‘न खाऊँगा न खाने की दूँगा’ की बात करने वालों की यह असलियत यदि आप पढ़ लेंगे तो समझ जाएँगे कि यह बात करने वालो का दावा कितना बड़ा झूठ था, बशर्ते आप अंधभक्त न हों !
कल ,7 नवंबर को सोशल मीडिया पर एक वैकेंसी का एक विज्ञापन चर्चा का विषय बना,यह विज्ञापन रेलवे में बड़े पैमाने पर कैटरिंग सर्विसेज प्रोवाइड करने वाली एक कंपनी ने दिया था. वृंदावन फूड प्रोडक्ट्स कम्पनी रेलवे के लिए काम करने वाले हॉस्पिटैलिटी कॉन्ट्रैक्टर्स में से एक है, यह कंपनी मौजूदा समय में 100 रेलगाड़ियों में खाना बेचने का काम करती है. इस कम्पनी ने 6 नवम्बर को एक अंग्रेजी दैनिक में विज्ञापन दिया जिसमे कहा गया था कि रेलवे फूड प्लाजा, ट्रेन कैटरिंग, बेस किचन और स्टोर मैनेजर जैसे विभागों में विभिन्न प्रबंधकीय पदों के लिए 100 पुरुषों की आवश्यकता है. कंपनी ने इसके लिए शर्त रखी कि आवेदक अच्छी पारिवारिक पृष्ठभूमि, 12वीं पास होना चाहिए, इन 100 लोगों को देश के किसी भी हिस्से में काम करना पड़ सकता है.लेकिन सबसे कमाल की शर्त यह थी कि इस नोकरी के आवेदक केवल अग्रवाल व वैश्य समुदाय के पुरुष ही होने चाहिए.
इस विज्ञापन पर हंगामा खड़ा हो गया कि किस तरह से सरे आम धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है वह भी रेलवे को कैटरिंग सर्विस उपलब्ध कराने वाली कम्पनी के द्वारा? लेकिन हमारी इस पोस्ट का विषय यह नही है यह पोस्ट इससे आगे की कहानी कहती है! यह जानकारी आपको चौका सकती है.
Vrindavan Food Products is one of @IRCTCofficial largest private contractors.
Advertising for three posts, it put out a post in a newspaper saying that the applicant should be from the 'Agarwal Vaishya' community, a 'good family', and with at least a 12th standard qualification. pic.twitter.com/EKKuvUaDFq
— The Logical Indian (@LogicalIndians) November 8, 2019
हालांकि इस मामले के तूल पकड़ने के बाद कंपनी ने रेलवे से लिखित में माफी मांगी और विज्ञापन वापिस ले लिया.
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,’ आईआरसीटीसी ने इसे गंभीरता से लिया है और ठेकेदार को जातिगत आधार पर नोटिस निकालने से मना किया है. उनसे किसी भी जाति, धर्म या क्षेत्र के उचित लोगों की भर्ती करने के लिए कहा गया है.’ उन्होंने कहा,’ठेकेदार ने आईआरसीटीसी से इस बात की पुष्टि की है कि विज्ञापन के लिए जिम्मेदार एचआर मैनेजर को नौकरी से हटा दिया गया है.’
कंपनी अपनी वेबसाइट पर दावा करती है कि वो पिछले दो दशकों से 150 रेलों में, जिनमें राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी रेलों में केटरिंग करती है. कंपनी मील्स ऑन व्हील्स नाम से केटरिंग करती है.
बृंदावन फूड प्रोडक्स कंपनी का मुख्य कार्यालय ओखला में स्थित है. इस कंपनी में करीब 5 हजार लोगों का स्टाफ है. यह कंपनी विगत 50 वर्षों से टूरिज्म ,हॉस्पिटैलिटी और कैटरिंग में काम करी है.
क्या आपने रेल नीर घोटाले का नाम सुना है? सन 2015 में एक घोटाला पकड़ में आया था जिसमे पाया गया कि राजधानी और शताब्दी जैसी सुपरफास्ट ट्रेनों में रेल नीर के स्थान पर सस्ता सीलबंद पानी बेचा गया इन लाइसेंसधारकों ने रेलवे विभाग से प्राप्त धनराशि से अन्य ब्रांडों के पेयजल की आपूर्ति की, जो एक अपराध है.
बता दें कि ईडी ने इस मामले में सीबीआइ एफआइआर के आधार पर केस दर्ज किया था. जिसमे बृंदावन फूड प्रोडक्ट्स का भी नाम है.
ED attaches assets worth Rs 17.55 crore under PMLA of M/s https://t.co/FLYYuEDXBT & Hoteliers Pvt. Ltd, M/s Satyam Caterers Pvt. Ltd, and others in a scam related to Rail Neer.
— ED (@dir_ed) June 14, 2018
दरअसल यह वृंदावन फूड प्रोडक्ट्स नामक यह कंपनी आरके एसोसिएट्स की ही है जिसके मालिक श्याम बिहारी अग्रवाल है जो रेल नीर घोटाले की मुख्य कर्ता-धर्ता है.
रेल नीर घोटाले का आरोप जिन 7 कंपनियों पर लगा था उन 7 में से 4 कंपनियां एक ही परिवार से है. यह चार की चार कंपनियां आर के एसोसिएट्स एंड होटेलियर्स की है. बाकी की 3 कंपनियो में भी इस परिवार के सदस्य शेयर होल्डर है.कहा जाता है कि रेलवे में छोटे से लेकर हर बड़ा अधिकारी आर के एसोसिएट्स के बारे में जानता है.
Enforcement Directorate attaches assets worth Rs 17.55 crore under Prevention of Money Laundering Act (PMLA) of RK Associates & Hoteliers Pvt. Ltd, Satyam Caterers Pvt. Ltd, and others in a scam related to Rail Neer.
— ANI (@ANI) June 14, 2018
आपको जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि इंडियन रेलवे के करीब 70 फीसदी कैटरिंग का जिम्मा शरण बिहारी अग्रवाल और उसकी बनाई कंपनियों के पास आज भी मौजूद हैं, अग्रवाल ने महज एक दशक में 500 करोड़ से अधिक की संपत्ति बना ली है यह बात भी रेल नीर घोटाले के सामने आने बाद सामने आयी थी रेलवे की केटरिंग पॉलिसी को शरण बिहारी अग्रवाल अपने हिसाब से मोल्ड कर लेते हैं रेल नीर घोटाले की जाँच कर रहे सीबीआई अधिकारी ने बताया था कि जब भी रेलवे में कोई कॉन्ट्रैक्ट खुलता तो अग्रवाल किसी दूसरे शख्स के नाम पर एक कंपनी बना लेता था ओर येन केन प्रकारेण वह कांट्रेक्ट हासिल कर लेता था
M/s R K Associates & hoteliers के डायरेक्टर हैं शरण बिहारी अग्रवाल, सुषमा अग्रवाल और प्रिया अग्रवाल. शरण बिहारी अग्रवाल ही इसके कर्ता धर्ता हैं.
आर.के. नाम रत्ना कुमारी के नाम से लिया गया है, रत्ना जी के तीन बेटे हैं. शरण बिहारी अग्रवाल, विजय कुमार अग्रवाल, और अरुण अग्रवाल. शरण बिहारी अग्रवाल की कंपनी बनी आरके एसोसिएट्स एंड होटेलियर्स. विजय कुमार की कंपनी हुई सत्यम कैटरर्स और अरुण अग्रवाल की कंपनी हुई सनशाइन. शरण बिहारी अग्रवाल के दो बेटे हैं राहुल और अभिषेक अग्रवाल. इन दोनों के नाम है वृंदावन फूड प्रोडक्ट्स.
Policy of Zero Tolerance of MR @sureshpprabhu towards bad Quality of food &overcharging results in termination of 7contracts in last 6months pic.twitter.com/AWt4X9balS
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) July 21, 2017
अग्रवाल परिवार के बारे में यह सारी जानकारी ABP न्यूज़ के एक लिंक से मिली, जिसमें बताया गया था कि आकड़ों के मुताबिक अकेले 1.1.2014 से 31.10.2014 यानि 10 महीने में बृंदावन फ़ूड प्रोडक्ट्स के खाने के 212 शिकायतें आई. आरके एसोसिएट्स की 138 शिकायतें आई, सनशाइन कैटेरेर्स की 114. सत्यम कैटेरेर्स की 68 और रूप कैटेरेर्स की 54 . लेकिन सभी में जुर्माना लगा कर और वार्निग दे कर छोड़ दिया गया.
यहाँ तक कि 2017 में सीएजी ने संसद में अपनी जो रिपोर्ट पेश की थी उसमे यह साफ लिखा था कि रेलवे कैटरिंग में कुछ कंपनियों की मोनोपोली चलती है, जिसे तोड़ने के लिए रेलवे की तरफ से सफल प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.सच यह है कि रेलवे और उसके कुछ अफसरों ने एक कंपनी के सामने बीते कई दशकों में किसी दूसरी कंपनी को रेल कैटरिंग के क्षेत्र में खड़ा होने ही नहीं दिया हैं. CAG ने इस रिपोर्ट में यह भी कहा था कि ट्रेन और रेलवे स्टेशनों पर मिलने वाला खाना इंसान के खाने लायक नहीं है.
आरके एसोसिएट की पकड़ बीजेपी सरकार में बहुत गहरी हैं. जब रमन सिंह की सरकार थी तब छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना का काम भी उन्ही दिया गया, और शिवराज सिंह की कृपा से मध्यप्रदेश सरकार के तीर्थ यात्रियों को भी अग्रवाल की फर्म कई बार यात्रा करा चुकी है. समाज कल्याण विभाग के अफसरों के अनुसार एक ट्रिप का न्यूनतम भुगतान एक करोड़ रुपए के आसपास किया जाता है.
https://twitter.com/manoran21607969/status/1055402227127500800
2015 में रेल नीर घोटाले में आर के असोसिएट्स और वृंदावन फूड प्रॉडक्ट के मालिक श्याम बिहारी अग्रवाल, उनके बेटे अभिषेक अग्रवाल और राहुल अग्रवाल के आवास से 20 करोड़ रुपए नगद बरामद किए गए थे और उन्हें गिरफ्तार कर तिहाड़ भेज दिया गया था.लेकिन पता नही मोदी सरकार में इनकी कौनसी ऐसी सेटिंग है जिसके चलते उनकी कम्पनी को ब्लैक लिस्ट नही किया जा रहा? जबकि रेलवे कैटरिंग पॉलिसी में किसी कंपनी के खाने के बारे में बार-बार शिकायत मिलने पर कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने का प्रावधान भी है. शताब्दी ओर राजधानी जैसी सुपरफास्ट ट्रेनों में हजारों शिकायते ट्रेन को खाने को लेकर की जाती है लेकिन ठेका निरस्त जैसी एक भी कार्यवाही नही की जाती जबकि उपभोक्ता न्यायालय तक ने इनके खिलाफ ‘सेवा में कमी’ के डिसीजन तक दिए है.
Astonished to know that even after getting license cancelled by @RailMinIndia last year, R K associates & hoteliers Pvt ltd is still serving food on train.This company was named in 'Rail Neer' scam & ED has attached assets of it's owner.What an irony! @narendramodi @PiyushGoyal pic.twitter.com/q7CDRz6PNE
— Ravi Shankar (@CS_RaviShankar) August 5, 2018
ऐसी दागी कंपनियों को मोदी सरकार में आज भी रेलवे के ऐसे बड़े बड़े ठेके दिए जा रहे हैं जिसमें वह 100 लोगों का रिक्रूटमेंट कर रहे हैं. यह विज्ञापन बता रहा है कि इसके मालिक कितने बेखौफ है जो खुलकर अपने विज्ञापन में ‘आपल्याचं पाहिजे’ लिख रहे हैं.दरअसल दागी ओर घोटालेबाज कंपनियों को मोदी सरकार में कोई फर्क नही पड़ा है और ‘न खाऊँगा न खाने दूँगा’ की बात बिल्कुल झूठ है.