बात तो यह है की लक्ष्मी विलास बैंक का ग्रॉस NPA हर साल बढ़ता ही जा रहा है.
क्वार्टर Q1FY19 -20 में यह 17.3% दर्ज किया गया और इसके पहले 2018 -19 में Q4FY18 -19 में 15.3 , Q3FY18 -19 में 13.95%,Q2FY18 -19 में 12.3% और Q1FY18 -19 में 10.7% था.
पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक का ग्रॉस NPA तो इसकी तुलना में बहुत ही कम था जिस तरह से PMC बैंक का संबंध भी DHFL से पाया गया वैसे ही लक्ष्मी विलास बैंक का सम्बन्ध इंडियाबुल्स से है बल्कि यहाँ तो मामला और खुला है.
कुछ दिनों पहले इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (आईएचएफएल), उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ जनता के 98,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी के आरोप में सोमवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई. याचिका में कंपनी, उसके चेयरमैन और निदेशकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई याचिका में आरोप लगाया गया था कि कंपनी के चेयरमैन समीर गहलोत और निदेशकों ने जनता के हजारों करोड़ रुपये के धन का हेरफेर करके उसका इस्तेमाल निजी काम में किया.
#BQStocks | Shares of Indiabulls Group companies decline after Delhi High Court agrees to hear petition on Indiabulls Housing Finance.
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— NDTV Profit (@NDTVProfitIndia) September 27, 2019
यचिकाकर्ता और आईएचएफएल के एक शेयरधारक अभय यादव ने याचिका में आरोप लगाया है कि गहलोत ने स्पेन में एक प्रवासी भारतीय ( एनआरआई) हरीश फैबियानी की मदद से कई ” मुखौटा कंपनियां ” खड़ी कीं. इन कंपनियों को आईएचएफएल ने फर्जी तरीके और बिना आधार के भारी मात्रा में कर्ज दिए.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड कंपनियों से आवास वित्त कंपनियों डीएचएफएल और इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस में उनके निवेश का ब्योरा मांगा है. प्रणाली में नकदी संकट को लेकर चिंता बनी हुई है.
एक बात और महत्वपूर्ण है कि कुछ सालो पहले पनामा प्रकरण में भारत के जिन 50 बड़े लोगों के नाम आए हैं. उसमे इंडियाबुल्स ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष समीर गहलोत का नाम भी शामिल है.
गिरीश मालवीय आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ और स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं.